मौर्यकालीन स्तूप का अद्भुत नमूना सांची स्तूप - जानिए कया है इसमें खास

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Photo of मौर्यकालीन स्तूप का अद्भुत नमूना सांची स्तूप - जानिए कया है इसमें खास by Dr. Yadwinder Singh
Day 1

सांची स्तूप
सांची मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के निकट स्थित है| यहाँ पर तीन स्तूप है जिनमें एक बड़ा और दो छोटे है| मौर्यकालीन स्तूपों में सांची का स्तूप समूह बहुत महत्वपूर्ण है| इन स्तूपों में भगवान बुद्ध के की अस्थियों आदि अवशेष एक बर्तन में बंद करके रखे जाते थे| उसके ऊपर पत्थर या ईटों से निर्मित ठोस गुंबद बना दिया जाता था| इस तरह ये स्तूप एक प्रकार से समाधि ही होते थे| सांची स्तूप पहले ईटों का बना था| बाद में इसे बढ़ाया और संवारा गया | नीचे से इस स्तूप का व्यास साढ़े 121 फुट और इसकी ऊंचाई साढ़े 70 फीट है| इसके शिखर पर एक छत्र बना हुआ है| स्तूप के गुंबद चारों ओर एक प्ररिक्रमा मार्ग बना हुआ है| स्तूप के सामने एक खूबसूरत पत्थर का तोरण बना हुआ है| विद्वानों का विचार है पहले यह तोरण लकड़ी के बने हुए थे बाद में इनको पत्थर से बनाया गया| इन तोरण द्वारों के सतंभ की ऊंचाई 14 फीट है और पूरे तोरण की ऊंचाई लगभग 34 फीट है| प्रत्येक सतंभ के ऊपर भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की घटनाओं को दिखाया गया है| इनके ऊपर सिंह, हाथी, धर्मचक्र, यक्ष आदि बने हुए हैं|
इनके ऊपर विपरीत दिशाओं में मुख किए हुए ऊंट, हिरन, मोर और हाथी आदि के जोड़े भी अंकित है| इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे भगवान बुद्ध की उपासना के लिए सारा पशु जगत उमड़ पड़ा हो| सांची के विशाल स्तूप की अनेक विशेषताएं हैं जैसे इसमें किसी प्रकार की जुड़ाई का मसाला प्रयोग में नहीं लाया गया है| सांची स्तूप के तोरणों पर भगवान बुद्ध के जीवन की घटनाएं, पशु-पंछियों और फूल- पत्तियों को बहुत खूबसूरती से अंकित किया गया है| सांची स्तूप को सम्राट अशोक के समय में तीसरी ईसवीं पूर्व में बनाया गया| सांची स्तूप की कलाकारी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी |

सांची स्तूप का खूबसूरत दृश्य

Photo of Sanchi Stupa by Dr. Yadwinder Singh

सांची स्तूप

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सांची स्तूप

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शिलालेख

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मैं सांची स्तूप को घूमते समय

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Day 2

सांची स्तूप देखने के लिए मैं एक दिन पहले ट्रेन से भोपाल शहर पहुँच गया था| भोपाल में होटल में रुक कर अगले दिन सुबह मैं बस से सांची स्तूप की ओर चल पड़ा| सांची स्तूप की दूरी भोपाल से 45 किमी की है| बस ड्राइवर  ने  मुझे सांची स्तूप की पहाड़ी के नीचे उतार दिया था| सामने पहाड़ी पर सांची स्तूप दिखाई दे रहा था| सीढ़ियों को चढ़कर मैं सांची स्तूप के सामने वाले गार्डन में प्रवेश कर गया| सांची स्तूप के बारे में अपनी सकूल की कक्षा से पढ़ रहा था कयोंकि हमारे सिलेबस में एक पाठ था सांची स्तूप का| सांची स्तूप पहुँच कर मैंने 200 रुपये में गाईड ले लिया | यह सारी जानकारी मुझे गाईड ने ही दी थी| मैंने एक घंटा लगाकर आराम से सांची स्तूप की खूबसूरती को निहारा| सांची स्तूप घूमते समय ही मुझे श्रीलंका से आए हुए टूरिस्ट मिले | श्रीलंका के लोगों के मन में सांची स्तूप के लिए बहुत प्रेम है कयोंकि सम्राट अशोक के बेटे और बेटी सांची से ही श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए गए थे| मैंने उनके साथ बहुत सारी बातें की | सांची स्तूप के पास ही एक खूबसूरत संग्रहालय बना हुआ है जहाँ पर सांची में मिली वस्तुओं को संभाल कर रखा गया है| बाद में मैंने इस संग्रहालय को भी देखा| फिर मैं वापस भोपाल की ओर बढ़ गया| आप भी आईए सांची स्तूप को देखने के लिए
कैसे पहुंचे- सांची स्तूप मध्य प्रदेश की राजधानी से 45 किमी दूर है| आप भोपाल से बस या टैक्सी से यहाँ पहुँच सकते हो| रहने के लिए आपको भोपाल में हर बजट के होटल मिल जाऐंगे| भोपाल रेलवे स्टेशन बेहतर विकल्प है रेल मार्ग से सांची स्तूप आने के लिए

सांची स्तूप की अद्भुत कला

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सांची स्तूप की कलाकारी

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मैं सांची स्तूप पर

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सांची स्तूप की ओर जाती हुई सीढ़ियां

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सांची स्तूप में खंडित हुई मूर्ति

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सांची स्तूप

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