गरतांग गली कला का अद्भुत नमूना

Tripoto
4th Sep 2022
Photo of गरतांग गली कला का अद्भुत नमूना by Pankaj Mehta Traveller
Day 1

    भारत-तिब्बत व्यापार की गवाह रही उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में स्थित ऐतिहासिक गरतांग गली की सीढ़ियों का देश दुनिया के पर्यटक दीदार करने लगे हैं। 59 साल तक बंद रहने के बाद पुनर्निर्माण के बाद एक बार फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

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    गरतांग गली की लगभग 150 मीटर लंबी सीढ़ियां अब नए रंग में नजर आने लगी हैं। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी के सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था। अब करीब 59 सालों बाद वह दोबारा पर्यटकों के लिए खोला गया है। कोरोना गाइडलाइन और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार में 10 ही लोगों को पुल पर भेजा जा रहा है। 

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पेशावर से आए पठानों ने 150 साल पहले इस पुल का निर्माण किया था। आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए उत्तरकाशी में नेलांग वैली होते हुए तिब्बत ट्रैक बनाया गया था। यह ट्रैक भैरोंघाटी के नजदीक खड़ी चट्टान वाले हिस्से में लोहे की रॉड गाड़कर और उसके ऊपर लकड़ी बिछाकर तैयार किया था। इस रास्ते से ऊन, चमड़े से बने कपड़े और नमक लेकर तिब्बत से उत्तरकाशी के बाड़ाहाट पहुंचाए जाते थे। इस पुल से नेलांग घाटी का रोमांचक दृश्य दिखाई देता है।

Photo of गरतांग गली कला का अद्भुत नमूना by Pankaj Mehta Traveller
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नेलांग घाटी सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में मौजूद है। उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। सीमा पर भारत की सुमला, मंडी, नीला पानी, त्रिपानी, पीडीए और जादूंग अंतिम चौकियां हैं।

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उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए गरतांग गली की सीढियों का पुनर्निर्माण कार्य किया गया। इस पुल का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व है। सरकार की ओर से इस पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है और इससे जुड़े सभी आयामों को विकसित किया जा रहा है।

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