खालसा पंथ की जन्मभूमि तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब पंजाब

Tripoto
28th Jan 2022
Day 1


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नमस्कार दोस्तों🙏🙏
पंजाब टूरिज्म की पोस्ट में आपका स्वागत है, आज हम दर्शन करेंगे, सिख धर्म के पांच पवित्र तख्तों में से एक तख्त श्री केशगढ़ साहिब की जो पंजाब के जिला रोपड़ में चंडीगढ़ से 90 किमी और रोपड़ से 45 किमी दूर हैं। सिख ईतिहास में आनंदपुर साहिब का बहुत महत्व है, यहां दर्शन करने के लिए बहुत ईतिहासिक गुरुद्वारे और किले हैं। आनंदपुर साहिब को नौवें पातशाह गुरु तेग बहादुर जी ने कहलूर रियासत ( बिलासपुर) के राजा से जमीन खरीद कर बसाया था।  इसी पवित्र धरती पर मुगलों के आतंक से परेशान हो कर कशमीरी पंडित गुरु तेग बहादुर जी के पास फरियाद लेकर आए थे, यहां पर ही गुरु गोबिंद सिंह जी के तीन साहिबजादों का जन्म हुआ। इसी पवित्र धरती पर गुरु जी ने पांच किले बनवाए। इसी धरती पर गुरु गोबिंद सिंह जी को गुरगद्दी मिली, इसी धरती पर गुरु तेगबहादुर जी के सीस का अंतिम संस्कार हुआ। कभी आनंदपुर साहिब के गुरुद्वारा साहिब की यात्रा और ईतिहास के बारे में विस्तार में लिखूंगा। आनंदपुर साहिब के ईतिहासिक गुरुद्वारों की लिस्ट बहुत लंबी हैं। आज हम बात करेंगे आनंदपुर साहिब के सबसे महत्वपूर्ण सथल तख्त श्री केशगढ़ साहिब की।
तख्त श्री केशगढ़ साहिब ः
केशगढ़ साहिब एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इसी जगह पर साहिबे कमाल कलगीधर पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 ईसवीं की बैशाखी पर खालसा पंथ की सथापना की। आज केशगढ़ साहिब सिख धर्म के पांच सबसे महत्वपूर्ण गुरुद्वारों में से एक हैं। 1699 ईसवीं की बैशाखी को एक भारी इकट्ठ को संबोधित करते हुए गुरु गोबिंद सिंह जी ने एक शीश की मांग की जो जुल्म के खिलाफ लड़ सके, एक एक करके पांच शिष्य आगे आकर  अपने शीश गुरु जी को देने के लिए आगे बढ़े। बाद में यहीं पांच शिष्य गुरु जी के पांच पयारे बने। जिनके नाम निम्नलिखित हैं...
भाई धरम सिंह
भाई दया सिंह
भाई मोहकम सिंह
भाई हिम्मत सिंह
भाई साहिब सिंह
गुरु जी ने इन पांच शिष्यों को अमृत छकाया और खालसा पंथ की सथापना की। आज भी देश विदेश से श्रद्धालु केशगढ़ साहिब में माथा टेकने आते हैं। केशगढ़ साहिब की ईमारत बहुत शानदार और विशाल हैं। केशगढ़ साहिब गुरु जी का एक किला भी था, दूर से देखने पर आपको सफेद रंग के किले के रूप में दिखाई देगी केशगढ़ साहिब की ईमारत। केशगढ़ साहिब के अंदर गुरु ग्रंथ साहिब जी एक सुंदर पालकी में बिराजमान हैं। वहीं अंदर दरबार में गुरु जी के बहुत सारे ईतिहासिक शस्त्र भी संगत के दर्शनों के लिए रखे हुए हैं, जैसे खंडा, कटार, सैफ, बंदूक,नागिनी बरछा आदि। इसके साथ गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के पवित्र केश और एक कंघा भी रखा हुआ है। यहां पर रहने की और लंगर की उचित वयवस्था हैं। जब भी आप पंजाब घूमने आए तो इस ईतिहासिक धरती को नमन करने आनंदपुर साहिब जरूर जाना। तख्त केशगढ़ साहिब के ईलावा भी आनंदपुर साहिब में और भी बहुत ईतिहासिक गुरुद्वारे हैं जहां आप दर्शन कर सकते हो। आनंदपुर साहिब में रहने के सराय बनी हुई है और लंगर की सुविधा भी हैं।
कैसे पहुंचे- आनंदपुर साहिब पंजाब के रोपड़ जिले में रोपड़ से 45 किमी और राजधानी चंडीगढ़ से 90 किमी दूर है। आनंदपुर साहिब सरहिंद- नंगल डैम रेलवे लाईन पर एक रेलवे स्टेशन हैं। बस से भी आप पंजाब के अलग अलग शहरों से आ सकते हो।

तख्त केशगढ़ साहिब का दूर से दृश्य

Photo of Anandpur Sahib by Dr. Yadwinder Singh

तख्त श्री केशगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब

Photo of Anandpur Sahib by Dr. Yadwinder Singh

गुरु घर

Photo of Anandpur Sahib by Dr. Yadwinder Singh

मैं और श्रीमती तख्त केशगढ़ साहिब के दर्शन करते समय

Photo of Anandpur Sahib by Dr. Yadwinder Singh

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