#आसल_उताड़_युद्ध
#पंजाब_टूरिज्म
दोस्तों खेमकरन यात्रा के दौरान मुझे एक ईतिहासिक गांव के दर्शन करने का मौका मिला जो भारत-पाकिस्तान के 1965 के युद्ध की गवाही भरता हैं। इस गांव का नाम हैं आसल उताड़ जो खेमकरन के पास जिला तरनतारन पंजाब में पड़ता हैं। गांव वालों की तरफ से आसल उताड़ के युद्ध की यादगार बनाई गई है जो देखनेलायक हैं।
#आसल_उताड़_युद्ध
गांव आसल उताड़ अपने 1965 ईसवी के भीषण टैंक युद्ध के लिए मशहूर हैं जो भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ था। पाकिस्तान आरमी ने टैकों से इस गांव के बाहर डेरा लगा लिया, टैक से फाईर करके गांव के बाहर का एक बहुत बड़े टाहली के वृक्ष को उड़ा दिया। पाकिस्तान ने 97 पैंटन टैकों से हमला किया था, भारतीय सैना ने 72 टैकों को नष्ट कर दिया। आसल उताड़ में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे जयादा टैकों का इसतेमाल हुआ, इससे आप इस युद्ध की भीषणता का अंदाजा लगा सकते हैं। गांव वाले ऐसा कहते हैं जब भारतीय सैना ने इस युद्ध को कंट्रोल करना शुरू किया, टैकों को नष्ट करना शुरू किया, पैंटन टैकों को जलाकर राख कर दिया, तब पाकिस्तानी सैना जलते हुए टैकों को खेतों में छोडकर भाग गए। इस भीषण युद्ध में भारतीय सैना की जीत हुई, जिसमें बहुत बड़ा योगदान अबदुल हमीद का था जिसकी शहीदी भी इस युद्ध में ही हुई थी। वीर अबदुल हमीद की शहीदी यादगार भी खेमकरन के पास बनी हुई है। खेमकरन के पास आसल उताड़ युद्ध का भारत पाकिस्तान युद्ध में बहुत महत्व है। अगर आपको देश के वीर सैनिकों की वीरगाथा को सुनना और जानना है तो खेमकरन आपके लिए बहुत अच्छी जगह है।
कैसे पहुंचे- आसल उताड़ गांव खेमकरन के पास हैं, जिसके लिए आपको खेमकरन पहुंचना होगा जो अमृतसर से 63 किमी दूर है। खेमकरन बस और रेलमार्ग से अमृतसर से जुड़ा हुआ है।