कभी-कभी मुझे लगता है कि यात्रा के दौरान हमारे सामने आने वाले कुछ अनुभवों को सामने रखना मुश्किल है। यह अनुभव जो आपको बेबाक कर देता है, न जाने क्या-क्या बोलें या लिखें। यह भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्दों को खोजने के लिए लड़ने जैसा है। लेकिन सटीक स्वर में योग करने में असमर्थ हो जाता हुं। परंतु फिर भी कोशिश करके एक अनुभव को शब्दों के माध्यम से परोस रहा हुं।
पैराग्लाइडिंग के अनुभव को बताने की कोशिश कर रहा हूं। कि हमने हिमांचल में पेराग्लाडिंग किया। यहां शांति और सुंदरता से भरा हुआ है।
यहीं हिमान्चल प्रदेश में ही विश्व प्रसिद्ध पैराग्लैंडिग प्वाइंट है । जिसे बीर बिलिंग पैराग्लाइडिंग के लिए एशिया का सबसे ऊंचा स्थान है और भारतीय और विदेशी दोनों पायलटों के बीच एक प्रसिद्ध साइट है। यह जगह दुनिया के बेहतरीन एयरो स्पोर्ट्स साइट्स में से एक है जो कई दुनिया को व्यवस्थित करती है
दुनिया में कई विश्व चैंपियनशिप आयोजित किए जाते है। उन्ही*चैंपियनशिप की मेजबानी बिलिंग पैराग्लाइडिंग* द्वारा किया गया है, और इसमें दुनिया भर से पेशेवर पायलट भाग लेते हैं।
बात 2019 की है, जिस साल हमने पैराग्लाइड किया और अपने अंदर के डर को जैसे तैसे कम किया। तो मैं साझा करता हूं कि जब मैं हवा में था, तो एक उड़ने वाले पक्षी की तरह महसूस कर रहा था। क्योंकि जब कभी मायूस, या किसी कारण दुखी होता तो अक्सर आसमां को ताड़ता और मन मन ही यही सोचता काश! हम भी इस दुख भरे जंजाल से मुक्त हो जाएं। सो आज वो भी सपना पूरा हो गया।
मेरी बाहें ऐसी खुली जैसे पक्षी के उड़ते पंख, धरती से ऊंचाई पर ठंडी हवाएं महसूस किया और मन को मानो सुकून मिल गया हो। तो वहीं एक मन में डर भी बना रहा।लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं उड़ पाऊंगा। बड़ी हिम्मत करने के बाद जब उड़ने की ढाणी तब कहीं खुशी के पल को जी पाया। और जिस समय मैंने आकाश को परखने का फैसला किया! तब शरीर का अंग अंग भड़कने लगा जैसे अब तो आर या पार हो जाएगा । यानी कहीं तो यमराज का सामना करना न पड़ जाएं। 😁😁😁😁........
मैने असमान से नीचे का मनोरम दृश्य देखा , जो काफ़ी सुंदर शांती पूर्ण नज़ारा देखने को मिला । घाटी, बहुत नीचे होने के कारण देखने को हिम्मत नही होती परंतु जब मैंने नीचे देखने के लिए एक गहरी सांस ली। और सुंदर दृश्य देख पाए। और मैंने देखा कि लाखों पेड़ फंस गए हैं और आसमान नीले, सफेद बादलों और बर्फ से रंगा हुआ है। और मुझे लगा कि जमीन मुझसे मिलने के लिए दौड़ पड़ी है । क्यूंकि जब आसमां के बाहों से धरती की गोद में आ रहे थे जैसे लगता कोई जबरजस्ती खिंच रहा हो। और दिल की धड़कन तेज हो गई मानो अब तो गए लेकीन मेरे दिल ने मुझसे जोर से कहा, ये तो अब सुरूवात है।
*कब और कैसे जाएं*
वैसे तो हिमांचल जाने के लिए दिल्ली से वोल्वो जाती हैं जोकि 10 –12 hrs में पहुंचा देती है।
बाय ट्रेन दिल्ली से कालका , उसके बाद बस कैब या फिर लोकल बस।
जाने को यहां किसी भी समय जा सकते हैं। पंरतु जनवरी को छोड़ कर कभी भी पैराग्लैंडिंग करने जा सकते है।