हनुमान हमारे दुश्मन

Tripoto
16th Oct 2022
Photo of हनुमान हमारे दुश्मन by Pankaj Mehta Traveller
Day 1

        नमस्कार दोस्तों हनुमान जी जिनको हम न जाने कितने नामों से जानते हैं। हनुमान जी का एक नाम संकटमोचन भी कहा जाता है। क्या आपको पता है भारत में एक गाँव ऐसा भी है, जो भगवान हनुमान को संकटमोचन नहीं बल्की उनके लिए संकट बढ़ाने वाला मानता है।

   उस गाँव के लोग हनुमान जी से बहुत ही नफरत करते हैं और उनको अपना दुश्मन मानते हैं। आखिर क्यों और कौन सा है ये गाँव? आपके अंदर भी ये ही सवाल उठ रहा होगा।

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         ये गाँव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। इस गाँव का नाम है द्रोणागिरी। इस गाँव के अंदर हनुमान जी का नाम लेना भी माना है। यहाँ पर आप हनुमान जी की फोटो और ताबीज भी नहीं ले कर जा सकते। अगर आपने ऐसा कोई काम किया भी तो आपका बिना पिटे उस गाँव से वापस आना संभव नहीं है।आखिर क्यों इस गाँव के लोग इतनी नफरत करते हैं,हनुमान जी से?

Photo of हनुमान हमारे दुश्मन by Pankaj Mehta Traveller
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         आपको ले चलते हैं रामायण काल में। राम और रावण युद्ध के दौरान जब लक्ष्मण जी को मेघनाद की शक्ति लग गयी थी और लक्ष्मण जी मूर्छा में चले गये थे। तब उनको ठीक करने के लिए संजीवनी बूटी की जरुरत थी।
   

        उस समय हनुमान जी इस द्रोणागिरी गाँव आये और उन्होंने यहाँ गाँव की एक वृद्ध महिला से पूछा संजीवनी बूटी कहाँ मिलेगी। तब उस महिला ने पास में स्थित द्रोणागिरी पर्वत की ओर ईशारा कर दिया।

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      हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत की ओर गये। बहुत देर तक हनुमान जी ने वहाँ संजीवनी बूटी की खोज की। हनुमान जी को पता था संजीवनी बूटी रात को चमकती है लेकिन उस जगह ओर और भी बहुत सी जड़ी बूटी रात को चमक रही थी। लक्ष्मण जी की जान बचाने के लिए हनुमान जी को संजीवनी बूटी ले कर सुबह होने से पहले लंका पहुँचना था।देर न हो जाय और कुछ समझ न आने पर हनुमान जी पूरा द्रोण पर्वत ही उठा कर ले गये।

     इस गाँव के लोग पर्वतों की पूजा करते थे और भगवान हनुमान जिस पर्वत को ले कर गये वो इस गाँव के पर्वत देवता के शरीर का एक अंग था। आज भी वहाँ द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा है जो लाल रंग का है। जिसको ये माना जाता है हनुमान जी पर्वत देवता के इस अंग को ही ले गये थे और उस जगह से आज तक भी खून आता है। इसलिए ही इस गाँव के लोग हनुमान जी को अपना दुश्मन मानते हैं।

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     द्रोणागिरी पर्वत की हाईट 7066 मीटर है और बहुत सालों से आरोहण के लिए बंद होने के बाद इस साल उत्तराखंड सरकार ने इसको आरोहण के लिए खोल दिया है।

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