ये बात है सितंबर 2021 की हम 4 पुराने दोस्त एक दिन हमारे ही एक मित्र के रेस्टोरेंट पर साथ डिनर कर रहे थे तो कुछ पुरानी यादें ताजा हो गईं कि कैसे हम पहले साथ घुमा करते थे तब जेब में पैसे कम थे पर टाइम बहुत था पर आज उसका ठीक उल्टा है, और जिंदगी की भाग दौड़ में हम सब ऐसे व्यस्त हुए के पता ही नही चला की जिंदगी के कई साल इस भागदौड़ में कब बीत गए बिना कहीं साथ घूमे, तो फिर हम चारों पुराने दोस्तों ने फैसला किया कि किसी भी वीकेंड साथ चलेंगे घूमने तो हम में से एक मित्र ने बोला की आज साथ बैठे हैं तो आज बात हो गई है नही तो फिर पता नही कब फिर साथ बैठेंगे वैसे भी दो दिन बाद 2 अक्टूबर भी है और वीकेंड भी तो क्यों न इसी हफ्ते साथ चलें, सभी की राय ली गई और सभी ने हामी भर दी, और डिसाइड हुआ कि 1 अक्टूबर को हम सभी शाम को तैयार रहेंगे, अगला दिन आया और हमारा प्लान कई बार कैंसल हुआ पर अंत में जैसे तैसे प्लान सक्सेस कर पाए और फिर शाम को सभी तय समय पर हमारे शर्माजी के रेस्टोरेंट पर पहुंच गए, फिर हमारे मित्र जिन्हे हम प्यार से शर्माजी बोलते है उन्हे भी घर भेजा और वो भी अपना बैग पैक करके तैयार हो आए, रात में रास्ते के लिए शर्माजी ने बोला के कुछ खाने को बनवा लिया जाए क्या तो मेने बोला जो भी तुम्हारे शेफ की स्पेशल dish हो वो बनवा दो जो जल्दी बन सके तो उन्होंने 4 बॉक्स मंचूरियन बनवा कर साथ लेली और फिर हम नैनीताल के लिए फाइनली रात के 10 बजे निकल गए, सफर पर जाने से पहले हम सब ने निर्णय किया कि अपने काम की बातें और मोबाइल सभी जमा कर दें कोई भी व्यक्ति अपने काम की बात नहीं करेगा और हम सभी ये तीन दिन ऐसे जिएंगे जैसे हम आज से दस साल पहले थे,
रात के 3 बजे हम सफर का आनंद लेते हुए हम नैनीताल पहुंच गए दस साल बाद सभी पुरानी यादों को याद करते करते रात का सफर पहाड़ों में करने में जो आनंद आया वो शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, इतनी साल पुरानी बातों को आज करते करते सफर कब बीत गया पता ही नही लगा और नैनीताल पहुंच कर ऐसा लगा जैसे हम अभी चले थे और अभी पहुंच गए, रात में इसलिए चले थे की न तो अभी गर्मियों की छुट्टियां हैं न कोई त्योहार तो होटल मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी, पर हमारा सोचना तब गलत साबित हो गया जब पता लगा के नैनीताल और उसके 5 किमी के आसपास के सभी होटल फुल हैं, ये सुनकर तो हमारे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई, बहुत देर तक हम रात को चक्कर लगाते रहे पर हमें होटल नही मिला, रात का समय था नींद भी बहुत तेज आ रही थी और होटल भी नही मिल रहा था फिर हम सब ने निर्णय लिया के अब कुछ नहीं हो सकता अगर हम बिल्कुल नही सोए तो सुबह बहुत दिक्कत होगी तो ऐसा करते हैं कार में ही सो जाते है, फिर नैनीताल में ही माल रोड के पास बस स्टैंड पर हमने अपनी कार लगाई और सो गए, 4 घंटे कब बीत गए पता ही नही चला हम सभी की आंख सुबह साढ़े सात बजे खुली बस स्टैंड पर ही सुलभ शौचालय था जिससे सुबह हमें कोई दिक्कत नही हुई, फ्रेश होकर हम सबने माल रोड पर सुबह की चाय पी और आगे की प्लानिंग की कि अब आगे क्या किया जाए फिर तय किया को होटल तो शाम को ढूंढ लेंगे फिलहाल सुबह का आनंद लिया जाए क्योंकि सामान तो कार के अंदर ही है और कार साथ में इसलिए कोई दिक्कत की बात नहीं है, फिर हम सब कार लेकर नैनीताल के सभी घूमने वाले प्वाइंट पर पहुंच गए जैसे लवर प्वाइंट, सुसाइड प्वाइंट, टिप इन टॉप, और भी बहुत सारी जगह और मंदिर 12 बजे हम ऊपर से वापस नैनीताल में आ गए वापस आकर हमारा सामना एक और मुसीबत से हुआ पूरा नैनीताल कारों से जाम पड़ा था जैसे तैसे हम धीरे धीरे नैनी झील पहुंचे और वहीं हमने अपनी कार पार्क कर दी और झील के किनारे पर पहुंच गए, भीड़ बहुत थी शायद सभी इस 3 दिन लंबे वीकेंड को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे, नैनी झील पर बैठना उसमें बोटिंग कर्म और वहां की काफी और भुट्टे का आनंद लेना अपने आप में एक अलग ही अनुभूति है, और झील के सामने फुटबॉल ग्राउंड पर सर्दी की धूप में फुटबॉल खेलते स्कूल के बच्चों को देख कर मन भी बच्चा बन जाना चाहता है, कई घंटे इस सुखद अनुभूति में बिताने के बाद हमने सोचा अब होटल ढूंढ लिया जाए नही तो हमे कहीं ये रात भी कार में न गुजारनी पड़े और फिर हम 5 बजे होटल की तलाश में निकल गए, होटल तो फिर भी हमें नहीं मिला काफ़ी देर ढूंढने के बाद हमें नैनीताल से 12 किमी दूर एक होमस्टे मिला जंगल सफारी के नाम से वहां की केयर टेकर एक महिला थीं जिनसे बात की तो पता लगा कि बस एक रूम खाली है और उन्होंने ये भी बताया कि अब यहां से आगे 5 किमी तक कोई होटल या होमस्टे नही मिलेगा और जो हैं वो सभी फुल हो चुके हैं, उन्होंने बोला की जो रूम उनके पास है वो काफी बड़ा है अगर आप एडजेस्ट कर लो और 2 लोग नीचे सो सको तो 2 गड्डे में देदूंगी तो कोई दिक्कत नही आयेगी, सभी से आपस में मशविरा करने के बाद हमने उसी होमस्टे को फाइनल कर दिया, अंधेरा भी हो चुका था हमने सभी समान कार से निकल कर रूम में रख लिया कुछ देर बाद हमने सोचा क्यूं ना रात में भी माल रोड का आनंद लिया जाए, ये सोच कर हम सभी माल रोड की तरफ निकल गए, रात के 9 बजे हम माल रोड पर थे रात में माल का नजर एकदम अलग ही था जगमगाता माल रोड और उस पर चहलकदमी करते लोग साथ में शहर की सभी जगमगाहट को अपने आंचल में समेटे नैनी झील ऐसा लग रहा था जैसे झील के अंदर कुदरत ने खुद सजावट की हो, काफी देर हम सभी दोस्त उस सुखद पल की अनुभूति करते रहे की अचानक उस अनुभूति में बारिश ने भी अपनी एंट्री कर दी अब तो मौसम और भी सुहाना था झील के किनारे ठंडी हवा और पानी की बौछार ने समां बांध दिया, माल के जिस शेड के नीचे हम बैठे थे उसके पास ही एक गर्मागर्म जलेबी का स्टॉल लगा था, हमने उससे कुछ जलेबी लेली और उस बारिश का आनंद और भी बड़ गया, 11 बजे खा पी कर वापस हम अपने रूम पर आ गए और एक सुखद अनुभूति को मन में समेटे सो गए,
सुबह 7 बजे हम सभी जाग गए होमस्टे की केयर टेकर ने पूछा चाय कितने बजे पियेंगे तो हमने बोला 8 बजे आप भिजवा देना तो उन्होंने बोला के अगर हम चाहें तो बाहर उनके रूफ टॉप गार्डन में चाय पी सकते हैं, और हम सब ने ये सुन कर तुरंत हामी भर दी क्योंकि जब हम रात में। अपने रूम के बाहर खड़े थे तो सुबह उसी गार्डन में चाय की बात कर रहे थे और सुबह हमारे मन की ऊपरवाले ने सुन ली, हम 8 बजे चाय पीने उस गार्डन में पहुंच गए, 2 घंटे तक हम उस गार्डन में बैठे रहे सामने पहाड़ों की एक लंबी श्रृंखला और उसमेंसे सूर्य देव के दर्शन वो सुबह बहुत निराली थी, फिर हम 11 बजे नहा धोकर उस होमस्टे से निकल आए, नैनीताल में ही बाबा नीम करोली बाबा का आश्रम है उसकी बहुत मान्यता है तो हमने सोचा जब आए हैं तो क्यों न उनके भी दर्शन कर लिए जाएं और हम 1 घंटे में बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंच गए, वहां हमने बाबा की समाधि के दर्शन किए आश्रम में देश विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं, आश्रम बहुत सुंदर एवं शांत था, काफी देर तक हम उस आश्रम में बैठे रहे फिर बाबा का प्रसाद पाकर हम आश्रम से निकल आए रास्ते में हमने एक रेस्टोरेंट देखा जो पहाड़ी की किनारे में था उस में हम सब ने कुल्हड़ वाली चाय और पराठों का नाश्ता किया, फिर हम भीमताल पर पहुंच गए वहां का मौसम बहुत सुहाना था एक बड़ी झील पहाड़ों के बीचों बीच काले काले बादल उस पर मंडरा रहे थे, हमने वहां 2 बोट रेंट पर ली और झील की सैर करने निकल गए जाने से पहले बोट वाले ने हमे समझाया तो था की बोट को कैसे चलाना है पर बीच पानी में पहुंच कर बोट अपने आप इधर से उधर चक्कर काटने लगी काफी देर मशक्कत करने के बाद हमे समझ आया कि बोट चलती कैसे है फिर 3 घंटे तक हम उस झील मैं बोटिंग का आनद लेते रहे, भीम ताल के बाद हमने और भी कई ताल घूमे और रात में वापस अपने घर आ गए, वो टूर तो वैसे बस 3 दिन का था पर उन तीन दिन में हमने वो पुरानी जिंदगी जी जो शायद कहीं खो गई थी,
सभी ताल अपने आप में बहुत खूबसूरत हैं अगर एक कंप्लीट हिल स्टेशन की बात की जाए तो नैनीताल एक बहुत ही सुंदर हिल स्टेशन है जहां आप बहुत कम दिनों के टूर में भी पूरा आनंद ले सकते हैं, तो आप भी कभी अपने पुराने मित्रों को लेकर नैनीताल घूमने जाएं और आनंद लें प्रकृति के अद्भुत नजारों का क्योंकि पुरानी चीज़ें हमेशा बहुत सारी सुखद यादें समेटे होती है।