
पहाड़ों की तलहटी पर बसा प्राचीन मां कालका माता का मंदिर अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता को धारण किए हुए अत्यंत मन को सुशोभित कर रहा है । सावन के महीनों में वैसे भी बारिश का समय होता है, जिससे पहाड़ों पर चारों तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है जो किसी भी प्रसिद्ध तीर्थ स्थान के लिए जाने के लिए और आकर्षित करता है। इसी दरमियान मुझे अपने पिताजी के साथ चित्रकूट के नारायणपुर गांव मैं अत्यंत प्राचीन माता कालका माता जी का मंदिर जाने का अवसर मिला मैं चित्रकूट का ही निवासी हूं, लेकिन मैं यह मंदिर पहली बार गया था क्योंकि यह हमारे पूर्वजों के देवता रहे हैं ,इसलिए बहुत समय बाद पहली बार मुझे अपने पिताजी के साथ जाने का मौका मिला। लगभग अत्यंत प्रसिद्ध तो नहीं लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं एक बार जो इस प्रसिद्ध तीर्थ स्थान पर चला जाए उसको मानसिक शुद्धि एवं अंतरात्मा का कोमलता का इतना अच्छा सहज एहसास होता है कि दोबारा वहां से वापस लौटना का मन नहीं करता ।पहाड़ों के ऊपर शिखर पर यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है क्षेत्रीय स्तर पर इसकी सिद्धि अत्यंत व्यापक रूप में है ।अगर आप कभी भी चित्रकूट आइए तो बेडी पुलिया चौराहे पर से नारायणपुर गांव की तरफ इस रोड जाती है वहीं पर यह प्रसिद्ध तीर्थ स्थान स्थित है। सच में अगर बारिश के महीने में मतलब हरियाली के समय में अगर यहां पर जाएं तो आप को ऐसा लगेगा कि हम एक ऐसे मनोरम स्थान पर आ गए हैं जहां सिर्फ चिड़ियों की चहचहाहट, भक्ति की महक और श्रद्धा की मनोकामना चारों तरफ दिखाई देगा। धन्यवाद
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