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वासुकि ताल में हम 8 सितम्बर को ही पहुँच चुके थे, हमारे एक साथी को सर दर्द और उल्टी की समस्या हो रही थी। हमने निर्णय लिया अगले 2 दिन तक वासुकी ताल में ही रुका जायेगा अक्कलेमेटाइजेशन के लिए। 9 और 10 तारीख को वासुकि ताल रुकना हुआ इस दौरान आस पास की जगह घूमना हुआ साथ में एक 5600 मीटर की पंचशूल चोटी पर आरोहण भी किया। उन 2 दिनों में मौसम बिल्कुल साफ था।
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10 की रात से ही पूरा मौसम बदल गया। बर्फबारी शुरू हो चुकी थी। जो लगतार होती रही। 11 को हमको आगे की ओर निकलना था। लेकिन बर्फबारी बहुत हो रही थी। 14 तक लगातार बर्फ गिरती रही। 15 को मौसम थोड़ा सा सही लगा तो हमारे शेरपा लोग चल दिए आगे की ओर। उनके साथ मैं भी चल दिया। हमारे पास रोप, रेडी टू ईट खाना, मैगी, बिस्किट्स और नमकीन थी। साथ ही क्रैम्पोन, कपलास शूज आइस पिटोन्स, आइस एक्स, आइस शोवेल भी थे।
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दिन में ही हम कैंप 1 तक पहुँच गये। सामान कैंप 1 में ही छोड़ कर हम 2 लोग मैं और यश वापस आ गये। हमारे शेरपा लोग वहाँ ही रुक गये। उनका काम था अगले दिन कैंप 2 और समिट तक रोप फिक्स करना।
16 को मौसम आधे दिन तक सही था जिसमें हमारे शेरपा लोगों ने कैंप 1 से करीब करीब कैंप 2 तक रोप फिक्स कर ली थी। लेकिन फिर मौसम बहुत ख़राब हो गया जिसके कारण शेरपा टीम को वापस कैंप 1 आना पड़ा। हमारी बाकि की टीम अभी भी वासुकि ताल में ही रुकी थी।
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17 की सुबह 10 बजे अब हमने निर्णय लिया की हमारी सारी टीम आज कैंप 1 के लिए जाएगी। रात को कैंप 1 में रुक कर अगले दिन कैंप 2 को जाना था।
11 बजे हमने वासुकी ताल से कैंप 1 के लिए चलना शुरू कर दिया। आसमान में बादल ही थे। 4 घंटे चलने के बाद कैंप 1 जिसकी हाइट 5300 मीटर थी पहुँच गये। मौसम अब और ज्यादा ख़राब हो गया था। पुरे आसमान में बादल ही बादल छाए हुए थे। कैंप 1 पूरा ग्लेशियर के ऊपर है। ग्लेशियर के ऊपर ही हमने अपना टेंट लगा लिया। मौसम खराब था लेकिन अभी भी तक बर्फ बारी नहीं हो रही थी। हमारी शेरपा टीम का भी टेंट हमारे साथ ही लगा हुआ था।
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रात को जल्द ही खाना खा कर हम लोग करीब 8 बजे तक सो गये। सोने के बाद से ही बर्फ बारी शुरू हो गयी। 5300 मीटर पर रात को बर्फ पड़ना आपकी जान को खतरे में डाल सकता है। बीच बीच में टेंट को झाड़ना पड़ रहा था। बर्फ और तेजी से गिरना शुरू हो गया। 12 बजे तक टेंट झाड़ते ही रहे। अब खतरा ज्यादा बढ़ गया था। लगातार बर्फबारी से हमारे ऊपर जो सतोपंथ ग्लेशियर था उसके खिसकने का भी खतरा था।
लगातार बर्फ गिरने से हमारा एक टेंट भी टूट गया। रात को 1 बजे के आस पास सभी लोगों की सहमति से हमने वापस लौटने का निर्णय लिया। जितना सामान हो सकता था वापस ले लिया और बाकि सामान वहाँ ही छोड़ दिया। बर्फ गिर रही थी पूरा वाइट आउट हो गया था जिसके कारण रास्ता दिखाई ही नहीं दे रहा था।
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हेड लाइट से और फॉग सामने ही आ जा रहा था। 3,4 बार हम रास्ता भटक भी गये लेकिन जैसे तैसे सुबह 5 बजे के आस पास हम वासुकि ताल वापस आ गये। हमारे टीम के कुछ लोग वासुकि ताल में ही रुके हुए थे। ब्रेकफास्ट करने के बाद उस दिन ही यानि की 18 सितम्बर को हम लोग गंगोत्री के लिए चल दिए। शाम तक हम गंगोत्री भी पहुँच गये।
जो रास्ता जाते समय हमने 4 दिन में पूरा किया वो ही रास्ता वापसी में बर्फ बारी में भी हम लोगों ने एक ही दिन में पूरा कर लिया। हम लोगों का निर्णय बहुत ही अच्छा था जो सही समय में हम लोग कैंप 1 से वापस आ गये। नहीं तो आप ये सतोपंत सीरीज नहीं पड़ पाते।
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