उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में गंगा नदी के तट पर विंध्याचल धाम का पवित्र स्थल है| विंध्याचल क्षेत्र प्राचीन काल से ही योगियों, ऋषि मुनियों की श्रद्धा का केंद्र है| इस क्षेत्र में अनेक सिद्धों ने तपस्या की है| इस क्षेत्र में बहुत सारे मंदिर बने हुए हैं| विंध्याचल धाम एक सिद्ध देवी पीठ है| विंध्याचल धाम को शक्तपीठ भी माना जाता है | यहाँ पर सती माता का पृष्ठ भाग गिरा था | हर साल पूरे देश से लाखों श्रदालु विंध्याचल धाम के दर्शन करने के लिए आते है| विंध्याचल धाम में बहुत सारे मंदिरों के दर्शन कर सकते हो| विंध्याचल धाम में लक्षमी, सरस्वती और काली माता अलग अलग रूपों में अलग जगहों पर विराजमान करती है| इन सभी जगहों पर माता के मंदिर बने हुए हैं|
1. विंध्यवासिनी मंदिर - विंध्याचल धाम में यह मंदिर सबसे प्रमुख है| विंध्याचल में मां लक्षमी विराजती है| विंध्यवासिनी मंदिर में मां लक्षमी के रूप की मूर्ति स्थापित है| विंध्याचल रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी मात्र एक किलोमीटर है| रंग बिरंगी दुकानों से सजे हुए छोटे से बाज़ार से गुजरते हुए आप विंध्यवासिनी मंदिर के पास पहुंचते हो | इस मंदिर में आपको बहुत भीड़ मिलेगी| मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना मना है| यह मंदिर एक ऊंचे स्थान पर बना हुआ है| इस मंदिर में माता की भव्य मूर्ति के ईलावा शिव, महाकाली आदि के भी स्थान बने हुए हैं| श्रदालु लाईन में लग कर मां विंध्यवासिनी का दर्शन करते हैं|
2. काली खोह मंदिर- यह मंदिर विंध्याचल से तीन किलोमीटर दूर एक पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है | इस मंदिर के आसपास जंगल है| काली खोह मंदिर में महाकाली विराजमान है| इस मंदिर में मां काली की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है| विंध्यवासिनी मंदिर के दर्शन करने के बाद मैं आटो बुक करके अपने दोस्त के साथ सुबह छह बजे ही यहाँ पर पहुँच गया था| उस समय मंदिर में आरती हो रही थी | कुछ देर हम मंदिर के दरवाजे पर खड़े रहे| आरती के बाद हमें मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य मिला| यहाँ पर अपने साधन से या आटो बुक करके आ सकते हो|
3. अष्टभुजा मंदिर - यह मंदिर अष्टभुजी पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है| यह मंदिर सरस्वती माता को समर्पित है| यहाँ पर बहुत सारे श्रदालु पैदल चल कर भी पहुँच जाते हैं| यह खूबसूरत मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है| इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रोपवे से भी आ सकते हो| अपने साधन या आटो बुक करके भी आप अष्टभुजा मंदिर तक आ सकते हो | मंदिर में सरस्वती माता की मूर्ति विराजमान है|
4. गंगा घाट - विंध्याचल धाम में गंगा नदी गहरी और विशाल पाट वाली है| विंध्यवासिनी मंदिर के पास बाजार से होते हुए कुछ सीढ़ियों को उतर कर आप गंगा घाट पर पहुँच सकते हो| गंगा स्नान करके आप यहाँ बोटिंग भी कर सकते हो| यहाँ पर आप गंगा नदी के खूबसूरत दृश्य का आनंद ले सकते हो| यहाँ का वातावरण बहुत आलौकिक होता है|
अगर आप विंध्याचल धाम की यात्रा पर आए तो विंध्यवासिनी मंदिर, काली खोह मंदिर और अष्टभुजा मंदिर जाना मत भूले | इन मंदिरों में आप माँ लक्षमी, महाकाली और सरस्वती माँ के रूपों के दर्शन कर सकते हो|
कैसे पहुंचे- विंध्याचल धाम पहुंचने के लिए रेलवे मार्ग से विंध्याचल रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हो जो दिल्ली- हावड़ा मुख्य रेल मार्ग पर बना हुआ है| मिर्जापुर रेलवे स्टेशन विंध्याचल के बढिया विकल्प है जो यहाँ से मात्र 7 किलोमीटर दूर है| विंध्याचल धाम वाराणसी से 63 किमी, प्रयागराज से 85 किमी और मिर्जापुर से 7 किमी दूर है| आप बस मार्ग से भी यहाँ पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको यहाँ होटल और गैस्टहाऊस आदि मिल सकते हैं|