औली
उतराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ से 16 किमी दूर एक खूबसूरत जगह है औली | औली को कुदरत ने बेपनाह खूबसूरती बख्शी है | औली से आप नन्दा देवी, कामेट, माणा पर्वत, दूनागिरी आदि हिमालय की चोटियों को अपनी आँखों के सामने देख सकते हो| यह नजारा आपका मन मोह लेगा| औली की सुंदरता देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे समय यही रुक गया हो| आप बार बार घंटों तक बर्फ से लदी हुई इन हिमालयी चोटियों को देखते रहोगे| औली आप सर्दियों या गरमियों में दोनों मौसम में जा सकते हो| औली भारत में स्कीइंग डैसटीनेशन के लिए प्रसिद्ध है | जिन लोगों ने स्कीइंग करने या सीखने का सपना लिया हुआ हो | उन लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए औली बहुत अच्छी जगह है| औली भारत का नया और एशिया का अति सुंदर स्कीइंग सेंटर है|
मेरी औली यात्रा
नवंबर 2021 में बद्रीनाथ धाम यात्रा पर वापसी करते समय मुझे भी अपने दोस्तों के साथ औली घूमने का मौका मिला | हम बद्रीनाथ धाम से सुबह निकले और गोबिंद घाट से होते हुए जोशीमठ पहुंचे | जोशीमठ बाजार से निकलते हुए कुछ दूरी पर जाकर हम उस जगह पर पहुँच गए जहाँ से जोशीमठ- औली रोपवे शुरू होता है | हमनें भी औली रोपवे की टिकट ली जिसकी आने जाने की कीमत 1000 रुपये थी | औली रोपवे पर जाने का अपना अलग ही रोमांच है| हमने अपनी बारी का इंतजार किया और फिर हम औली रोपवे के केबिन में सवार हो गए| औली रोपवे एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा रोपवे है| जोशीमठ-औली रोपवे की लंबाई कुल 4 किलोमीटर है| यह रोपवे विश्व की श्रेष्ठतम तकनीक से बना हुआ है| इस रोपवे मार्ग पर कुल 10 विशाल स्तंभ और दो केबिन है | एक केबिन में कुल 25 लोग बैठ सकते हैं|
हम भी औली रोपवे की केबिन में सवार हो गए| औली रोपवे की केबिन में गाईड भी था जो सभी यात्रियों को औली के बारे में जानकारी दे रहा था| औली रोपवे आपको समुद्र तल से 1927 मीटर पर बसे जोशीमठ से 3027 मीटर की ऊंचाई पर औली में ले जाता है | रोपवे का आठवां स्तंभ औली में है| जैसे ही हमारा कैबिन रोपवे ऊपर चलने लगा तो रोमांच बहुत बढ़ गया| नीचे दिखाई देने वाले नजारे मंत्रमुग्ध कर रहे थे| जोशीमठ शहर ऊपर से बहुत सुन्दर दिखाई दे रहा था | हम जोशीमठ के अलग अलग सथानों की निशानदेही कर रहे थे रोपवे में बैठ कर| गाईड सभी यात्रियों को सामने दिखाई देती हुई हिमालयी चोटियों के नाम बता रहा था| जैसे जैसे रोपवे ऊपर जा रहा था नजारे बदल रहे थे| आप इसकी ऊंचाई का अंदाज़ा इस बात से लगा लो जो हाथी पर्वत जोशीमठ से कितना ऊंचा और बड़ा दिखाई देता है | यह हाथी पर्वत औली से बिलकुल बौना लगता है | हमें ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी स्वर्ग में आ गए हो | कुछ समय बाद हम औली पहुंचे| रोपवे से बाहर निकल कर सीढ़ियों से उतर कर हम औली के मखमली घास के चरागाह में आ गए| औली भी एक तरह की चरागाह ही है जिसमें बढ़ी बढ़ी ढलानें बनी हुई है | इन ढलानों पर जब सर्दियों में बर्फ पढ़ती है तो यह ढलानें स्कीइंग के लिए अनुकूल बन जाती है | ये ढलानें दिसंबर के मध्य से मार्च के मध्य तक सफेद कालीन बर्फ की मोटी परतों से ढकी रहती है | खैर हम औली सभी दोस्तों ने दो तीन घंटे बड़े सकून से गुजारे| घास के मैदान में बैठ कर हम हिमालयी चोटियों को निहारते रहे| पता ही नहीं चला समय कैसे गुजर गया | हम औली में नवंबर के शुरू में आए थे तो यहाँ बर्फ नहीं मिली लेकिन औली की खूबसूरती ने मन मोह लिया | शाम के पांच बजने वाले थे | अब हमने वापस भी जाना था | दोस्तों के साथ औली में हमने बहुत सारी बातें की घुमक्कड़ी को लेकर | औली की खूबसूरत यादों का पिटारा लेकर हम जोशीमठ जाने के लिए दुबारा औली रोपवे में बैठ गए | रास्ते में कुदरत के खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हुए हम जोशीमठ पहुँच गए | जहाँ से हमे ऋषिकेश के लिए जाना था |
औली कैसे पहुंचे - औली पहुंचने के लिए आपको पहले जोशीमठ पहुंचना होगा | जोशीमठ चमोली जिले का ब्रदीनाथ मार्ग पर एक अहम सथान है | ऋषिकेश ही सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है औली के लिए | ऋषिकेश से आप बस या टैक्सी लेकर जोशीमठ पहुँच सकते हो| जोशीमठ से आप रोपवे से या अपनी गाड़ी से औली तक आ सकते हो | रहने के लिए भी आपको जोशीमठ में बहुत सारे होटल, गैसट हाऊस मिल जाऐगे|