सूर्य पुत्र कर्ण से जुड़ी छठ पूजा का महत्व जानने के लिए, बिहार की इन जगहों को एक्सप्लोर करें!

Tripoto
7th Oct 2022
Photo of सूर्य पुत्र कर्ण से जुड़ी छठ पूजा का महत्व जानने के लिए, बिहार की इन जगहों को एक्सप्लोर करें! by Sachin walia
Day 1

भारत जैसे समृद्ध देश में बहुत से राज्यों की भाषाएं अलग अलग ही बोलीं जातीं हैं और बात हो पूजा पाठ की तो, इसमें भी अपने अपने संस्कारों और धर्म के अनुसार ही पूजा की जाती है। आज हम ऐसी ही एक पूजा की बात करने जा रहे हैं जो पूरे उत्तर भारत में मुख्यतः बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में बहुत ही धूमधाम से मनाई जाती है।
इस चार दिवसीय पूजा का महत्व हमारे प्राचीन हिन्दू धार्मिकता से जोड़ा जाता है। छठ पूजा का महा उत्सव दिवाली के छठे दिन से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। पूजा के दौरान भक्त लोग सूर्य भगवान की पूजा करते हैं। इस महा पूजा में सम्मिलित होना बहुत ही सौभाग्य की बात होती है।

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छठ पूजा मनाने का महत्व

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अब यह सवाल बहुत से लोगों का होगा। आखिर इस पूजा को मनाने का महत्व क्या है। आपको बता दें कि छठ पूजा का विशेष महत्व है। इस पूजा में विशेषकर सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इस पूजा से मिलने वाला फल, परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य, घर की समृद्धी और खुशियों से है।

छठ पूजा को महा पूजा बोलने का मुख्य कारण

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छठ पूजा को सफ़लतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए बेहद कठिन नियम अपनाने पड़ते हैं जो हर किसी के लिए इतना आसान कार्य नहीं है। इस चार दिवसीय छठ पूजा को करने के लिए आपको पूरे चार दिन, बिना खाना खाए रहना पड़ता है। यानी कि चार दिन उपवास में रहना पड़ता है।

यहाँ तक कि आप पानी भी ग्रहण नहीं कर सकते। फिर भी घर की महिलाएं इस चार दिवसीय कठिन पूजा को सफ़लतापूर्वक संपन्न भी कर देती हैं। इसके साथ ही उपवास के इन चार दिनों तक आपको पवित्र स्नान, पानी में खड़े होकर उगते सूरज को जल अर्पित करना रहता है। घाट पर होती इस पूजा के समय का खूबसूरत मंज़र देखने लायक होता है।

छठ पूजा मनाने के पीछे का प्राचीनतम इतिहास

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छठ पूजा को मनाने के पीछे की कई रोचक बातें हैं जिसमें छठ पूजा को महानतम पूजा का दर्जा दिया जाता है। प्राचीन काल से ही सिद्ध पुरषों के साथ इस पूजा का संबंध रहा है। इस पूजा का महत्व महाभारत के अनुसार सूर्य पुत्र दानवीर कर्ण से जुड़ा हुआ है। महाभारत के अनुसार कर्ण प्रतिदिन स्नान करने के बाद सूर्य देवता को जल अर्पित करते थे। कथा के अनुसार सबसे पहले कर्ण ही सूर्य देव उपासक थे।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री राम और माता सीता जी लंका से वापसी लौटने पर अपने राज्य की खुशहाली के लिए सूर्य देव की उपासना करी थी।

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छठ पूजा को द्रोपदी के साथ भी जोड़ गया है। द्रोपदी ने भी पांडवों के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए छठ पूजा का व्रत रखा था।

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पौराणिक कथा के अनुसार राजा प्रियवंद ने पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को किया था। जिससे उनकी धर्म पत्नी को पुत्र प्राप्ति हुई थी।

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आमतौर पर समझा जाए तो छठ पूजा महत्व प्राचीनतम काल से जुड़ा हुआ है। जिसे आजतक निरंतर महापर्व के तौर पर बड़ी धूमधाम से मनाया जाता आ रहा है।

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यदि कभी छठ पूजा का महत्व अपनी आँखों से देखना हो तो, बिहार के इन जगहों पटना,भागलपुर,छपरा,दरभंगा और गया मुख्य जगहों में चले आइए। हर साल इन जगहों पर छठ बहुत उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है, जहाँ दूर-दूर से लोग इस महा पर्व को देखने के लिए पहुंचते हैं।

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जय भारत

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