बिठूर में घूमने की जगह या बिठूर के दर्शनीय स्थल जानने से पहले यह जान लीजिये की यह नगर गंगा किनारे बसा है और कानपुर शहर में आता है , यहाँ का इतिहास बड़ा ही स्वर्णिम है क्यूंकि यही पे रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बीता है, नानाराव पेशवा ने 1857 के स्वंत्रतता संग्राम का बिगुल यही से फूंका , तात्या टोपे यही रहे अगर धार्मिक महत्त्व की बात करे तो इसी Bithoor में वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी , लव कुश का जन्म भी यही हुआ , राजा उत्तानपाद के पुत्र ध्रुव ने यही तप किया , ब्रह्मा जी ने यही यज्ञ किया |ध्रुव टीला , ब्रह्मावर्त घाट , ब्रह्मा खूँटी , ब्रह्मेश्वर शिव मन्दिर , पत्थर घाट , टिकैतराय शिव मन्दिर , रानी लक्ष्मीबाई घाट , वाल्मीकि आश्रम , लवकुश जन्म स्थली , सीता रसोई , सीता कुण्ड , श्री संकट मोचन मन्दिर , नाना राव पेशवा स्मारक , सुधान्शु जी आश्रम , इस्कान मन्दिर , साईं दरबार बिठूर के दर्शनीय स्थल है |
बिठूर के बारे में
यह नगर उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहाँ पर पर्यटन के ढेर सारे विकल्प मौजूद है बिठूर एक ऐसा नगर है जिसका जितना ही ज्यादा धार्मिक महत्त्व है उतना ही ज्यादा यह ऐतिहासिक महत्त्व को समेटे हुये है , यह नगर तात्या टोपे नानाराव पेशवा जैसे महान व्यक्तियों के लिये जाना जाता है इसके अलावा रानी लक्ष्मबाई का बचपन भी यही पर बीता था इसके अलावा 1857 के स्वंत्रतता संग्राम का भी सम्बन्ध इस नगर से है |अब यदि यहाँ के धार्मिक महत्त्व की बात करे तो इसी बिठूर नगरी में ध्रुव ने तपस्या की थी और ब्रह्मा जी ने यही पर सृष्टी की रचना की और यही पर वाल्मीकि जी ने रामायण लिखी और लव कुश का जन्म भी यही हुआ था यहाँ पर आपको आज भी कई पुराने जीर्ण शीर्ण किले , बारादरियाँ देखने को मिल जाएँगी , बिठूर गंगा नदी के किनारे पर बना एक नगर है जहाँ तमाम घाट है और कुछ घाट बहुत ही खूबसूरत है |
कैसे पहुंचे यहाँ - How to reach Bithoor
यह नगर कानपुर के समीप है तो यहाँ पहुचने के लिए आपको किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होगी आइये अब जान लेते है यहाँ कैसे पहुंचा जाये -
~ यदि आपको हवाई मार्ग से बिठूर आना हो तो यहाँ के सबसे नजदीकी एअरपोर्ट कानपुर और लखनऊ है कानपुर एअरपोर्ट की बिठूर से दूरी लगभग 35 किलोमीटर है वही लखनऊ एअरपोर्ट की बिठूर से दूरी लगभग 90 किलोमीटर है परन्तु कानपुर एअरपोर्ट से अभी फ्लाइट कम ही है तो एक बार आप देख ले |~ यदि आपको रेल मार्ग से आना है तो यहाँ का नजदीकी रेलवे स्टेशन कल्यानपुर है लेकिन कल्यानपुर में बहुत ही कम ट्रेन रूकती है तो यहाँ का जो मुख्य रेलवे स्टेशन है वो है कानपुर सेन्ट्रल , कानपुर सेन्ट्रल के लिए आपको भारत के लगभग सभी बड़े शहरो से ट्रेन मिल जायेगी पहले आप कानपुर सेन्ट्रल आ जाओ फिर वहां से ऑटो कैब इत्यादि से बिठूर आ जाओ |
~ अब यदि आप सड़क मार्ग द्वारा बिठूर आने का मन बना रहे है तो आपका स्वागत है यह नगर बहुत ही अच्छे तरीके से भारत के सभी शहरो से जुड़ा हुआ है कुल मिलाकर यहाँ आने के लिए आपका लैंडमार्क कानपुर होना चाहिये |इस नगर के अन्दर ज्यादातर दार्शनिक स्थल आसपास ही है तो उनको आप पैदल ही घूम सकते हो बाकी यहाँ ई-रिक्शा टेम्पो आदि मिल जाते है आप चाहो तो बुक कर लो और आराम से घूमो |
कहाँ रुके - Where to Stay in Bithoor
वैसे तो आप इस धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी को बड़े ही आराम से एक दिन में घूम सकते है एक दिन के लिए पर्याप्त है फिर भी यदि आपको यहाँ रुकना ही है तो यहाँ आपको कुछ होटल धर्मशाला मिल जाएँगी लेकिन ये सब यहाँ सीमित ही है हा आप चाहो तो कानपुर में बड़े ही आराम से अपने मन के होटल में रुक सकते है वैसे यदि आपको इस नगर में ही रुकना हो तो यहाँ एक सरकारी आवास गृह भी है जो की नाना राव पेशवा स्मारक में है इस आवास गृह का नाम राही टूरिस्ट बंगलो है यहाँ के AC रूम का किराया लगभग 1600 रूपये है और इसकी आप ऑनलाइन बुकिंग https://upstdc.co.in/ वेबसाइट से कर सकते है |
यहाँ कब जाया जाये
देखिये बिठूर उत्तर भारत में स्थित है तो यहाँ पर गर्मियों में अत्यधिक गर्मी पड़ती है तो गर्मी में जब आप यहाँ जाओगे तो दिक्कत तो कोई नहीं बस पसीना और गर्मी आपको ज्यादा परेशान करेगी बाकी आप साल भर यहाँ घूमने जा सकते है कोई दिक्कत नहीं है मैदानी जगह है आराम से घूमिये |
बिठूर के दर्शनीय स्थल - Bithoor Tourist Places
अब हम आपको यहाँ के सभी खास-खास दार्शनिक स्थलों की जानकारी देंगे यह एक छोटा सा नगर है तो यहाँ के लगभग सभी पर्यटन स्थल आसपास ही है तो आइये जानते है बिठूर में घूमने की जगहो के बारे में -
ध्रुव टीला
ध्रुव टीला एक संरक्षित स्मारक है पौराणिक कथा के अनुसार ध्रुव टीला वही स्थल है जहाँ बालक ध्रुव ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी और भगवान ने प्रसन्न होकर ध्रुव को एक अमर तारा बनने का वरदान दिया था , यह टीला गंगा के किनारे पर बना हुआ और बहुत ही शांत जगह है यह थोड़ी ऊंचाई पर है मतलब जिस रास्ते से आप ध्रुव टीला जाओगे वो रास्ता थोडा सा बहुत हल्का सा चढ़ाई वाला है हालाँकि यह टीला अब खंडहर हो चूका है यहाँ ध्रुव का एक आश्रम है और एक मन्दिर भी है मन्दिर में कई देवी देवताओ की प्रतिमाये स्थापित है |यहाँ प्रवेश निशुल्क है और टाइमिंग का भी कोई इत्ता खास नहीं है आप किसी भी समय जाये यहाँ दर्शन हो जायेंगे क्यूंकि यह एक मंदिर है तो जल्दी ही कपाट खुल जाते है |
रानी लक्ष्मीबाई घाट
नगर गंगा के किनारे बसा है यहाँ का एक बहुत ही साफ़ सुथरा सुन्दर घाट है रानी लक्ष्मीबाई घाट इस घाट पर आपको शौचालय , पीने योग्य जल , वस्त्र परिवर्तन , स्नान करने वाला घाट जैसी सुविधाये मिल जाएँगी इसके अलावा यहाँ की साफ़ सफाई भी शानदार है इन सबके अलावा इस घाट पे रानी लक्ष्मीबाई की एक बहुत ही सुन्दर प्रतिमा बनी हुई है तो इस घाट को आप जरूर याद रखे यहाँ अवश्य आइयेगा | रानी लक्ष्मीबाई घाट पर प्रवेश पूर्णता निशुल्क है और टाइमिंग भी दिन भर है क्यूंकि यह एक घाट है |
ब्रह्मावर्त घाट
Bithoor का सबसे अधिक महत्त्व वाला यह स्थल ब्रह्मा जी से सम्बंधित है ब्रह्मा जी ने इसी स्थल पर यज्ञ किया था और सृष्टि की रचना यही की थी यह एक पवित्र घाट है यहाँ पर बहुत से लोग स्नान करते है इस घाट के रास्ते में आपको तमाम प्रसाद और खिलौनों की दुकाने दिखाई देंगी , गंगाजल के लिए यहाँ पिपिया मतलब कंटेनर मिल जायेंगे अच्छा ब्रह्मावर्त घाट पर एक मन्दिर है और एक खूँटी आइये उनको भी जान ले -
श्री ब्रह्मा खूँटी तीर्थ मन्दिर
मान्यताओ के अनुसार जिस स्थल पर ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था वही पर प्रतीक के रूम पे एक खूँटी गाड़ दी थी उस खूँटी को ही श्री ब्रह्मा खूँटी कहते है भगवान् विष्णु जी के आदेशानुसार ब्रह्मा जी ने यहाँ पर मानव की उत्पत्ति के लिए यज्ञ किया था यहाँ श्रद्धालु दर्शन हेतु आते रहते है इसे हम बिठूर का मुख्य मन्दिर भी कह सकते है |
श्री ब्रह्मेश्वर मन्दिर
ब्रह्मावर्त घाट पर ही एक मन्दिर है जिसकी मान्यता यह है की स्वयं ब्रह्मा जी ने इस शिवलिंग को यहाँ पर स्थापित किया था इसीलिए इसे श्री ब्रह्मेश्वर महादेव मन्दिर कहते है आप यहाँ भी दर्शन कर ले अरे सबसे पहले ब्रह्मावर्त घाट पे स्नान करे फिर श्री ब्रह्मा खूँटी के दर्शन करे फिर श्री ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर का दर्शन करे और यदि समय हो तो थोड़ी देर यहाँ बैठकर इस दिव्य अलौकिक वातावरण की दिव्यता को महसूस करे |इन सब दर्शनीय स्थलों पर प्रवेश निशुल्क है बाकी आप प्रसाद दान दक्षिणा जो करे वो तो आपकी मर्जी है |
पत्थर घाट या पाथर घाट
ब्रह्मावर्त घाट से थोड़ा आगे बढोगे तो पाओगे पत्थर घाट जो की लाल पत्थरो से बना हुआ एक बहुत ही रमणीक घाट है इस घाट को बनवाने की शुरुआत राजा टिकैतराय ने की थी वाकई में यह घाट गज़ब की कलाकृति का नमूमा है यहाँ पर एक भगवान शिव का मन्दिर है और मंदिर के बाहर भोलेनाथ का दिव्य त्रिशूल बना हुआ है इस त्रिशूल की बनावट बहुत ही उम्दा है इस शिव मन्दिर की आप जितनी भी तारीफ करो कम ही होगी |
अच्छा पत्थर घाट पर शिव मन्दिर जहाँ पर है वहां से एक जीना है जिसे आप ऊपर जा सकते और ऊपर जाकर माँ गंगा और बिठूर का बहुत ही सुन्दर द्रश्य देख सकते हो | यहाँ बने शिव मंदिर की वास्तुकला बेजोड़ है और इस मंदिर के पास ही एक बारादरी भी है, यहाँ का मेरा सबसे पसन्दीदा घाट पत्थर घाट या पाथर घाट है |यहाँ भी प्रवेश निशुल्क है टाइमिंग भी दिनभर की है |
नाना राव पेशवा स्मारक
यह वही स्थल है जहाँ रानी लक्ष्मीबाई का बचपन बीता था इस स्मारक में आप जैसे ही अन्दर जाओगे सबसे पहले देखोगे राने लक्ष्मीबाई की प्रतिमा को और यही से आप देशभक्ति के भाव में विभोर हो जाओगे अब और आगे बढ़ने पर आप म्यूजियम देखोगे , दीवारों पर रानी लक्ष्मी बाई और सती चौरा घाट कांड को दर्शाती पेंटिंग्स बनी है यही स्मारक पूर्व में नाना साहब का महल था अब आगे आप पाएंगे एक सेल्फी पॉइंट जहाँ नाना साहब की प्रतिमा स्थापित है और एक हरा भरा पार्क भी पास में ही है |यहाँ पर एक झील सी भी है जिसमे आप नौका विहार का लूत्फ भी ले सकते हो, इसी स्मारक में तात्या टोपे की भी प्रतिमा है और एक कुंवा भी है यहाँ जहा पर रानी लक्ष्मी बाई का घोडा सारंग बांधा जाता था तो आप इस नाना राव पेशवा स्मारक को अवश्य देखे यह आपको अपने देश के इतिहास से परिचित करायेगा | यहाँ की एन्ट्री फीस 25 रुपे है और बाइक पार्किंग 10 रूपये है कार की पार्किंग का 20 रूपये पड़ता है|
नाना राव पेशवा स्मारक के बिलकुल सामने ही श्री बाबा भैरव नाथ जी का मन्दिर है जहाँ भी आप जाकर दर्शन कर सकते है क्यूंकि यह इस स्मारक के बिलकुल बाहर ही है |
वाल्मीकि आश्रम
नाना राव पेशवा स्मारक से थोड़ी दूरी पर पड़ता है वाल्मीकि आश्रम जहाँ आपको कई मन्दिर देखने को मिलेंगे पौराणिक कथा के अनुसार इसी जगह पर वाल्मीकि जी ने रामायण महाकाव्य की रचना की थी और इसी स्थान पर लव कुश का जन्म हुआ था और इन दोनों बालको की शिक्षा दीक्षा भी यही हुई थी वैसे अपने देश में कई जगह ये मान्यता है की यहाँ पर लव कुश का जन्म हुआ अब कौन सा सच है ये तो पता नहीं |
इस आश्रम के बाहर लगे पुरातत्व विभाग के बोर्ड के अनुसार यहाँ स्थित वाल्मीकि मंदिर का जीर्णोधार पेशवा बाजीराव द्वितीर द्वारा 19वी शताब्दी में कराया गया था इस आश्रम में सीता रसोई , सीता कुण्ड , वाल्मीकि जी का मन्दिर है और यह आश्रम बिठूर नगर से थोड़ी सी ऊंचाई पर बना हुआ है , अच्छा यहाँ पर एक दीपमालिका स्तम्भ भी है जो की बिलकुल सीता रसोई के पास स्थित है बताते है इस स्तम्भ में 48 सीढियां है , सीता रसोई में कुछ पुराने बर्तन रखे हुए है और जो सीता कुण्ड है उसे पाताल प्रवेश भी कहते है |
इस स्थल पर नीचे ही श्री लव कुश जन्म स्थल मन्दिर भी है और इस मंदिर माँ सीता की प्रतिमा , लव कुश जन्म भूमि , श्री दक्षिण मुखी हनुमान प्रतिमा स्थापित है वहां लगे एक बोर्ड के अनुसार यह वही स्थल है जहाँ पर लव कुश ने श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को पकड़ा था और वीर हनुमान को बंदी बनाया था तो वाल्मीकि आश्रम के दर्शन के बाद आप श्री लव कुश जन्म स्थल मंदिर के भी दर्शन कर ले |
इनके अलावा भी यहाँ पर कई मंदिर है जैसे श्री गुरु मन्दिर, श्री राधा कृष्ण मन्दिर , श्री सीताराम मंदिर , श्री शिव मंदिर , श्री सीता लवकुश मन्दिर , श्री सीताराम मन्दिर , बंगाली बाबा आश्रम आदि यदि आपके पास समय है तो इन सबके दर्शन अवश्य करे | इन सब जगहों पर भी प्रवेश निशुल्क है और टाइमिंग भी दिन भर की है |
श्री साईं दरबार बिठूर
यह साईं दरबार मंदिर इस नगर का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है यहाँ साईं बाबा के दर्शन करने लोग दूर दूर से आते है यहाँ आप गुरु स्थान , अखण्ड ज्योति , श्री साईं नाथ की धूनी के दर्शन अवश्य करे यह एक भव्य मन्दिर है और यहाँ की बड़ी मान्यता है यह साईं बाबा को समर्पित एक धार्मिक स्थल है |
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श्री सुधांशु जी आश्रम या सिद्दिधाम आश्रम
श्री सुधांशु जी महाराज आश्रम बहुत ही भव्य स्थान है यहाँ पर बना श्री राधा माधव मंदिर वाकई में बहुत ही भव्य और सुन्दर है इस मन्दिर की भव्यता बाहर से ही पता चल जाती है लेकिन जब आप इस मंदिर के भीतर प्रवेश करोगे आप बस इस मन्दिर को निहारते ही रह जाओगे यहाँ तो जरूर आये इस आश्रम में आपको गज़ब की हरयाली देखने को मिलेगी , यहाँ पर कई बहुत ही सुन्दर प्रतिमाये बनी है जैसे एक मुख्य द्वार के पास राधा कृष्ण की गाय के साथ अति मनमोहक प्रतिमा बनी है |इसके आलावा कैलाश पर्वत बनाया गया है जिसमे भगवान शंकर का पूरा परिवर दिखाया गया यह बहुत ही सुन्दर है यहाँ पर बहुत से लोग अपनी फोटो क्लिक करते है यहाँ से थोड़ी दूरी पर एक रथ पर भगवान कृष्ण अर्जुन के सारथी बने हुए प्रतिमा जो देखने में बिलकुल सजीव सी लगती है अरे मेरी मानिये तो बिठूर नगर में आकर आपको इस सुधांशु जी आश्रम में जरूर आना चाहिए इस आश्रम में बच्चो को खेलने के लिए कई झूले भी है तो गायो की देखभाल हेतु एक गौशाला भी है |
इस्कान मन्दिर
इस्कान मंदिर ये भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों की एक चैन है देश विदेश में बहुत से इस्कान मंदिर है परन्तु जो इस्कान मंदिर बिठूर में है उसकी मान्यता ही अलग है इसे श्री श्री राधा माधव मन्दिर भी कहते है इस मन्दिर का प्रांगण बहुत ही बड़ा और हरा भरा है यहाँ बजते कीर्तन आपको आनन्दित कर देंगे वहां के एक महंत जी के अनुसार इस्कान का उद्देश्य अपने जीवन में श्री कृष्ण की एंट्री करके जीवन को खुशियों से भरना है |
बाहर से यह मन्दिर बहुत ही सुन्दर दिखाई पड़ता है आप मन्दिर प्रांगण में कही से भी मन्दिर को देखोगे यह भव्य ही दिखाई देगा मंदिर परिसर के अन्दर ही आपको प्रसाद पूजन सामग्री धार्मिक किताबे इत्यादि मिल जायेगा यह मन्दिर अन्दर से भी बहुत विशाल और भव्य है मंदिर परिसर के बाहर एक पार्क है और एक गौशाला भी है तो दोस्तों कभी भी आप कानपुर की तरफ आये तो बिठूर में स्थित यह मन्दिर जरूर देखे और दर्शन करे |इस्कान मंदिर बिठूर की टाइमिंग की बात करे तो यह सुबह 4:30 बजे श्रधालुओ के लिए खुल जाता है और दोपहर 1 बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाते है फिर शाम को 4 बजे से 8:30 बजे तक उः खुला रहता है यहाँ प्रवेश निशुल्क है | यहाँ मंदिर परिसर में यदि आप रुकना चाहो तो वह व्यवस्था भी है अप इनके वैदिक आश्रम में रुक सकते है |
गंगा नदी और घाट और अन्य धार्मिक स्थल
मैंने ऊपर बिठूर के खास खास घाट के बारे बताया इसके अलावा इस नगर में 52 घाट है जैसे लक्ष्मण घाट , पाण्डव घाट आदि यदि आप थोडा सा समय लेकर आये हो यहाँ पर पैदल ही सारे घाट देखो गंगा किनारे बैठो ठंडी ठंडी हवा लो गज़ब का सकूं मिलेगा |मैंने यहाँ के लगभग सभी धार्मिक जगहों के बारे में बता दिया है फिर भी इस नगर में आपको तमाम और धार्मिक स्थान मिलेंगे जैसे श्री भागवतेश्वर महादेव मंदिर , परम प्रबुद्ध धाम , श्री सरकार स्वामी आश्रम , सोहम आश्रम , श्री परमहंस सद्गुरु धाम , श्री अयोध्या धाम मंदिर , श्री हरि धाम आश्रम , श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर , श्री सर्वेश्वर भगवान् शंकर मन्दिर , रामानंद भारती आश्रम , गायत्री शक्तिपीठ आदि , गंगा ब्रिज के किनारे ही एक मस्जिद है जो कि गणेश धाम के पास ही है |
यहाँ कैसे घूमे
देखिये बिठूर नगर के सभी दर्शनीय स्थल आसपास ही है आप चाहो तो पैदल घूम सकते हो आप ध्रुव टीला से शुरू करो फिर गंगा ब्रिज पे आकर लक्ष्मण आकर लगातार क्रम से सारे घाट देखो सबसे पहले रानी लक्ष्मी बाई घाट देखो फिर ब्रह्मावर्त घाट ब्रम्हावर्त पे ही श्री ब्रह्मा खूँटी और श्री ब्रह्मेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन करके आ जाओ पत्थर घाट यही पे शिव मंदिर के दर्शन करके निकल लो नाना राम पेशवा स्मारक की तरफ फिर जाओ वाल्मीकि आश्रम इसके बाद आप एक ऑटो या ई रिक्शा कर लो और उससे बोल दो साईं दरबार , सुधांशु आश्रम और इस्कान मन्दिर घुमा दे वो आपको घुमा देगा |
इनके अलावा यदि आपका उद्देश्य मनोरंजन है तो बिठूर के आसपास कई वाटर पार्क भी है जैसे ब्लू वर्ल्ड थीम वाटर पार्क , स्पोर्ट्स विलेज वाटर पार्क , जंगल वाटर पार्क भी घूम सकते है ये तीनो ही पार्क बहुत ही बढ़िया है |
अंतिम शब्द
यदि आपको बनारस के घाट पसंद है आपको नदी के किनारे बैठना पसंद है आपको इतिहास और हिन्दू धर्म से लगाव है आपको गंगा में स्नान करना पसन्द है आपको शहरो की भागदौड़ से निकलकर कुछ समय शान्ति में बिताना पसंद है तो साहब सच मानिये बिठूर आपके लिए ही है जरूर आइये एक बार इस नगर में और धर्म देशभक्ति शांति सब एकसाथ देखिये यदि आपको हमारी यह पोस्ट पसन्द आई हो तो इसे ढेर सारा शेयर करे जिससे बिठूर के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगो को जानकारी हो |