![Photo of बहुत हो गया काम काज चलो दोस्तो चलते हैं सफर में by B D Sharma](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2150951/TripDocument/1655819371_img_20220621_wa0005.jpg)
नमस्कार दोस्तो निःसंदेह यात्रा का टाईटल देखकर आप समझ ही गये होंगे कि इस सफर का काफिला दोस्तो का हैं
कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब कोई नहीं दे पाता। ये ठीक वैसा ही है जैसे दो पलड़ों में एक किलो रुई और एक किलो लोहा रख दो, फिर पूछो कौन ज़्यादा भारी है। ऐसा ही एक सवाल ट्रैवल से जुड़ा है, किसके साथ सफ़र ज़्यादा बढ़िया होता है, परिवार या दोस्त। मैं भी इन अनुभवों में इसी सवालों का जवाब ढँढने की कोशिश कर रहा हुँ! दुनियादारी में ख़ुद को सभ्य और अच्छा दिखाने और शोशेबाजी के चक्कर में हम वो कभी नहीं हो पाते जो हम सच में होते हैं। यहीं फ़र्क समझ में आता है परिवार के साथ और दोस्तों के साथ घूमने में। परिवार आपको हर क़िस्म की सुरक्षा देता है लेकिन एक सभ्य इंसान होने की उम्मीद नहीं छोड़ता। यानी सफर पर भी आपको कई नियमों को मानना ही पड़ता है।
वहीं दोस्त आपको हर क़िस्म की आज़ादी देता है, सारी दुनिया को अपने होने का सबूत दे सकते हो आप, नोंक झोंक, वाद , लड़ाई झगड़ा, तर्क वितर्क यहां तक भी हो सकता हैं कि बीच सफ़र में किसी दोस्त को छोड़ना भी पड़ सकता हैं लेकिन इन सबसे होने वाले पचड़े की ज़िम्मेदारी भी आपको ही सँभालनी होती हैं । अगर किसी दोस्त ने कुछ भी हंगामा किया तो पिटाई तक भी हो सकती है। दोस्तों के साथ एक ट्रिप होना इतना ही मुश्किल है, जितना कि चन्द्रयान मिशन। बहुत भयंकर प्लानिंग करनी पड़ती है, दसियों जगह हाथ जोड़ना पड़ता है, पचासों जगह धमकी भी देनी पड़ती है। उसके बाद भी मिशन पॉसिबल होने की संभावना 1% से कम होती है।जब यात्रा में कई सारे दोस्त हो तो जगह चुनना भी आसान काम नहीं हैं । क्योंकि कुछ दोस्तो के लिए दूसरे शहर या देश की संस्कृति, वहां की लोकप्रिय और खूबसूरत जगहों को देखने, उन्हें करीब से जानने की चाहत होती है तो कोई दुनिया-भर के मशहूर ज़ायकों का लुत्फ उठाने ट्रिप पर निकल जाता है। वहीं कुछ दोस्तो का काफिला होटल के बंद कमरे में हीं यात्रा का आंनद लेना चाहते हैं वैसे इस बात में तो कोई दो राय नहीं है कि जो जितना दुनिया देखता है वो उतना ज्यादा सीखता है। हाँलाकि हमारी इस यात्रा में जगह चुनने में कोई परेशानी नही हुई क्योंकि एक दो दोस्तो को छोड़कर बस घर से बाहर निकलकर यात्रा करना चाहते थे ।
दोस्तो काफी दिनो की मशकत के बाद आखिरकार मंगलवार की शाम को बुधवार सुबह से ही सफर की शुरूआत करने का प्लान बन ही गया लेकिन परेशानी ये थी एक साथी नागौर से आने वाला था उनको तुरन्त कॉल करके बताया गया कि सुबह पाँच बजे तक हर हाल में पहुंच जाये । नागौरी भी आतुर था सुबह पाँच बजे पहुँच ही गया और सफर शुरू हुआ छैः साथियो का काफिला सेवन सीटर गाड़ी में दो भारी भरकम शरीर वाले दोस्तो के साथ सुबह का सुहाना सफर मस्ती आनंद से ओतप्रोत एवं सुनील बेनीवाल बबल मास्टर की चुलबुली शरारती बातो हरकतो के साथ गाड़ी हिसार की तरफ दौड़ने लगी लेकिन यात्रा के लिए स्थान तिर्थन वेली की के साथ साथ कुछ मित्रो का उतराखण्ड में जाने का भी मन कर रहा था लेकिन हिसार से निकलने के बाद बताया गया कि एक साथी अजय शर्मा चण्डीगढ से हमारे साथ जायेगा प्लानिंग करते दोपहर १:०० बजे चंदीगढ पहुँच गये लेकिन अभी कुछ मित्रो का कहना था कि रुकना नहीं आगे चलते हैं बार बार साथी अजय शर्मा को कॉल करके पुछा जा रहा था कुछ साथी अजय को भी साथ लेकर चलने की बात करने लगे इसी क्रम में एक मित्र के अनुसार पिंजोर में स्थित फ्लैट में जाकर रुकने और अजय शर्मा का इंतजार करने पर सहमति बन गई कुछ पल आराम के फरमाने के बाद मस्ती नोंक झोंक का दौर शुरू हो गया रात्रि में ही चण्डीगढ शहर का भम्रण रात्रि भोज के बाद वापिस फ्लैट से बैग लगेज लेकर आगे की यात्रा शुरू की गई ।
![Photo of बहुत हो गया काम काज चलो दोस्तो चलते हैं सफर में by B D Sharma](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/2150951/SpotDocument/1655819272_1655819271274.jpg.webp)
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