प्रिय साथियों जब भी बात आती है घुमक्कड़ी और घुमक्कड़ों की दुनिया का तो रोमांच, चमत्कार और अनोखी बातों व घटनाओं का जिक्र आना लाज़िमी हो जाता है। एक घुमक्कड़ अपनी यात्राओं में हमेशा कुछ अनोखा, चमत्कार और कभी न भूलने वाले खट्टे-मीठे अनुभवों को अपने स्मृति-पटल व जेहन में सदा-सदा के लिए संजोने व कैद करने का भरसक प्रयास करता है। जी हां दोस्तों आज मैं आप लोगों को ऐसे ही एक दिव्य चमत्कारिक, विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के बारे में रूबरू कराने जा रहा हूँ। मैं बात कर रहा हूँ भारत के मुख्य धर्म नगरी प्रयागराज की जिसका पूर्व में नाम इलाहाबाद था। प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है। प्रयाग का मतलब होता है वह स्थल जहां पर यज्ञ किया गया हो, जैसा कि नाम से ही विदित है तो आपको बता दूं इसका नाम प्रयागराज इसीलिए पड़ा क्यों कि यहां सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने स्वयं यज्ञ किया था। प्रयागराज पूरे विश्व में संगम व कुंभ के लिए प्रसिद्ध है यह बात प्रायः सभी लोग जानते हैं लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रयागराज यहां के लेटे हुए हनुमान जी मंदिर के कारण भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
क्योंकि आप लोग प्रत्येक हनुमान मंदिर में हनुमान जी की खड़ी हुई अवस्था में प्रतिमा पाएंगे किंतु यहां हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई अवस्था में विराजमान है। यहाँ पर स्थित लेटे हुए हनुमान जी को बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, बंधवा के हनुमान मंदिर आदि नामों से भी जाना जाता है।
मंदिर की विशेषता व स्थापना :-
हनुमान जी की विचित्र प्रतिमा दक्षिणाभिमुखी व लगभग 20 फ़ीट लंबी है। यहां की प्रतिमा ज़मीन से लगभग 6-7 फ़ीट नीचे है। हनुमान जी की इस प्रतिमा में एक भुजा में अहिरावण दबा हुआ दिखाई देगा आपको। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 600-700 साल पुराना है।
ऐसी मान्यता है कि धर्म नगरी प्रयागराज में अगर आप संगम स्नान व जो भी तीर्थ-व्रत आदि करते हैं उसका पुण्य फल तभी आपको मिलता है जब आप इस मंदिर में हनुमान जी का दर्शन-पूजन कर लेते हैं, अन्यथा आपकी यह तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है। तो आप जब भी प्रयागराज संगम जाएं इस मंदिर में अवश्य मत्था टेकें। यह दिव्य विशेषता हनुमान जी को माता सीता ने आशीर्वाद स्वरूप दिया था।
प्रयागराज के कोतवाल :-
प्रयागराज के इस हनुमान मंदिर को प्रयागराज के कोतवाल की भी ख्याति प्राप्त है। यहाँ के इस अद्भुत और चमत्कारी मंदिर में प्रायः हर नेता, प्रशासनिक अधिकारी व अन्य बड़ी हस्तियां दर्शन करने आती हैं। वैसे तो इस मंदिर में हर दिन भक्तों का हुजूम व ताता दर्शन के लिए उमड़ा रहता है पर मंगलवार व शनिवार को यहां भक्तों का हुजूम देखते ही बनता है। यहां बहुत दूर-दराज जगहों से भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद निशान (धर्म ध्वज) चढ़ाने ढोल-नगाड़े बजाते व नाचते-कूदते आते हैं।
इनको मनोकामना की पूर्ती के लिए भी जाना जाता है ऐसी मान्यता है कि जो भक्त यहां सच्ची श्रद्धा व आस्था से अपनी मनोकामना की प्रार्थना करता है उसकी मनोकामना हनुमान जी समयानुसार अवश्य पूरी करते हैं। पूरे प्रयागराज में हनुमान जी का यह सबसे लोकप्रिय मंदिर है।
मुगल बादशाह अकबर ने जब आत्म समर्पण किया :-
यह मंदिर प्रयागराज में बिल्कुल संगम के किनारे व अकबर के किले के पास है। बात उस समय की है जब भारत में मुगल शासकों का बोलबाला व अत्याचार चरम पर था। अकबर को अपने किले का विस्तार करना था और किले के पास में मंदिर व हनुमान जी की प्रतिमा थी जो उसके किले के विस्तार में बाधक प्रतीत हो रही थी तो अकबर ने सोचा क्यों न इस प्रतिमा को दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया जाय और मंदिर को यहां से तोड़ दिया जाय। अकबर ने प्रतिमा को दूसरे जगह शिफ्ट करने का आदेश दे दिया उसके आदमी और सैनिकों ने प्रतिमा को हटाने के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा दिया किंतु प्रतिमा हटाने की बात तो दूर उसके सैनिक इसको अपनी जगह से टस से मस हिला भी न सके। उनके सारे प्रयास असफल रहे। अंततोगत्वा बादशाह अकबर ने भी हार मानकर हनुमान जी के आगे आत्म-समर्पण कर दिया। ऐसा है यह दिव्य चमत्कारिक हनुमान जी का पावन धाम। इस मंदिर का जिक्र पुराणों आदि में भी मिलता है। इस मंदिर की स्थापना के संबंध में अनेक कहानियां, श्रुतियाँ और लोकोक्तियाँ प्रचलित हैं।
बाढ़ के समय माँ गंगा स्वयं हनुमान मंदिर में आकर जलाभिषेक करती हैं :-
इस मंदिर के साथ एक और सबसे अद्भुत व दिव्य चमत्कार देखने को मिलता है। प्रयागराज में जब भी भयंकर बाढ़ आती है तो माँ गंगा स्वयं संगम से चलकर इस मंदिर में पहुंचकर हनुमान जी की प्रतिमा पर जलाभिषेक किया करती हैं और जैसे ही माँ गंगा का जल मंदिर में पहुंच जाता है उसके बाद गंगा का जलस्तर कम होने लगता है और लोग आश्वस्त हो जाते हैं कि माँ गंगा ने हनुमान जी का जलाभिषेक कर लिया है अब बाढ़ कम हो जाएगी और ऐसा ही होता भी आ रहा है। इस चमत्कार को देखकर श्रद्धालु, भक्त व प्रयागराजवासी हनुमान जी के सामने नतमस्तक होते हैं।
प्रयागराज पहुंचने का मार्ग व साधन :-
जैसा कि यह मंदिर उत्तर-प्रदेश के धार्मिक नगरी प्रयागराज में स्थित है। यहां देश के किसी भी कोने से पहुंचना आसान है। क्योंकि प्रयागराज हवाई यात्रा व रेलमार्ग दोनों साधनों से जुड़ा हुआ है। यहाँ के एयरपोर्ट का नाम बमरौली है और मुख्य रेलवे स्टेशन प्रयागराज जंक्शन है। यहां आप सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
इस मंदिर के पास ही संगम (गंगा, यमुना व सरस्वती) तीनो पवित्र नदियों का अद्भुत मिलन है। पौराणिक सरस्वती कूप व अक्षय वट भी इसी मंदिर के पास हैं।
दोस्तों हम सबको अपने जीवन की इस आपा-धापी व भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जीविकोपार्जन के चक्कर में ऐसे दिव्य चमत्कारिक, धार्मिक व आध्यात्मिक स्थलों के दर्शन करने का सौभाग्य व समय कम ही मिल पाता है। जीवन सांसारिक चीजों के उहापोह में इतना फंस गया है कि पारलौकिक जीवन की यात्रा का हमें कुछ याद ही नहीं रह जाता और समय यूँही बीतता चला जा रहा है। भाग दौड़ और व्यस्तता तो जीवन भर लगा रहेगा व इस भौतिक संसार में जितना कुछ भी मिल जाएगा सदैव कम ही रहेगा अतः जीवन की व्यस्तता से कुछ समय निकाल कर ऐसे दिव्य धार्मिक स्थलों का दर्शन-पूजन करके अपने इस लोक व परलोक की जीवन यात्रा को सफल बनाएं। अतः मैं श्री हनुमान जी महाराज से प्रार्थना करते हुए यह लेख आप लोगों को सौंपे जा रहा हूँ। हनुमान जी की कृपा आप सभी घुमक्कड़ों व सुधी पाठकों के जीवन में अनवरत बनी रहे। यह लेख आपको कैसा लगा मुझे कमेंट में जरूर बताएं।