#गुरुद्वारा_शहीदां_माहिलपुर
#जिला_होशियारपुर
#पंजाब_टूरिज्म
नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
पंजाब टूरिज्म की पोस्ट में आपका सवागत हैं, आज की पोस्ट में हम पंजाब के जिला होशियारपुर के कस्बे माहिलपुर के ईतिहासिक गुरुद्वारे शहीदां के दर्शन करेंगे जो गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह की वीरता को समर्पित हैं।
#साहिबजादा_अजीत_सिंह_का_दुष्ट_जाबर_खान_को_मारना
दोस्तों बात होगी 1700 ईसवीं की जब बजवाड़ा गांव के एक ब्राह्मण देवी दास की बेटी की शादी जैजों कस्बे में होती हैं, रास्ते में बस्सी कलां का हाकिम पठान जाबर खान लड़की की डोली को उठा कर ले जाता हैं। गरीब ब्राह्मण सरकार के पास जाता हैं, मुगलों की हकूमत हैं, कोई भी सरकारी अधिकारी उसकी कोई मदद नहीं करता, तब देवी दास ब्राह्मण आनंदपुर साहिब में कलगीधर पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी के पास फरियाद लेकर पहुंचता हैं, अपनी बेटी के बारे में बताता हैं। साहिबे कमाल दसवें पातशाह तो गऊ गरीब के रखवाले हैं। गुरु जी देवी दास की बात सुनकर उसे हौसला देते हुए, अपने बड़े पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह को आदेश देते हैं कि आप 200 सिखों का जत्थे को लेकर जाओ और जालिम जाबर खान को सजा देना। साहिबजादा अजीत सिंह जी जालिम जाबर खान से युद्ध करते हैं। इस घमसान के युद्ध में जालिम जाबर खान मारा जाता हैं, बाबा अजीत सिंह जी देवी दास की बेटी को आजाद करवा कर उसके पिता जी को सौंप देते हैं। युद्ध में कुछ सिख भी जख्मी हो जाते है। कुछ सिख शहीद भी हो जाते हैं, इन शहीदों का अंतिम संस्कार बाबा अजीत सिंह इस जगह पर अपने हाथों से करते हैं। इसी जगह पर इन शहीदों की याद में यह ईतिहासिक गुरुद्वारा बना हुआ है।
कैसे पहुंचे - यह ईतिहासिक सथान होशियारपुर से 24 किमी दूर चंडीगढ़ वाले रोड़ की ओर हैं, मेरे घर से 161 किमी और राजधानी चंडीगढ़ से 116 किमी दूर हैं। आप भी जब कभी होशियारपुर आए तो इन शहीदों की पवित्र जगह पर माथा जरुर टेकना। जिस दिन यह लड़ाई हुई थी उस दिन मंगलवार का दिन था, आज भी मंगलवार को बहुत श्रद्धालु माथा टेकने गुरु घर आते हैं।
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