अभी हाल ही मे मैने त्रिपोतो के माइंडफुल रिट्रीट के पैकेज के माध्यम से ऋषिकेश के नेचर केयर विलेज को विजिट किया । तो बिना किसी लाग लपेट के , एक दम सच सच
ब्यौरा दर ब्यौरा आपको पूरी निष्पक्ष जानकारी मुहैया करवाने का मेरा पूरा प्रयास रहेगा ।
तो शुरुआत करते है । ...
इस बार मैं अपनी मां के साथ ट्रैवल कर रहा था । काफी समय से मां के साथ कही गया भी नही था । हालाकि हरिद्वार ,ऋषिकेश तो पहले भी कई बार जा चुका हु ।
सोचा इस बार मां के हिसाब से यात्रा करेंगे । रीलैक्स मोड़ में
प्राय हम जब अकेले या दोस्तो के साथ यात्रा करते है तो
बहुत भागम भाग होती है । यहां जाओ , वहा जाओ, यह देखो , वो देखो , सुबह सुबह जल्दी भागो , रात को लेट नाइट होटल वापस आओ , इत्यादि
तो अगर परिवार के लोगो के साथ ट्रैवल करनी हो तो
जिम्मेदारी थोड़ी बढ़ जाती है । सब कुछ अच्छा होना चाहिए , रास्ते में ,होटल में सब कुछ ठीक हो , खाना अच्छा हो , इत्यादि तो उस हिसाब से अगर देखू तो मेरा त्रिपोटो के साथ अनुभव बहुत अच्छा रहा । यात्रा के अंत में मैने मां से पूछा तो वो खुश थी । उन्हें सब अच्छा लगा ।
पहले कुछ तस्वीर देखिए फिर आगे बढ़ेंगे।
तो शुरुआत करते है । यहां पहुंचने से। में पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर कर रहा था । पहले मैं हरिद्वार पहुंचा । यहां से अब मैं एक ऑटो के माध्यम से हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच एक जगह नेपाली फार्म पहुंचा । अभी यहां से भी नेचर केयर विलेज लगभग 10 किलोमीटर था । मैने एक और ऑटो रिक्शा हायर किया जिसने मुझे मेरी मंजिल तक पहुंचा दिया
हरिद्वार – ऋषिकेश के लगभग बीच में एक जगह है चिद्दार वाला यहां पर यह जगह नेचर केयर विलेज स्थित हैं।
जब मैं यहां आया तो मुझे लगा की में अपने किसी रिश्तेदार के यहां गांव में आया हुआ हु । मुख्य शहर से दूर राजाजी नेशनल पार्क के पास , सॉन्ग नदी के किनारे यह जगह स्थित है । हम जैसे शहरों में रहने वाले के लिए यह एक स्वर्ग सरीखी जगह है । इतनी शांति, इतनी हरियाली , बेहद ही खूबसूरत और आकर्षक थी ।
अब यहां पहुंचने पर सबसे पहले हम यहां के ओनर से मिले
ओनर आंटी का पूरा परिवार यहां पर देख रख में है । आस पास के सभी खेत खलिहान और प्रॉपर्टी उन्ही की है ।
ओनर परिवार ने हमारा वेलकम बड़ी गर्म जोशी से किया । उनसे मिलने के बाद उन्होंने हमे हमारा कमरा दिखाया जहां पर हमे अगले दो दिन रहना था ।मुंह हाथ धोकर थोड़ा फ्रेश होकर हमने पूरी प्रॉपर्टी का अवलोकन किया । थोड़ी देर में आंटी जी ने दोपहर के खाने के लिए बुला लिया । उन्होंने बड़े प्यार से खाना खिलाया । खाना बेहद ही स्वादिष्ट था । खाने के बाद मैं और मां थोड़ा खेतो की तरफ खूमने निकाल गए । मैने तो इतनी खुली और हरी भरी जगह काफी दिनो बाद देखी थी मुझे तो बहुत मजा आया । बाद में आंटी जी बात करके पता चला की आस पास के सभी खेत खलिहान भी उन्ही के है । पास ही में डेयरी फार्म और मुर्गी फार्म भी उन्ही का है । हमारे पास वाले कमरों में कुछ विदेशी मेहमान भी रह रहे थे खाने के दौरान थोड़ी उनसे भी बात हुई । उन लोगो ने भी शहर की भीड़ भाड़ को छोड़ यहां ये जगह चुनी रहने के लिए । इन सब में ही पूरा दिन निकल गया ।
अगले दिन सुबह मैं और मां घूमने निकल पड़े । हम लोगो ने पास में नदी पर समय व्यतीत किया । नदी पार भी की पानी काफी कम था । वापस आकर हमने अच्छा सुबह का नाश्ता किया । अब हम आज के लिए ऋषिकेश के नीर वाटरफॉल के लिए निकलना था । हमारा आज का स्टे वही पर था कैंप शिविर में । लेकिन मुझे ओनर ने बताया की वहा पर थोड़ी चढ़ाई होगी आपकी माताजी को प्रॉब्लम हो सकती है । तो हमने वहा न जाने का फैसला लिया। और हमने यही कॉटेज में रुकने का निर्णय लिया आस पास खूब घूमे , मां तो बहुत खुश थी । इतनी खुली जगह पर रहने का अपना अलग ही मजा है ।
दोपहर के भोजन के बाद मैने और मां ने गुन गुनी धूप में आराम भी किया । एक बात तो है।
"" सर्दियों में अच्छे खाने बाद मगरमच्छ की तरह आराम करने को ही हमारे शास्त्रों में परम आनंद कहा गया है बाकी सब तो मोह माया हैं ""
रात्रि भोज में भी आंटी जी ने बढ़िया खाना खिलाया । उनका व्यवहार मुझे बहुत अच्छा लगा । उन्होंने मुझसे कहा तुम आज वाटरफॉल देखने चले जाते मैं और तुम्हारी मम्मी यही पर रह लेते उन्हें कोई प्राब्लम नही होती ।
मुझे उनका यह कहना बहुत अच्छा लगा । लेकिन मैं मां को अकेला नही छोड़ना चाहता था इसलिए आज कॉटेज पर ही रहा । मां के साथ खूब बाते की । उन्होंने मुझे अपने बचपन की काफी सारी कहानियां भी सुनाई।
दो दिन कैसे गुजर गए पता भी नही चला ।
मां के साथ यह यात्रा यादगार बन गई।
कभी कभी हम घर पर होते हुए भी परिवार के साथ बैठ नही पाते । मोबाइल फोन , टीवी, टेक्नोलॉजी , इंटरनेट ने हमे काफी दूर कर दिया है । मैने इन पूरे दो दिन में ज्यादा फोन का इस्तेमाल नही किया और यहां पर टीवी भी नही था । तो 2 दिन मैं पूरा अपनी मां के साथ रहा । खूब बातें की । साथ में घूमे फिर , अच्छा समय बिताया , अच्छा खाना खाया , शोर गुल से दूर रहे , अच्छे साफ सुथरे वातावरण में रहे ।
और क्या चाहिए था । यहां के ओनर की मेहमान नवाजी ने दिल जीत लिया । वापस आते हुए हमने सोचा क्यों न गंगा जी में डुबकी लगाई जाए तो हम आ गए हर की पैड़ी हरिद्वार । यहां पर कुछ अच्छा समय बिताया गंगा स्नान किया और वापस आ गए अपने घर ।
मैने मां से पूछा की सब कुछ कैसा रहा तो उन्होंने सकारात्मक ही जवाब दिया । वो खुश थीं ।
इस पूरी यात्रा में सबसे अच्छी बात यह रही की मुझे ज्यादा कुछ करना नही पड़ा । सब कुछ पहले से ही प्लान था ।
तो अगर आप भी परिवार के साथ कही जाने की सोच रहे है तो आप भी त्रिपोटो के माइंडफुल रिट्रीट को चुन सकते है ।
मेरा अनुभव तो शानदार रहा आशा करता हु आपका भी रहेगा ।