जब पोस्टिंग सहारनपुर मे थी तो वहाँ से मेरा घर अल्मोड़ा पास में ही था तो जब भी मन करता था तो घर चला जाता था।घर तो घर होता है और घर जब पहाड़ों में हो तो घर जाने का मन किसे नहीं करेगा। आलम ये था कि जब तक महीने में एक बार पहाड़ों के दर्शन ना हो जाये जिंदगी अधूरी सी लगती थी और अभी भी लगती है।
दिसंबर 2017 की बात थी छुट्टी लंबी थी बहुत दिनों से घर में था तो मन हो रहा था कोई आस पास छोटा मोटा ट्रेक ही कर लिया जाए। बहुत खोजा लेकिन मुझे मेरी जानकारी में आस पास कोई ट्रेक नहीं मिला जहाँ से मेरा सच्चा प्यारा हिमालया के दर्शन मुझे हो जाये। फिर शाम को मे अपने बचपन के प्रिय मित्र मनीष मेहता के घर गया और मैंने अपनी ट्रेक करने की इच्छा और सही ट्रेक ना मिलने की दुविधा दोनों उसको बतायी।लड़का हीरा था और मेरी समस्या का समाधान वो अपने पास ले के घूम रहा था।वो बोला भाई कौसानी के पास एक छोटा ट्रेक है पीनाथ 19-20 km का वहां चलते है।
मनीष को हम लोग मंदा भी बोलते हैं. मंदा वहाँ पहले भी जा चुके थे। एक और लड़का राकेश सिंह मेहता भी रेडी हो गया।रात भर ट्रेक के बारे में सोचते हुए मुझे नीद ही नहीं आई। बचपन में जब या फिर यूँ भी बोल सकते हो जवानी में जब अगले दिन मेरा क्रिकेट मैच होता था तो रात भर में ये सोचता रहता था की मैं ऐसे बैटिंग करूँगा। ऐसे बॉलिंग करूँगा।फील्डिंग भी जिसका लोग मुझे 🙏🙏🙏 जोंटी रोड्स कहते थे,और अब सोचता हूँ की ट्रेक कैसा होगा कितने माउंटेन दिखायी देंगे।
वक़्त के साथ इंसान की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. फिर क्या था अगले दिन मॉर्निंग मे ही गाड़ी पकड़ी और पहुँच गए कौसानी के पास जहाँ से हमारा ट्रेक का सफरनामा शुरू होना था।चलना शुरू हुआ जंगल से होते हुए रास्ता खोजते हुए हम लोग चलते रहे. ट्रेक के बारे में इतना किसी को पता नहीं चल पाया था इस लिए पगडण्डीयां भी नहीं बनी हुई थी ना कोई दिख रहा था जो रास्ता बता सके मंदा को भी दिक्कत हो रही थी रास्ता याद करने में।चलते रहे और करीब 10 km चलने के बाद हम लोग पहुचे पीनाथ जहाँ एक मंदिर था..वहाँ से mt त्रिशूल. राजरंबा, नंदादेवी, नंदाखाट, नंदाघूंती, पंचाचूली, का नजारा अति मनोहारी था।
वहाँ कुछ देर पूजा करने के बाद हमने फोटोशूट किया।फिर वहां से हमको जाना था अपनी अगली और आखिरी मंजिल बुड़ा पीनाथ जो कि करीब 2 km था वहाँ से बिना देर किए हम वहाँ से चल दिए। जब हम बुड़ा पीनाथ पहुचे तो वहाँ से उत्तराखंड की करीब करीब सारी चोटियां दिखायी दे रही थी जैसे हैड़ाखान, रानीखेत से दिखायी देती हैं।वहाँ से यमुनोत्री से ले के नेपाल तककी चोटियां दिखायी दे रही थी. बंदरपूछ, भागीरथी, थालायी सागर, शिवलिंग, केदार डोम, चौखंबा, हाथी घोरा पर्वत, नीलकंठ, नंदाघूंती, Mriguthani, नंदाख़ाट नंदा कोट,🙏🙏 नंदा देवी, पंचाचूली और नेपाल की अन्नपूर्णा वहां से साफ दिखायी दे रही थी। वहाँ पे एक छोटा सा पुराना मंदिर भी था।कुछ समय वहाँ बिताने के बाद हम वापस घर को चल दिए।