दतिया की छतरियां,,
दतिया में नगर के एक छोर पर करन सागर तालाब के निकट स्थित बुंदेला राजाओं की छतरियां यहां के बुंदेली शासन काल के वैभव को दर्शाती हैं।ये छतरियां अपनी अद्भुत कला और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है। दतिया में
17वी सदी के प्रारंभ से 20 वी सदी के मध्य बनी ये छतरियां अपनी अद्भुत कला और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध है।
जिनमे बनी चित्रों में दतिया के इतिहास ,परम्परा और त्योहारों को दर्शाया गया है । जो कि अत्यंत मनमोहक है। सर्वप्रथम राजा शुभकरण की छतरी उनके बेटे दलपत राय ने बनवाई थी शुभकरण 1640 में दतिया के राजा बने। इनकी छतरी के मध्य में एक सभागृह है और चारो ओर चार दरवाजे है। और अंदर बहुत ही आकर्षक कला देखने को मिलती है।
राजा इंद्रजीत सिह की छतरीराजा इंद्रजीत सिंह की छतरी उनके
बेटा शत्रुजीत द्वारा बनवाई गई थी । राजा इंद्रजीत 1736 से 1762 तक शासन किया यह छतरी एक चौकोर प्रांगण में बनी है जिनमे 3 मेहराबदार दरवाजे है और छतरी के गुंबद को कमल का आकार दिया गया है।
1801 में राजा बने परीक्षत की मृत्यु 1839 में 70 वर्ष की आयु में हो गयी थी । उन्होंने अपने दीवान सुरजन सिंह के बेटे विजयबहादुर को गोद लिया था जो आगे चलकर राज्य के उत्तराधिकारी बने। इन्होंने ही राजा परीक्षत की याद में चौकोर सभा मंडप वाली छतरी का निर्माण करवाया था। जिसके अंदर रासलीला,, सेना, शिव पार्वती आदि के चित्र बने है।
सन 1857 में राजा विजय बहादुर सिंह के निधन उपरांत महाराज भवानी सिंह जी ने इनकी छतरी का निर्माण भी इसी स्थान पर करवाया था। तथा राजा भवानी सिंह की मृत्यु उपरांत राजा गोविंद सिंह जी ने भवानी सिंह जी की छतरी बनवाई। सभी छतरियों में अत्यंत आकर्षक चित्रकला और निर्माण शैली देखने को मिलती है । और यहां पर सभी छतरियां अलग अलग शैली में बनवाई गई है।
अभी कुछ समय पहले ही इन छतरियों का नगरपालिका द्वारा जीर्णयोद्धार करवाया गया था साथ ही लाखो रुपये खर्च कर आकर्षक लाइटिंग की व्यवस्था भी की गई थी परन्तु राखराखब के अभाव में अब लाइट नही जलती है। रंगीन प्रकाश में छतरियों तस्वीरें लेने के लिए मैं आज ही रात 10 बजे यहां गया था परन्तु बताया गया कि वो खराब हो चुकी है।