उदयपुर का 'प्रताप गौरव केंद्र'
उदयपुर, यह बलिदानों का शहर है। स्वाभिमान का शहर है. संघर्ष करने वालों का शहर है। त्याग और तपस्या की नगरी है. पन्ना धाय और हाडी रानी की नगरी है। इसकी मिट्टी के कण - कण से महाराणा प्रताप के पराक्रम की गाथा सुनाई देती है। चेतक के टापों की बुलंद आवाजें, आज भी रात के सन्नाटे में कानों के इर्दगिर्द घूमती रहती है। इस शहर ने पराक्रम की इस विरासत को संभालने का एक सुंदर सा प्रयास किया है। इस प्रयास का नाम है - 'प्रताप गौरव केंद्र'।उदयपुर शहर से बस चार - छह किलोमीटर दूरी पर, अरावली के पहाड़ों की पृष्ठभूमि में यह विशाल गौरव स्थल, राजपुताना के पराक्रम को जीवंत कर दिखाता है।
प्रताप गौरव केंद्र "राष्ट्रीय तीर्थ" दर्शनीय स्थल है जो भारतीय राज्य राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। इसका आरम्भ वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति ने किया था, जिसका लक्ष्य यह रखा गया कि लोग महाराणा प्रताप के बारे में और मेवाड़के बारे में ऐतिहासिक जानकारी पा सकें।इसी के साथ ये आने वाले पर्यटकों को समस्त भारतवर्ष की सांस्कृतिक एकता के भी दर्शन करवाता है, जिससे उनमे भारत भक्ति की भावना पैदा हो और इसीलिये यह एक राष्ट्रीय तीर्थ है।
अरावलीके अत्यन्त सुरम्य पहाड़ों के बीच स्थित महाराणा प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप की 57 फीट उंची प्रतिमा यहां की सबसे ज्यादा शान बढ़ाती है। साथ ही यहां भारत माता का मंदिर और अखण्ड भारत के सांस्कृतिक सौंदर्य एवं गौरव के यशोगान के लिए " भारत दर्शन" के नाम से लाइट एन्ड साउंड शो दिखाया जाता है।
केंद्र के एक हिस्से में मैकेनिकल शो दिखाया जाता है, जिसमे विभिन्न प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से मेवाड़ के वीरों, सपूतों, वीरांगनाओं के त्याग, बलिदान, साहस, शौर्य, भक्ति और राष्ट्रप्रेम की प्रेरणा को दर्शाया जाता है। देशभक्ति का भाव जगाने के लिए डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की गई है।