विद्वान रावण जिसे लंका पति भी कहा जाता है। रावण की पत्नी का नाम था मंदोदरी जो लंकापति की पहली पत्नी थी। जिसके बारे में रामायण में भी जिक्र मिलता है। रावण की दो और भी पत्नियां थीं. मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बेटी थीं.
एक मिथ के अनुसार मंदोदरी का संबंध मंडोर से था।
क्या आप को पता है यह मंडोर कहा है। कहते है मंडोर का नाम मंदोदरी के नाम पर ही पड़ा।
कहा है मंडोर
राजस्थान का जोधपुर शहर जिसे नीला शहर भी कहा जाता है, देश के अलग अलग जगहों से जुड़ा हुआ है, जोधपुर के रेलवे स्टेशन से 9 किलोमीटर की दूरी पर है-मंडोर।
पुराने समय में मंडोर का प्राचीन नाम ’माण्डवपुर’ था। यह पुराने समय में मारवाड़ राज्य की राजधानी हुआ करती थी।
राव जोधा जिसने जोधपुर शहर बसाया था उसके पहले मारवाड़ राज्य के सब काम मंडोर से होते थे। परंतु राव जोधा ने मंडोर को असुरक्षित माना। राव जोधा ने सुरक्षा को देखते हुए चित्र कूट पर्वत पर मेहरानगढ़ किले का निर्माण करवाया। ऐसे राव जोधा ने अपने नाम से जोधपुर को बसाया था । जोधपुर को मारवाड़ की राजधानी बनाया। मेहरानगढ़ किला राजस्थान के परमुख किले में से एक है।
वर्तमान में मारवाड़ की प्राचीन राजधानी मंडोर किले के शेष ही बाकी हैं, परंतु जो शैली के आधार पर बना था यह दुर्ग वो काबिले तारीफ़ है। इस दुर्ग में बड़े-बड़े पत्थरों को बिना किसी मसाले की सहायता से जोड़ा गया था।
छत पर निकाशकरी बहुत सुंदर है।
कहते है मंडोर पड़िहार राजाओं का गढ़ था। सैकड़ों सालों तक मंडोर से पडिहार राजाओं ने पूरे मारवाड़ पर अपना राज किया।
चुंडाजी राठोड की शादी पडिहार राजकुमारी से होने पर मंडोर उन्हे दहेज में मिला तब से मारवाड़ की प्राचीन राजधानी पर राठोड शासकों का राज हो गया।
मंडोर के अवशेषों से मारवाड़ की राजधानी की ठाठ बाठ को देखा जा सकता है। छतों की सुंदर निकाशकारी देखी जा सकती है। हम ठंड में गए थे जनवरी के महीने में,तब मंडोर के तालाब में कमल के सुंदर फूल खिले हुए थे, थोहर के लंबी लंबी झाड़ियां थी। , कुदरत अपना रंग दिखा रही थी। पूरी शांति थी, जहा पर कम लोग आते है।
आप भी आए मारवाड़ की प्राचीन राजधानी देखने मंडोर को।