बाड़मेर पश्चिम राजस्थान के थार मरूस्थल का एक जिला है| थार मरूस्थल की जीवनशैली को देखने के लिए जैसलमेर और बाड़मेर बहुत बढ़िया विकल्प है| जैसलमेर में आपको टूरिस्ट बहुत मिलेगें लेकिन बाड़मेर में आपको टूरिस्ट नहीं मिलेगें| दोस्तों घुमक्कड़ी के सफर मैं अगर एक रास्ता बंद हो जाए तो हो सकता है भगवान ने आपके लिए कोई खूबसूरत जगह ढूंढ कर रखी हो | मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ | पंजाब से राजकोट जाने के लिए मैं अक्सर शनिवार को शाम को जम्मू तवी- अहमदाबाद रेलगाड़ी पकड़ता हूँ और रविवार दोपहर तक अहमदाबाद पहुँच कर वहाँ से बस लेकर रात तक राजकोट अपने कालेज पहुँच जाता हूँ| अगले दिन सोमवार से मेरी कालेज में डयूटी शुरू हो जाती है| इस बार 12 नवंबर 2022 दिन शनिवार के लिए जब मैंने जम्मू तवी- अहमदाबाद रेलगाड़ी में सीट बुक करने के लिए साईट खोली तो उसके सीट वेटिंग में मिल रही थी| मैंने सोचा कोटकपूरा से जोधपुर तक किसी ओर रेलगाड़ी में चला जाता हूँ| फिर मैंने कोटकपूरा से जोधपुर के लिए 12 नवंबर 2022 सुबह 8.30 बजे की जम्मू तवी- जोधपुर रेलगाड़ी में सीट बुक कर दी| अब मेरा घुमक्कड़ी दिमाग घूमने लगा कि जोधपुर तो मैं शनिवार रात को आठ बजे पहुँच जायूगा| फिर वहाँ से रात की रेलगाड़ी से अहमदाबाद के लिए निकल जाता हूँ लेकिन पिछले तीन चार महीने से बाड़मेर दिमाग में घूम रहा था तो सोचा बाड़मेर की घुमक्कड़ी की जाए| सबसे पहले मैंने बाड़मेर से राजकोट तक पहुंचने के लिए बस देखी Goibibo पर | मैंने 13 नवंबर 2022 दिन रविवार को शाम को 6 बजे की बाड़मेर से राजकोट के लिए प्राईवेट बस में सीट बुक कर दी | फिर मैंने जोधपुर से बाड़मेर के लिए रेलगाड़ी देखी तो शनिवार 12 नवंबर 2022 को रात को 11 बजे की रेलगाड़ी में सीट बुक कर दी| इस तरह मैं कोटकपूरा पंजाब से सुबह रेलगाड़ी से शाम को जोधपुर पहुँच गया| जोधपुर में डिनर के साथ मावा कचौरी का आनंद लेने के बाद मैं रात को 11 बजे जोधपुर से रेलगाड़ी से अगले दिन सुबह चार बजे बाड़मेर पहुँच गया| बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर ही फ्रैश और तैयार हो कर मैं सुबह चार बजे से लेकर छह बजे तक रेलवे स्टेशन पर ही बैठा रहा| छह बजे बाड़मेर रेलवे स्टेशन से बाहर आया तो बाड़मेर से मेरे दोस्त संजय जैन भाई का फोन आया| फिर उनसे फोन पर बात हुई| संजय भाई 6 बजे मुझे बाड़मेर घुमाने के लिए अपनी सकूटी लेकर रेलवे स्टेशन पर आ गए| इस तरह बाड़मेर में संजय भाई ने गरमजोशी से मेरा सवागत किया|
बाड़मेर_में_घुमक्कड़ी
सबसे पहले संजय भाई और मैं बाड़मेर के किले में एक ऊंची पहाड़ी पर बने हुए जोग माया गढ़ मंदिर के दर्शन करने के लिए गए| बाड़मेर रेलवे स्टेशन से संजय भाई की सकूटी में बैठ कर बाड़मेर की गलियों में घूमते हुए हमने एक हलवाई की दुकान पर मेरा सामान रख दिया | यह हलवाई संजय भाई का दोस्त था | फिर हमने थोड़ी देर बाद एक गली में सकूटी को लगा दिया जहाँ से आगे सीढ़ियों को चढ़कर जोग माया मंदिर जाना था| जोग माया मंदिर के लिए 400 के आसपास सीढ़ियों को चढ़ना होता है| मैं और संजय भाई धीरे धीरे सीढ़ियों पर चढ़ने लगे| जोग माया मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है| कुछ ही देर बाद हम थोड़ी ऊंचाई पर आ गए थे जहाँ से बाड़मेर शहर का अद्भुत दृश्य दिखाई देने लगा | सुबह का समय था सूर्य भी चढ़ने वाला था | मंदिर से पहले हमने एक जगह पर रुक कर चढ़ते हुए सूरज की कुछ खूबसूरत तस्वीरें खींची | फिर हम जोग माया मंदिर में प्रवेश कर गए| हमने जोग माया मंदिर के दर्शन किए | माता की मूर्ति की तस्वीर आप नहीं खींच सकते| मंदिर में बहुत आलौकिक शांति महसूस हो रही थी| उस समय मंदिर बिलकुल खाली था सिर्फ पुजारी था | हमने कुछ समय मंदिर में बैठ कर बिताया और फिर हम सीढ़ियों को उतरते हुए वापस वहीं आ गए जहाँ संजय भाई ने अपनी सकूटी पार्क की थी|
महाबार_मरुस्थल
फिर हम सकूटी पर सवार होकर बाड़मेर शहर से बाहर महाबार मरुस्थल की ओर चल पड़े | बाड़मेर की सड़कों पर गुजरते हुए हम कुछ देर बाद शहर से बाहर अहमदाबाद जाने वाले हाईवे पर सकूटी से आगे बढ़ने लगे| कुछ देर बाद हाईवे से एक छोटी सड़क की तरफ मुड़कर हम महाबार मरुस्थल के टीले के पास पहुँच गए| महाबार मरुस्थल के टीले के बिलकुल नीचे एक छोटी सी खाई बनाई गई है तांकि लोग अपने वाहन मरुस्थल टीले के ऊपर न ले जाए| हमने भी सकूटी पार्क की ओर महाबार मरुस्थल टीले के ऊपर चढ़ने लगे| हमारे देश भारत की खुशकिस्मती है कि हमारे पास उत्तर में हिमालय पर्वत है, फिर गंगा- सतलुज के ऊपजाऊ मैदान, राजस्थान में थार मरुस्थल, सागर के खूबसूरत तट और नार्थ ईस्ट में वर्षा वन आदि सब कुछ है| जैसे ही मुझे कुदरत के इस अनमोल खजाने से रुबरु होने का मौका मिलता है तो दिल बागो बाग हो जाता है| महाबार मरुस्थल के टीले पर चढ़ते हुए भी ऐसा ही महसूस हो रहा था| सुबह सुबह मरुस्थल का टीला और खिली हुई धूप अच्छी लग रही थी| हमने यहाँ पर काफी तस्वीरें खींची| संजय भाई ने 9 बजे जोधपुर जाना था | मरुस्थल की फीलिंग लेते हुए हम वापस बाड़मेर पहुँच गए| संजय भाई ने मुझे बाड़मेर की मशहूर जलेबी खिलाई और उपहार के रूप में बाड़मेर का प्रसिद्ध नमकीन दिया| फिर मुझे बाड़मेर के रेलवे स्टेशन के पास छोड़ दिया| फिर मैं बाड़मेर के आसपास की जगहों को देखने के लिए आगे बढ़ गया|
कैसे पहुंचे- बाड़मेर शहर राजस्थान के जोधपुर से तकरीबन 200 किमी, जैसलमेर से 157 किमी, राजधानी जैपुर से 532 किमी और गुजरात के अहमदाबाद से 380 किमी दूर है| बाड़मेर रेलवे मार्ग से जोधपुर, बीकानेर, जैपुर आदि शहरों से जुड़ा हुआ है| आप राजस्थान के अलग अलग शहरों से बस पकड़ कर भी बाड़मेर आ सकते हो| बाड़मेर में रहने के लिए आपको हर बजट के होटल मिल जाऐगे|