#अशोक_शिलालेख
#जूनागढ़_गुजरात
नमस्कार दोस्तों
जूनागढ़ शहर में बहुत कुछ है देखने के लिए इससे पहले मैं जूनागढ़ मयूजियिम के बारे में लिख चुका हूँ। आज बात करुंगा जूनागढ़ शहर के बहुत ऐतिहासिक सथल अशोक के शिलालेख की । शिला का मतलब होता हैं पत्थर या चट्टान । शिलालेख - किसी पत्थर या चट्टान पर लिखी हुई लिखावट को कहा जाता हैं। गिरनार पर्वत की यात्रा करने के बाद मैं भवनाथ तालेटी से शेयर आटो में बैठकर 20 रुपये में जूनागढ़ शहर के सोनापुरी ईलाके में मौजूद अशोक शिलालेख मयूजियिम के बाहर पहुंच गया।
जूनागढ़ शहर में अशोक का बनाया हुआ बहुत विशाल शिलालेख हैं जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने बहुत बढिय़ा मयूजियिम बना कर संभाल कर रखा हुआ हैं। अशोक शिलालेख जूनागढ़ से गिरनार पर्वत की तरफ जाने वाले रोड़ पर ही बना हुआ है। मैंने 5 रुपये की टिकट लेकर कुछ सीढियों को चढ़ कर सफेद रंग की एक ईमारत में प्रवेश किया। इसी सफेद रंग की ईमारत में एक बहुत विशाल चट्टान हैं जिस पर अशोक सम्राट ने पाली भाषा में जो ब्रहमी लिपी में लिखी जाती हैं में शिलालेख लिखा हैं। यह चट्टान बहुत बड़ी हैं और तकरीबन 2400 साल पहले इस पर अशोक सम्राट द्वारा शिलालेख बनाया गया। इससे एक तो यह बात सिद्ध हो जाती हैं कि उस समय सौराष्ट्र तक अशोक का राज्य था। दूसरा जब सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को ग्रहण किया तो बहुत सारी शिक्षाओं का प्रचार किया। जिसके लिए अशोक ने बहुत सारे शिलालेख आदि बनाए और बौद्ध सतूप भी बनवाए। इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने 14 आदेश लिखे हैं जैसे दया करना, औरत और जानवर के साथ जुल्म नहीं करना। गरीब की मदद करना आदि। यह पूरी चट्टान शिलालेख से भरी हुई हैं। मुझे पाली भाषा नहीं आती लेकिन कहते हैं पत्थर पर लकीर जैसी बात मतलब पत्थर पर लिखा हुआ कभी मिटता नहीं वह बात यहां अशोक के शिलालेख में देखने को मिलेगी 2400 साल पहले शिलालेख पर लिखा हुआ आज तक नहीं मिटा। आओ कभी जूनागढ़ इस ईतिहासिक शिलालेख को देखने के लिए।
जूनागढ़ कैसे पहुंचे- जूनागढ़ गुजरात का प्रसिद्ध शहर हैं जो रेलमार्ग और बस से गुजरात के सभी शहरों से जुड़ा हुआ हैं। अहमदाबाद, राजकोट, वड़ोदरा आदि शहरों से आप को जूनागढ़ के लिए सीधी रेल या बस आसानी से मिल जाऐगी।



