#चौबटिया_गार्डन_रानीखेत
जब हम कौसानी से रानीखेत के लिए निकले थे तो बहुत तेज बारिश हो रही थी, जब बारिश कम हुई तो सारे पहाड़ों को उड़ते हुए बादलों ने ढक लिया। उस दिन लग रहा था शायद बारिश रानीखेत घूमने नहीं देगी लेकिन बारिश में ही रानीखेत का कुमाऊं रैंजीमेट मयुजियिम देख लिया । अब हमने रानीखेत से 8.5 किमी दूर हरे भरे चौबटिया गार्डन पर जाने का मन बनाया रास्ते में झूला देवी मंदिर के भी दर्शन कर लिए। झूला देवी मंदिर के बाहर एक व्यक्ति ने कहा आज मौसम खाराब हैं तो चौबटिया गार्डन बंद होगा। मैं रानीखेत चौबटिया गार्डन जरूर देखना चाहता था कयोंकि पहाड़ों पर उगी बनसपती और पेड़ पौधों का अद्भुत खजाना हैं चौबटिया गार्डन । हमने सोचा यहां से 4 किमी दूर है चौबटिया बाग तो एक बार चल कर देखते हैं। कुछ ही देर में हम चौबटिया बाग पहुंच गए। बारिश रुक गई थी लेकिन हवा बहुत तेज चल रही थी । ठंड भी बहुत लग रही थी , पहले सोचा नवकिरन ( मेरी बेटी जो दो साल की है) को ठंड न लग जाए चौबटिया बाग नहीं जाते। नवकिरन को गाड़ी में बैठे ही शीशी में दूध बना कर पिला दिया। अब नवकिरन ने दूध पी लिया था और वह गाड़ी से बाहर निकल कर बाहर आने की जिद्द कर रही थी कयोंकि मैं बाहर पता कर रहा था चौबटिया में कैसे घूमा जाए। चौबटिया एक सरकारी बाग है जहां आपको सरकारी गाईड मिल जाऐंगे जो 300 रुपये में आपको एक दो घंटे में बाग घूमा देते हैं अगर आपको उसके भी आगे जाना है तो 600 रुपये देने होगे। मैंने गाईड से 300 रुपये में बात करके चौबटिया गार्डन घूमने का फैसला किया। नवकिरन को गरम कोटी पहना कर छाता हाथ में पकड़ कर मैं , श्रीमती और नवकिरन चौबटिया के खूबसूरत रास्ते पर गाईड के साथ चलने लगे । गाईड ने Botany में मास्टर डिग्री की हुई थी और वह सरकारी नौकरी कर रहा है चौबटिया बाग में , मैंने उसको बताया कि मैं भी होमियोपैथिक डाक्टर हूं तो उसे बहुत खुशी हुई कयोंकि चौबटिया बाग में बहुत सारे पेड़ पौधे होमियोपैथिक दवाइयों में भी ईसतमाल किए जाते है। चौबटिया बाग का रास्ता बहुत खूबसूरत हैं । सबसे पहले गाईड ने हमें बुरांश का पेड़ दिखाया । बुरांश का पेड़ उतराखंड का राजकीय पेड़ और नेपाल का राष्ट्रीय पेड़ हैं। बुरांश के फूल बहुत खूबसूरत होते है। बुरांश का शरबत उतराखंड में बहुत मशहूर हैं। गाईड ने बताया आप बुरांश के तने के बीच में हाथ लगाओ , जैसे ही हमने हाथ लगाया तो महसूस किया इसके तने के बीच का हिस्सा बहुत मुलायम हैं जैसे मलमली गद्दा हो । बुरांश को इंग्लिश में Rhododendron कहा जाता हैं इसी नाम से होमियोपैथिक दवाई बनती है जो जोड़ो के दर्द के लिए दी जाती हैं , जब ठंडी हवाओं की वजह से जोड़ो में दर्द हो। उसके आगे चलते हुए हमने Oak का पेड़ देखा फिर हरे रंग के छोटे छोटे पौधे देखे जिन्हें सरपगंधा कहा जाता हैं। सरपगंधा को इंग्लिश में Rauwolfia कहा जाता हैं इस दवाई को होमियोपैथी में हम बलड प्रैशर के लिए ईसतमाल करते है। आज अपनी आखों के सामने देख रहा था Rauwolfia को जो मैं अक्सर मरीजों को देता हूँ। नवकिरन यहां आकर बहुत खुश थी , वह चाह रही थी मुझे नीचे उतार दो मैं खुद चलूँगी लेकिन पहाड़ी रास्ते पर गिर न जाए इसलिए हम उसे गोदी में उठा कर चल रहा था। फिर गाईड ने हमें दारु हलदी नाम की जड़ी बूटी दिखाई जिससे शूगर का ईलाज किया जाता हैं। यहां आकर हम चौबटिया के बिल्कुल बीच में आ गए थे। हमारे सामने वियू बहुत खूबसूरत था , मौसम भी कमाल का था , हवा भी ठंडी थी , बारिश भी नहीं थी और धूप भी नहीं थी। इसके बाद गाईड ने हमें अलग अलग किस्म के सेबों के पेड़ दिखाए । उसके बाद हमने खुरमानी का बाग देखा और अब हम पहाड़ पर बनी सीढियों पर चलते हुए खुरमानी के बाग में गुजरते हुए आगे बढ़ रहे थे , जहां हमने एक खूबसूरत फूल देखा जो मैंने कुमाऊं की अलग अलग जगहों जैसे नैनीताल, अलमोड़ा, कौसानी , रानीखेत में भी देखे थे लेकिन नाम नहीं पता था। एक ही बूटे पर अलग अलग रंग के फूल लगते जो बहुत सुंदर दिखाई देते है । इस खूबसूरत फूल को Hydrangea कहते है। इसमें एक बूटे पर ही चार रंग के फूल लगते हैं जैसे पीला, लाल ,हरा आदि । Hydrangea भी होम्योपैथी की दवाई हैं जो पत्थरी और बढ़े हुए गदूद के लिए ईसतमाल की जाती हैं। इन खूबसूरत पेड़ पौधों को देखकर हम पहाड़ी पर चढ़ कर कंटीन में पहुंचे जहां हमने चाय की और बुरांश, खुरमानी का शरबत घर के लिए खरीदा। गाईड को 300 रुपये देकर हम अपनी गाड़ी की ओर चल पड़े। चौबटिया गार्डन में मुझे घूमने के साथ साथ होम्योपैथी की दवाइयों के पेड़ पौधों को देखने का मौका मिल गया जो मेरे लिए यादगार बन गया।








