मुझे होमियोपैथी डाक्टरी में मास्टर डिग्री करते समय महाराष्ट्र में आने जाने और रहने का मौका मिला| जब मैं पंजाब से जाता था तो मन में था कि महाराष्ट्र की ईतिहासिक जगहों की भी यात्रा की जाए| इसी तरह मैंने भारतीय कला के शानदार नमूने अजंता और एलोरा की गुफाओं को भी देख लिया| एक बार मैं पंजाब मेल रेलगाड़ी से महाराष्ट्र के मनमाड़ जा रहा था| मनमाड़ रेलवे स्टेशन सुबह तीन चार बजे के आसपास आता है उस दिन किसी वजह से पांच छह घंटे लेट चल रही थी| मुझे मनमाड़ से परभणी के लिए रेलगाड़ी पकड़नी थी | मेरी गाड़ी पहले से ही लेट चल रही थी तो मनमाड़ से मिलने वाली निकल जानी थी | मैंने रेलगाड़ी में बैठे ही मन बना लिया कयों न जलगांव उतर कर अजंता की गुफाओं को देखते हुए औरंगाबाद जाया जाए और फिर वहाँ से रात की बस लेकर सुबह अपने कालेज पहुँच जायूगा| इस तरह मेरी अजंता गुफाओं को घूमने के लिए कोई भी तैयारी नहीं थी बस रेलगाड़ी लेट होने की वजह से जलगांव उतर कर अजंता जाने का पलान बन गया| जलगांव से अजंता की गुफाओं की दूरी 60 किमी के आसपास है| जलगांव रेलवे स्टेशन पर उतर कर तैयार हो कर मैं महाराष्ट्र रोडवेज की सरकारी बस में बैठ कर अजंता की गुफाओं को देखने के लिए चल पड़ा| बस ने मुझे अजंता गुफाओं से दो किलोमीटर पहले एक मोड़ पर उतार दिया| दोपहर का समय था उस जगह पर पूरी बस में मैं और एक मराठी लड़का दो लोग ही उतरे थे| बस से उतर कर हम दोनों पैदल ही अजंता की गुफाओं की तरफ चल पड़े| हम दोनों दोस्त बन गए| वह भी जलगांव किसी काम से गया था और रास्ते में आते समय अजंता की गुफाओं को देखने जा रहा था| हम दोनों ने एक साथ ही अजंता की गुफाओं को घूमा था|
अजंता की गुफाएं भारतीय कला के शानदार नमूने हैं| अजंता में बड़े बड़े पहाड़ो को काटकर बनाया गया है| अजंता की गुफाओं में बहुत सारे चित्र बनाए गए हैं| अजंता में आपको दो तरह की गुफाओं को देखने का मौका मिलेगा| एक तो स्तूप गुफा और दूसरी विहार गुफा | स्तूप गुफा में प्राथना की जाती थी और विहार गुफा में भिक्षु रहते थे| अजंता की गुफाओं में इनकी छत, दीवार पर अनेक चित्र बनाए गए हैं| इन चित्रों में महल, किसान, सम्राट, भिखारी आदि दिखाई देगें| इन चित्रों में पेड़, पौधे, जानवर आदि भी बने हुए हैं| 16 नंबर गुफा में दीवार पर मरती हुई राजकुमारी का चित्र है| गुफा नंबर 17 में भी शानदार चित्र बने हुए हैं| अजंता के चित्र हमें उस समय की जीवन शैली को दिखाते है| अजंता के चित्रों की रंग योजना बहुत सुंदर है| इस चित्र कला का महत्व इतना है कि इस चित्र शैली का नाम ही अजंता शैली पड़ गया है| पूरे एशिया महाद्वीप पर अजंता की कला का प्रभाव पड़ा| पंजाब के प्रसिद्ध घुमक्कड़ मनमोहन बावा जी जिनकी बहुत सारी किताबें भी लिखी हुई है घुमक्कड़ी के ऊपर | मनमोहन बावा जी ने अजंता, एलोरा और एलीफेंटा के बारे में कहा है अगर आप भारत में रहते हुए इन तीनों जगह पर नहीं जाते तो आप बदकिस्मत हो| तो दोस्तों आप भी भारतीय कला की इस शानदार कला को देखने जरूर जाना अजंता गुफाओं को देखने के लिए| मैं अजंता की गुफाओं को देखने के बाद औरंगाबाद के लिए रवाना हो गया|
कैसे पहुंचे- अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र के जलगांव से 60 किमी और औरंगाबाद से 100 किमी दूर है| आप इन दोनों शहरों से अजंता गुफाओं को देखने के लिए जा सकते हो|