
भारत के बिहार राज्य का ईतिहास बहुत प्राचीन और महान है| नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है| नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय रिहायशी विश्वविद्यालय माना जाता है| नालंदा एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय था जहाँ भारत के एलावा दूसरे देशों से भी छात्र आते थे| आज नालंदा कुल 14 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है हालांकि अभी भी काफी क्षेत्र की खुदाई बाकी है| मुझे भी नवंबर 2018 ईसवीं में बिहार यात्रा के समय बोधगया, राजगीर के बाद नालंदा घूमने का मौका मिला| मैं राजगीर से नालंदा पहुंचा था | दोपहर का समय था मैं और मेरी वाईफ दोनों नालंदा विश्वविद्यालय घूम रहे थे| हमने नालंदा में गाईड बुक कर लिया जिसने हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में काफी जानकारी दी| ऐसा कहा जाता है कि किसी समय नालंदा विश्वविद्यालय में 10,000 छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे और 2000 शिक्षक उनको शिक्षा देते थे | इस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए छात्रों को पेपर पास करना पड़ता था|
2006 ईसवीं में भारत, चीन, सिंगापुर और जापान आदि देशों ने एक प्रसातव रखा है कि नालंदा विश्वविद्यालय को दुबारा चालू किया जाए एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रुप में| इस नये विश्वविद्यालय की जगह नालंदा से कोई 12 किलोमीटर दूर है| नालंदा विश्वविद्यालय की सथापना पांचवी शताब्दी में की गई थी| बौद्ध धर्म में स्तूपों और चैत्यों की तरह विहार भी बहुत महत्वपूर्ण थे| चैत्य एक तरह के पूजा सथल थे| स्तूप समाधि समारक थे | विहार में बौद्ध संघ निवास करता था | बौद्ध समारकों में आपको यह तीनों चीजें मिलेगी| विहार एक तरह के मठ थे | विहार में ही बौद्ध भिक्षु धर्म की साधना करते थे| भारत में मौर्य, कुशाण और शुंग वंश में राजाओं द्वारा विहार बनाए गए| आधुनिक बिहार राज्य का नाम भी विहार से ही लिया गया है| यह सारी जानकारी हमें नालंदा में गाईड ने बताई| मैंने अपने गाईड के साथ तसवीर भी खिचवाई| इन विहारों के बारे में चीनी यात्रियों ने लिखा है कि कुछ विहार छह या आठ मंजिलों के भी होते थे| यहाँ बौद्ध भिक्षु रहते और पढ़ते थे| नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र बौद्ध धर्म के बारे में शिक्षा ग्रहण करते थे| इसके अलावा और भी बहुत सारे विषय थे जिसकी शिक्षा नालंदा विश्वविद्यालय में दी जाती थी| नालंदा विश्वविद्यालय में आठ हाल तथा तीन सौ कमरे थे| इस विश्वविद्यालय में नौ मंजिला पुस्तकालय भी थे| नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लिखा है कि इसकी बहुमंजिली इमारतें, लंबाई और चौढाई में आकर्षक थी| नालंदा में भिक्षुओं का हर विहार चार मंजिला था| मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ज्ञान के महान केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया| नालंदा के भवनों और पुस्तकालयों में आग लगवा दी इस तरह यह प्राचीन विश्वविद्यालय नष्ट हो गया| नालंदा विश्वविद्यालय की भवन कला के बारे में चीनी यात्रियों के विवरणों से पता लग जाता है| मैं नालंदा विश्वविद्यालय की पवित्र भूमि को देखकर और इसके ईतिहास के बारे में जानकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा था| आज नालंदा विश्वविद्यालय की यह धरोहर यूनैसको की विश्व विरासत सथल की सूची में शामिल हैं| बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और बोध गया दो जगहें यूनैसको विश्व विरासत सथल में शामिल हैं|

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नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों में हमने दो घंटे तक गाईड के साथ घूमा| हमारे गाईड ने हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी दी | मैं जब भी किसी हैरीटेज या ईतिहासिक जगह पर जाता हूँ तो वहाँ गाईड जरूर लेता हूँ जिससे हमें उस जगह के बारे में काफी कुछ जानने के लिए मिल जाता है| इस तरह नालंदा विश्वविद्यालय की यात्रा मैंने पूरी की और शाम को नालंदा रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन पकड़ कर पटना के लिए रवाना हो गया| आप भी आईए बिहार की इस ईतिहासिक धरोहर को देखने के लिए जो कभी ज्ञान का प्रकाश देती थी देश विदेश के छात्रों को |
कैसे पहुंचे- नालंदा बिहार राज्य में राजगीर से 12 किमी, गया से 90 किमी और पटना से 120 किमी दूर है| आपको राजगीर, पटना या गया से नालंदा विश्वविद्यालय का पलान बनाना होगा| रहने के लिए राजगीर में आपको होटल मिल जाऐगे|
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