मुगल बादशाह जहाँगीर की पत्नी महारानी नूरजहाँ के पहले पति का नाम था शेर अफगान। शेर अफगान बर्धमान जिले के जागीरदार थे। नूरजहां को पाने के लिए जहांगीर ने अपने सौतेले भाई कुतुबुद्दीन को भड़काया। कई वर्षों तक शेर अफगान और मेहरुन्नेसा बर्दवान में अच्छा समय बिता रहे थे। लेकिन एक शापित दोपहर सब कुछ बदल गया।
अली कुली खान ने 1594 में मेहरुन्निसा से शादी की। इसके बाद सलीम और भी उतावला हो गया। अकबर नहीं चाहता था कि उसका बेटा मेहरुन्निसा से शादी करे। इसके बजाय, उसने मेहरुन्निसा की शादी अपने प्रिय अली से करने का फैसला किया।अली के पास राजा के बारे में बात टालने का कोई कारण नहीं था। इसलिए मेहरुन्निसा ने उनसे शादी कर ली।
फिर 1605 में सलीम (जहाँगीर) गद्दी पर बैठा। वफादार अली कुली ने अकबर का साथ नहीं छोड़ा। नतीजा यह हुआ कि उसका जहांगीर से झगड़ा भी यहीं से शुरू हो गया। गद्दी पर बैठकर जहाँगीर ने शेर अफगान को को लाहौर से बर्दवान भेजा। जहाँगीर के सौतेले भाई सूबेदार कुतुबुद्दीन के अधीन उन्हें बर्दवान का जागीरदार नियुक्त किया गया था। अपनी नियुक्ति के कुछ समय बाद, अली कुली खान पर कर चोरी और विदेशी अफगानों की सहायता करने का आरोप लगाया गया। कुतुबुद्दीन को सम्राट को धोखा देने के दोषी अली कुली को अदालत में लाने के लिए कहा गया था। जब कुतुबुद्दीन उसे पकड़ने आया तो अली कुली ने कुतुबुद्दीन पर हमला कर दिया। कुतुबुद्दीन गंभीर रूप से घायल हो गया। कुतुबुद्दीन के अनुयायियों के हाथों अली कुली खान उर्फ शेर अफगान की मृत्यु हो गई। कुतुबुद्दीन की भी मृत्यु हो गई। शेर अफगान की मृत
और यहां पीर बहरम खान के मस्जिद के पास कुतुबुद्दीन और शेर अफगान दोनों को समाधि दिया गया। पीर बहरम खां सिक्का का के मस्जिद बर्दवान के आलमगंज इलाके में है। जहां और 26 छोटे-बड़े कब रहें यह कब्र इस मस्जिद के खिदमतगार के हैं। मस्जिद के पीछे एक पोखर है। कहा जाता है की पीर बहरम खान जब जिंदा थे तब उनके लिए अकबर के सेनापति मानसिंह ने इस जलाशय का निर्माण कराया था ताकि मस्जिद में आने वाले लोगों को पानी मिले।