उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर बसा आखिरी गांव माणा किसी स्वर्ग से कम नहीं है। भारत में प्रसिद्ध तीर्थस्थल बद्रीनाथ से कुछ ही दूरी पर मौजूद, माणा 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां की खुबसूरत वादियां अत्यंत मोहक लगती है और देखने वाला भी मंत्रमुग्ध हो जाता है। ये गांव चारों तरफ ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है, साथ ही यहां की हरियाली आंखों को सुकून पहुंचाती है। यहां छोटे-छोटे डिजाइन किए गए कॉटेज हैं, जहां रहने में तो आनंद आता ही है, लेकिन आसपास की आलू और राजमा की खेती यहां रहने का मजा दो गुना कर देगी। माणा ट्रैकिंग और कई झरनों, प्राकृतिक पुलों और गर्म झरनों से भी घिरा हुआ है।
उत्तराखंड में आप आजतक एक से एक बढ़कर खूबसूरत जगहों पर घूमे होंगे, लेकिन कभी आपने ऐसी जगह को एक्सप्लोर किया है, जहां से सीधा स्वर्ग का रास्ता दिखता हो या फिर खूबसूरत नजारा आपको मंत्रमुग्ध कर देता हो, जिसे देखने के लिए न केवल देसी पर्यटक बल्कि विदेशी पर्यटकों की काफ़ी भीड़ होती होती है।
माणा गांव एक संक्षिप्त कहानी है-
माना गांव के आसपास कई देखने लायक जगह मौजूद हैं। यहां सरस्वती और अलकनंदा नदियों का भी संगम देखने को मिलता है। साथ ही यहां कई प्राचीन मंदिर और गुफाएं भी हैं, जिन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ रहती है। गांव की ऊंचाई समुद्र तल से 18,000 फुट ऊंची है, जहां से वादियों की खूबसूरती देखने लायक है। बद्रीनाथ से तीन किमी की दूरी पर बसे इस गांव की सड़कें पहले कच्ची थी, जिस वजह से यहां लोगों को जाने में परेशानी होती थी, लेकिन अब यहां अच्छे मार्ग की सुविधा है।
सर्दियों में यहां रहने वाले लोग चले जाते हैं चमोली ।
बद्रीनाथ दर्शन करने वाले लोग आखिरी गांव माणा भी घूमने जरूर आते हैं। यहां ठंड भी अच्छी खासी देखने को मिलती है। बर्फ पड़ने की वजह से ये जगह बर्फ से ढकी रहती है, जिस वजह से यहां के स्थानीय लोग सर्दी शुरू होने से पहले नीचे स्थित चमोली जिले में चले जाते हैं। कहानी एक काल्पनिक लगती है परंतु है नहीं।
इस गांव में आने वाले लोग भीमपुल भी जरूर जाते हैं, ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाने के लिए इसी मार्ग को चुना था। यहां दो पहाड़ियां हैं, जिसके बीच में एक बड़ी खाई भी है, पांडवों के समय में इसे पार करना बेहद मुश्किल भी था। उस समय भीम ने यहां दो बड़ी-बड़ी शिलाएं डालकर पुल बनाया था। आज भी लोग इसे स्वर्ग जाने का रास्ते समझकर इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। ये एक काल्पनिक कथा ज़रूर है परंतु देखने में कोई स्वर्ग से कम नही लगता है। यहां की खूबसूरती किसी को भा जाती है। जहां हरे भरे वादियां और सफेद चादर से लिपटी वादियों आंखो को काफ़ी सुकून देती हैं।
माणा की आखिरी दूकान की चाय -
माणा में एक चाय की दूकान भी है, जिसके बोर्ड पर 'भारत की आखिरी चाय की दुकान' लिखा हुआ है। दूर-दूर से आने वाले लोग इस दूकान के सामने बड़े शौक से खड़े होकर फोटो खिचवाते हैं। इस गांव के आगे कोई रास्ता नहीं है, बस आगे आपको भारतीय सेना का देखने को मिल जाएगा।