बाली इंडोनेशिया में मैं अपनी फैमिली के साथ पांच रात और छह दिन के टूर पर गया था| इन पांच दिनों में बाली इंडोनेशिया के प्रसिद्ध मंदिर देखने का मौका मिला जैसे तनाह लोट मंदिर, बेदुगुल मंदिर और उलुवातू मंदिर आदि| यह तीनों मंदिर बाली इंडोनेशिया के पवित्र मंदिरों में आते हैं| बाली इंडोनेशिया में टूर के आखिरी दिन की यात्रा पर शाम को हम उलुवातू मंदिर को देखने के लिए गए| उस दिन सुबह अपने 4 स्टार होटल रामा बीच रिसोर्ट में ब्रेकफास्ट करने के बाद हम गरुड़ स्टैच्यू देखने के बाद कौफी के बागानों को निहारते हुए शाम को उलुवातु मंदिर पहुंचे थे| उलुवातु मंदिर को देखने के लिए बहुत सारे टूरिस्ट आते हैं| कोई भी टूरिस्ट जो बाली इंडोनेशिया घूमने आता है उसकी लिस्ट में उलुवातु मंदिर जरूर होता है| जब हम उलुवातु मंदिर के बाहर बनी हुई दुकानों के सामने बनी हुई पार्किंग में गाड़ी लगाने के लिए पहुंचे तो वहाँ गाड़ी पार्क करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी| इतनी भीड़ थी उलुवातु मंदिर के बाहर | खैर ड्राइवर ने हमें बोल दिया आप मंदिर देखने के लिए जाईये मैं जगह देखकर गाड़ी लगा दूंगा| मैं अपनी वाईफ और दो साल की बेटी नव किरन के साथ उलुवातु मंदिर के टिकट काउंटर पर पहुँच गया| उलुवातु मंदिर में प्रवेश के लिए आपको 30,000 इंडोनेशियाई रुपया की टिकट लेनी पड़ेगी जो भारतीय करंसी में तकरीबन 142 रुपये के आसपास बनती है| मैंने 60,000 इंडोनेशियाई रुपया देकर दो टिकट खरीदी अपनी और वाईफ की | टिकट चैक करवाने के बाद हम उलुवातु मंदिर कंपलैकस में प्रवेश कर गए| पत्थर के बने हुए साफ सुधरे रास्ते पर चलते हुए हम आगे बढ़ने लगे| थोड़ी दूर चलने के बाद हमें सीढ़ियों के रास्ते के ऊपर कुछ मंदिर दिखाई देने लगे जो उलुवातु मंदिर है| सीढ़ियों को चढ़कर हम उलुवातु मंदिर में पहुँच गए| आप उलुवातु मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकते | हमने भी बाहर से ही उलुवातु मंदिर को नमस्कार किया| बाली इंडोनेशिया में तनाह लोट, बेदुगुल और अब उलुवातु मंदिर के भीतर किसी भी टूरिस्ट को जाने की अनुमति नहीं| उलुवातु मंदिर बाहर से देखने से हिमाचल प्रदेश के दूर दराज ईलाके में बने लोकल देवी देवता के मंदिर जैसा लगता है| बाली इंडोनेशिया में उलुवातु मंदिर बहुत ही पवित्र जगह है| हमने उलुवातु मंदिर के बाहर से दर्शन करते हुए परिक्रमा करके फैमिली के साथ कुछ यादगार तसवीरें खिंचवाई | उलुवातु मंदिर समुद्र के किनारे पर 70 मीटर ऊंची चट्टान के ऊपर बना हुआ है| जैसे ही हम मंदिर की परिक्रमा करते हुए बाहर आए तो सामने जो दृश्य दिखाई दे रहा था वह मंत्रमुग्ध करने वाला था | शाम का समय था दूर दूर तक समुद्र दिखाई दे रहा था| हम ऊंचाई पर थे एक चट्टान के ऊपर जो 70 मीटर ऊंची है दूर नीचे समुद्र की लहरें तट के साथ टकरा रही थी|
उलुवातु मंदिर बाली इंडोनेशिया के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है| यह मंदिर बाली के दक्षिण पश्चिम दिशा में समुद्र के किनारे पर 70 फीट ऊंची चट्टान के ऊपर बना हुआ है| बाली की लोकल भाषा में वातु का अर्थ होता है- चट्टान और उलु का अर्थ होता है- किनारा| उलुवातु का अर्थ है चट्टान के किनारे पर बना हुआ मंदिर | आपको उलुवातु मंदिर कंपलैकस में बहुत सारे बंदर भी देखने के लिए मिलेगें| यहाँ के बंदर बहुत शरारती है जो आते जाते टूरिस्ट का सामान छीन लेते हैं| इनसे थोड़ा सावधान रहना चाहिए| वैसे अगर यह बंदर सामान छीन कर ले जाए तो उनको कोई खाने पीने वाली चीज देकर आप अपना सामान वापस ले सकते हो|
हम उलुवातु मंदिर के बाहर बहते हुए समुद्र को काफी देर तक निहारते रहे| समुद्र में दूर दूर तक जाहाज दिखाई दे रहे थे| ऊंचाई पर होने की वजह से आप वहाँ से समुद्र की लहरों को किनारे से टकराते हुए देख सकते हो| जब आप फुर्सत के कुछ पल निकाल कर कुदरत के अद्भुत नजारों का लुत्फ़ लेते हो तो जिंदगी कुछ समय के लिए एकदम थम जाती है| ऐसे ही खूबसूरत लम्हों के लिए घुमक्कड दूर दराज देश विदेश की यात्रा पर निकल पड़ता है| कुदरत के साथ एकमिक होने के लिए| कुछ समय कुदरत की गोद में बिताने के बाद हम मंदिर कंपलैकस से बाहर आ गए| अपनी गाड़ी में बैठ कर अगली मंजिल की ओर चल पड़े|