यदि आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं तो मध्यप्रदेश की यात्रा करना तो बनता है। भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में देखने और जानने के लिए बहुत कुछ है। इतिहास प्रेमियों का तो मध्यप्रदेश घूमकर दिल बाग-बाग हो जाएगा। मध्यप्रदेश घूमने का फायदा यह भी है कि यहां घूमना अन्य प्रदेशों में घूमने की तुलना में सस्ता है। यहां घूमने के लिए आपको बहुत अधिक बजट की आवश्यकता भी नहीं होगी। कोरोना के बाद यदि आप घूमने की योजना बना रहे हैं तो मध्यप्रदेश को आप आराम से अपनी विशलिस्ट में शामिल कर सकते हैं।
सांची स्तूप
सांची स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ईसापूर्व में करवाया गया था। आगे चलकर बौद्ध सम्राटों ने इसमें सजावटी दरवाजे बनवाये। कहा जाता है कि इसमें बुद्ध के अवशेष पाएं जाते हैं। यूनिस्को ने इसे विश्व विरासत स्थल का दर्जा दे रखा है। सांची के स्तूप का व्यास 36.5 मी. और ऊँचाई लगभग 21.64 मी. है |
भीमबेटका
इतिहास में रूचि रखने वालों को तो भीमबेटका जरूर जाना चाहिए क्योंकि यहां की गुफाएं पाषाण युग की शुरुआत को दर्शाती हैं। भीमबेटका, यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल भी है। यहां आज भी गुफाएं भीतर 30,000 वर्ष पुरानी पेंटिंग बनी हुई है। इन पेंटिंग्स में नृत्यकला, बैल आदि का विवरण है। भोपाल से मात्र 1 घंटे में भीमबेटका पहुंचा जा सकता है।
भोपाल का हम्माम
यह बहुत अचंभित करने वाली बात है कि भारत में एकमात्र बचा हुआ हम्माम भोपाल शहर के कृष्णानगर में स्थित है। इस तीन सौ वर्ष पुराने हम्माम को गोंड के युग में 1700 के दशक में बनाया गया था। बाद में यह इलाका नवाबों की तरफ से हज्जाम हम्मू खालिदा को उपहार में दिया गया था। हम्माम को तुर्की स्नान भी कहा जाता है। भारत में इसे बनवाने की शुरुआत इस्लाम के आने से हुई।
धुआंधार जल प्रपात
धुआंधार जल प्रपात मध्यप्रदेश की प्राकृतिक खूबसूरती का सजीव प्रमाण है। जब मां रेवा जबलपुर से होकर गुजरती हैं और संगमरमर की चट्टानों से 30 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरती हैं तो इतना आकर्षक दृश्य बनता है। वातावरण में कुछ दिखाई नहीं देता, धूंध और धुंआ सबकुछ छिपा देता है इसलिए इसे धुआंधार प्रपात कहा जाता है।