दुनिया कितनी भी एडवांस हो जाए पर मेलों का एक अपना ही चार्म है | नए-पुराने, बूढ़े-बच्चे, आदमी-औरत, अमीर-गरीब, सभी को लुभाते हैं ये मेले | मेला एक ऐसी जगह है जहाँ छोटे से छोटे घरेलू सामानों से लेकर बड़े-बड़े घरेलू आइटम मिल जाते हैं |
भारत में मेलों का इतिहास बहुत प्राचीन है |भारत ही नहीं बल्कि विश्व में लगभग हर देशों में मेलों का आयोजन होता है बस उनका स्वरूप अलग अलग हो जाता है | बाकी जगहों की तरह हमारे उत्तर प्रदेश में भी विभिन्न मेलों का आयोजन होता है |
तो आइए जानते हैं उत्तर प्रदेश में लगने वाले प्रसिद्ध मेलों के बारे में -
(1) कुंभ मेला - भारत में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने कुंभ मेला का नाम न सुना हो | प्रत्येक 12 साल में एक बार लगने वाला कुंभ मेला भारत के 4 स्थानों हरिद्वार, नासिक और उज्जैन के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भी लगता है | यह मेला गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम पर लगता है जहाँ संसार भर से लोग पवित्र स्नान करने आते हैं और पुण्य के भागी बनते हैं | इसे अब महाकुम्भ के नाम से भी जाना जाने लगा है | मेला के दौरान यहाँ की छटा अनुपम होती है | यहाँ हर 6 वर्ष में अर्द्ध कुम्भ मेले का भी भव्य आयोजन किया जाता है |
(2) नौचंदी का मेला - नौचंदी का मेला हर साल मेरठ जिले में आयोजित किया जाता है | इस मेले में एक तरफ माँ नव चंडी का मंदिर है वहीं दूसरी तरफ संत सैय्यद सालार की मज़ार है जिसके कारण यह मेला हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोगों के सौहार्द्र का परिचायक है | यह मेला भारत के बड़े मेलों में से एक है |
(3) शाकंभरी देवी का मेला - सहारनपुर जिले में लगने वाला यह मेला हर वर्ष आयोजित किया जाता है | यह मंदिर 51 प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है | यहाँ दूर-दूर से लोग अपनी मुरादें पूरी करने आते हैं | यहाँ प्रसाद के साथ-साथ सब्जियां चढ़ाने की मान्यता है |
(4) देवा शरीफ का मेला - यह मेला बाराबंकी जिले के प्रसिद्ध सूफी संत वारिस अली शाह की दरगाह पर हर वर्ष लगता है जिसे सभी धर्मों के लोग प्रेम और सद्भावपूर्वक मनाते हैं |
(5) बटेश्वर मेला - इस मेले का आयोजन आगरा जिले के बटेश्वर में होता है | यहाँ का पशु मेला भी बहुत प्रसिद्ध है | यहाँ लगने वाला मेला कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू हो जाता है |
(6) खिचड़ी मेला - यह मेला गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति को लगता है | यह मेला एक महिने तक चलता है | यहाँ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ बिहार और नेपाल से भी लोग आते हैं और बाबा गोरखनाथ को तिल और लड्डुओं का भोग लगाते हैं |
(7) नैमिषारण्य का मेला - नैमिषारण्य एक पौराणिक स्थान है जो सीतापुर जिले में स्थित है | कहा जाता है कि यहाँ भगवान विष्णु जी का सुदर्शन चक्र गिरा और एक सरोवर का निर्माण हुआ | कहते हैं कि इस सरोवर में पाताल लोक से पानी आता है जो कभी सूखता नहीं है | नैमिषारण्य को 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि माना जाता है | इसे मेले को अमावस्या का मेला के नाम से जाना जाता है |
(8) गढ़मुक्तेश्वर का मेला - हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान के साथ इस मेले की शुरुआत होती है | स्नान के समय यहाँ तंबुओं की एक नगरी स्थापित हो जाती है | यहाँ उत्तर प्रदेश के साथ-साथ आस पास के प्रदेशों से भी श्रद्धालु स्नान करने आते हैं | यहाँ भी एक पशु मेले का आयोजन होता है | गढ़मुक्तेश्वर एक पौराणिक महत्व का स्थान है | यहाँ मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर है | महाभारत काल में यह हस्तिनापुर की राजधानी हुआ करता था |
(9) गोविन्द शाह का मेला - आजमगढ़ से लगभग 50 km दूर अम्बेडकरनगर जिले की सीमा पर बाबा गोविन्द शाह धाम है जहाँ यह मेला मकर संक्रांति को लगता है जो 15 दिनों तक चलता है | यह मेला अपने गन्नों के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ गन्नों की खूब खरीद फरोख्त होती है | यहाँ गन्ना चढ़ाया जाता है और प्रसाद के तौर पर गन्ना ग्रहण भी किया जाता है | इस मेले में मिलने वाली एक मिठाई 'सोहन हलवा' का विशेष महत्व है |
(10) ददरी मेला - यह मेला भृगु नगरी कहे जाने वाले बलिया जिले में हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान के साथ शुरू होता है |यहाँ भारत का दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला लगता है | यहाँ दूर दूर से दुकानदार दुकान लगाने आते हैं | यह मेला महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि के सम्मान में आयोजित किया जाता है |
इन प्रसिद्ध मेलों के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में और भी विभिन्न प्रकार के छोटे बड़े मेलों और उत्सवों का आयोजन होता है |