शीर्षक पढ़कर आप में से कुछ लोग जरूर सोच रहे होंगे की लेखक जरूर पागल हो गया है। या बौरा गया है । दिल्ली जैसे मैदानी क्षेत्र में वाटरफॉल अर्थात् झरना कैसे आ गया ।
प्राय हिमालय क्षेत्र में उत्तराखंड , हिमाचल , कश्मीर इत्यादि जगहों पर तो झरना देखना आसान सी बात है ।
लेकिन मैं एकदम सच बता रहा हु । सोलह आने सच
अब दिल्ली ( एन सी आर ) के लोगो को वाटरफॉल देखने के लिए पहाड़ों में नही जाना पड़ेगा ।
दक्षिणी दिल्ली में स्थित असोला भट्टी अभयारण्य में नीली झील के पास कृत्रिम रूप से तैयार 4 झरने बनाए गए है ।
इसमें पंप के माध्यम से पानी ऊपर की तरफ लाया जाता है ।फिर यह पानी ही झरने के माध्यम से वापस झील में लौट आता है ।
पहले कुछ पिक्चर देख लीजिए आप लोगो को थोड़ा बहुत तो यकीन आ ही जायेगा ।
अब तो शायद आपको यकीन आया होगा की में झूठ नही बोल रहा था।
दक्षिणी दिल्ली में तुगलकाबाद एरिया के पास
असोला भट्टी अभ्यारण्य में स्थित नीली झील है ।
इसी झील के ऊपरी हिस्से में यह झरने बनाए गए है ।
दिल्ली अपने आप में परिपूर्ण शहर है । यहां क्या नही है ।
आकर्षक खान पान, इतिहास , कला संस्कृति, यहां के लोग , इत्यादि। सरकार ने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए
नीली झील पर 4 झरनो का निर्माण करवाया है ।
यह जगह अब एक पिकनिक स्पॉट के तौर पर विकसित की जा रही है । आप परिवार या दोस्तो के साथ एक अच्छा दिन गुजार सकते है । वाटरफॉल देखना अपने आप में ही सुखद अहसास होता है। यहां झरने की ऊंचाई लगभग 100 फुट है । और देखने में भी काफी आकर्षक है ।
यहां आप प्रकृति के साथ साक्षात्कार कर सकते हो। झील का दृश्य भी काफी मनमोहक है । निश्चित तौर पर यहां आकर आपको अच्छा लगेगा ।
आशा करता हु आपको जानकारी अच्छी लगी होगी ।
तो दिल्ली वालो कब जा रहे हो वाटरफॉल देखने
और अपना अनुभव मुझे जरूर बताएं।
कैसे पहुंचे – अगर आप दिल्ली या आस पास से है तो
आसानी से बस , कैब मेट्रो से तुगलकाबाद आ सकते है
इसी के पास
असोला भट्टी अभ्यारण्य है । यहां अंदर आकर ही आप
नीली झील के पास इन झरनों को देख सकते है ।
हरा भरा वातावरण, स्वच्छ झील, जीव जन्तु, झरने
एक आदमी को खुश रहने के लिए भला और क्या चाहिए ।