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कौसानी
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में अलमोड़ा से 52 किमी दूर एक खूबसूरत हिल स्टेशन है कौसानी | कौसानी की खूबसूरती लाजवाब है | कौसानी एक छोटा सा हिल स्टेशन है कुमाऊँ का | यहाँ आपको नैनीताल की तरह भीड़भाड़ नहीं मिलेगी | कौसानी समुद्र तल से 6201 फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है| कौसानी से 25 किमी पहले का पहाड़ी रास्ता भी बहुत दिलकश है | कौसानी एक ऊंची पहाड़ी पर बसा हुआ है इसके दोनों तरफ उतराई है | कौसानी अपने हिमालयन वियू के लिए प्रसिद्ध है | अगर आप को कुदरत के करीब भीड़भाड़ से दूर किसी शांत जगह पर दो तीन दिन बिताने हो तो कौसानी बहुत बढ़िया जगह है | काठगोदाम से चलकर अलमोड़ा होते हुए कौसानी आने वाली सड़क ही कौसानी के चौराहे पर पहुंच जाती है | कौसानी के बीच बना हुआ चौराहा ही इस हिल स्टेशन का माल रोड़ है जहाँ आपको रोजमर्रा की सभी चीजें मिल जाऐगी| कौसानी की आबादी कोई 250- 300 ही होगी | कौसानी को आप पैदल ही घूम सकते हो |
हमारे होटल वाले बहुत अच्छे थे| इस होटल में रहने का फायदा तो यह था कि आप कुदरत की गोद में शांत वातावरण में रह सकते हो | यहाँ रहने के बाद आपको पहले ही खाने के बारे में बताना होगा| कौसानी वहाँ से दो किमी दूर है तो होटल वाले ताजी सबजी और सामान आपके आर्डर के हिसाब से ही लेकर आऐंगे| मेरी बिटिया रात को दूध पीती है कभी सुबह दो बजे , तीन बजे और सोने से पहले तो होटल वालों ने पास के गाँव से एक किलो दूध मंगवा दिया | अगले दिन सुबह हम होटल में आलू के परांठे और चाय के साथ ब्रेकफास्ट करके सुबह दस बजे के आसपास कौसानी घूमने के लिए निकले |
अनासक्ति आश्रम कौसानी
यह जगह कौसानी की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है| इस जगह का संबंध महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ है| 1929 ईसवीं में जब महात्मा गांधी जी भारत यात्रा पर निकले थे तो कौसानी दो दिन के लिए आए थे| कौसानी की खूबसूरती उनको इतनी पसंद आई वह यहाँ 14 दिन रुक गए| कौसानी में ही गांधी जी ने अनासक्ति योग नाम की किताब की रचना की| इसी के नाम पर इस जगह पर अनासक्ति आश्रम की सथापना की गई| हम सुबह सुबह ही कौसानी के चौराहे से ऊपर जाती हुई सड़क पर चलते हुए अनासक्ति आश्रम के पास पहुंच गए| आश्रम की दिख बहुत सादी और दिलकश है | यहाँ पर अजीब सी शांति थी | मेरी बेटी आश्रम के गलियारे में अपने छोटे छोटे कदमों से दौड़ रही थी| हमने इस आश्रम के दर्शन किए | यहाँ की शांति, सादगी और सुंदरता को महसूस किया| इस आश्रम में गांधी जी से संबंधित तसवीरें और किताबों को संभाल कर रखा गया है| एक घंटा इस खूबसूरत जगह पर बिताने के बाद हम अपनी दूसरी मंजिल की ओर बढ़ गए|
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सरला बहन आश्रम कौसानी
अनासक्ति आश्रम से वापस आते समय उसी सड़क पर एक और जगह बनी हुई है जिसका नाम सरला बहन आश्रम है | इसको लक्षमी आश्रम भी कहा जाता है| इस आश्रम को महात्मा गांधी जी की अनुयाई कैथरीन हिलमन ने बनाया था| वह लंदन छोड़ कर 1931 ईसवीं मेंक्ष भारत आ गई थी | वह गांधी जी के विचारों से बहुत प्रभावित थी | उन्होंने अपना नाम भी सरला बहन रख लिया था | कौसानी में आश्रम की सथापना का उद्देश्य कुमाऊँ की लड़कियों को आतम निर्भर बनाना था | हमने इस अद्भुत जगह की यात्रा भी की | इस जगह पर सरला बहन की तसवीरें लगी हुई है जिसपर उनके बारे में जानकारी दी गई है| यह जगह सचमुच कमाल की थी | इसके बाद हमारी अगली मंजिल भी एक संग्रहालय ही था |
सुमित्रानंदन पंत संग्रहालय कौसानी
सुमित्रानंदन पंत जी हिंदी भाषा के बहुत मशहूर कवि थे| उनका जन्म कौसानी में हुआ था| जहाँ उनका पुराना घर बना हुआ है| सरकार ने अब उनके घर को संग्रहालय में तब्दील कर दिया है| कौसानी के चौराहे से ऊपर की तरफ जाती हुई सड़क पर जाकर नीचे उतर कर एक छोटी सी गली में उनका घर बना हुआ है| हम भी सरला बहन संग्रहालय देखने के बाद सुमित्रानंदन पंत जी के घर पर पहुँच गए| पंत जी की किताबें और उनकी जिंदगी से संबंधित चीजें संभाल कर रखी हुई है| 20 मई को हर साल उनके जन्म दिन को यहाँ पर मनाया जाता है|
कौसानी के चाय बागान
पूरे कुमाऊँ में सिर्फ कौसानी में ही चाय के बागान मिलते हैं | आप कौसानी को कुमाऊँ का दार्जिलिंग भी कह सकते हो| कौसानी में 208 हेक्टेयर क्षेत्र में चाय उगायी जाती है| आप कौसानी यात्रा पर इन खूबसूरत चाय के बागानों में भी घूम सकते हो| आप कौसानी की लोकल चाय भी खरीद सकते हो|
कौसानी से हिमालय की ऊंची चोटियों को भी देख सकते हो| यहाँ से त्रिशूल पर्वत का बहुत खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है| इस तरह हमने कौसानी में दो रात और तीन दिन बिताए | कौसानी सचमुच बहुत खूबसूरत है इसीलिए महात्मा गांधी ने कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड कहा था | आईए आप भी कौसानी घूमने के लिए|
कैसे पहुंचे- आपको कौसानी के लिए शेयर टैक्सी या बस काठगोदाम से मिल जाऐगी| आप अपनी गाड़ी से भी कौसानी घूम सकते हो| कौसानी अलमोड़ा से 52 किमी और नैनीताल से 117 किमी दूर है|
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