#हडप्पा_सभयता_सथल
#कालीबंगा_यात्रा
#भाग_1
#जिला_हनुमानगढ़_राजस्थान
दोस्तों मुझे हडप्पा सभ्यता बचपन से ही आकर्षित करती हैं, शायद पाँचवी छठवीं कक्षा में पहली बार जाना था इसके बारे में, तब तो किताबों में पढ़ा था, लेकिन अब हडप्पा सभ्यता से जुड़ी हुए जगहों पर यात्रा करके इस अमीर सभ्यता के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैं। पंजाब के रोपड़ और गुजरात के लोथल के बाद मेरी यह तीसरे हडप्पा सथल की यात्रा थी कालीबंगा की जो राजस्थान के जिला हनुमानगढ़ की तहसील पीलीबंगा से तकरीबन 6 -7 किलोमीटर दूर हैं।
#कालीबंगा_पहुंचना
दोस्तों मेरी कालीबंगा यात्रा 30 जनवरी 2021 को सुबह 6 बजे शुरू हुई कयोंकि घर से कोटकपूरा, मुक्तसर , अबोहर, गंगानगर तक जाने वाली पहली बस सुबह 6 बजे आती हैं। सुबह चार बजे का अलार्म लगाकर, नहा धोकर चाय के साथ घर के बने हुए परांठे खाकर , सुबह 6 बजे की पंजाब रोडवेज मोगा की बस पर चढ़ गया, सुबह 6.40 बजे कोटकपूरा बस स्टैंड उतर गया। वहां से बठिंडा की बस लेकर सुबह 8 बजे बठिंडा पहुंच गया। उस दिन ठंड बहुत थी, कोहरा भी बहुत घना था, बस भी धीरे धीरे चल रही थी, अक्सर जनवरी के महीने में बहुत कोहरा पड़ता हैं, इसलिए मैंने अपने उपर शाल ( पंजाबी में जिसे खेसी कहते हैं ) ओढ़ रखी थी। बठिंडा से डबवाली की बस मिल गई , डबवाली बस स्टैंड से हनुमानगढ़ लेकर राजस्थान के हनुमानगढ़ शहर के बस स्टैंड पहुंच गया। वहां जाकर पता लगा कि आज राजस्थान रोडवेज बसों की हडताल थी, इसलिए हनुमानगढ़ बस स्टैंड पर काफी समय इंतजार करना पड़ा, इतने समय में मैंने चाय पानी पी लिया। फिर मुझे हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ जाने वाली बस मिल गई, जिसनें मुझे पीलीबंगा उतार दिया। वहां से मैंने रावतसर जाने वाली बस ले ली, जिसने मुझे कालीबंगा मयूजियम से सिर्फ 1 किलोमीटर दूर उतार दिया। यहां से मैं पैदल चलकर ही कालीबंगा की ओर बढ़ने लगा, जल्द ही मैं कालीबंगा मयूजियम के सामने था।
कालीबंगा मयूजियम खुलने व बंद होने का समय ः प्रातः 9 बजे से सांय 5 बजे तक
प्रवेश शुल्क ः भारतीय नागरिक 5/- रूपये
यह मयूजियम हर शुक्रवार बंद रहता है।