सूर्य मंदिर मोढ़ेरा
दोस्तों सितंबर 2019 में राजकोट जाते समय रानी की वाव देखने के बाद, मैं पाटन से गुजरात रोड़वेज की बस लेकर शाम को 4 बजे मोढ़ेरा पहुंच गया, मैंने कंडक्टर को बता दिया था मुझे सूर्य मंदिर जाना हैं, इसलिए उसने मुझे मोढ़ेरा बस सटैड़ से पहले ही मंदिर के पास उतार दिया।
दोस्तों दूसरे मंदिरों के मुकाबले सूर्य मंदिर बहुत कम हैं, उडी़सा में कोणार्क मंदिर बहुत मशहूर हैं, लेकिन मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर भी बहुत लाजवाब हैं।
इस खूबसूरत मंदिर को सोलंकी वंश के राजा भीमा 1 ने 1026 ईसवी में बनाया, 2026 ईसवी को इस मंदिर के 1000 साल पूरे है जायेंगे इतना पुरातन मंदिर हैं यह। मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा कुंड बना हुआ हैं, मंदिर के पास वाली जगह में बहुत खूबसूरत गार्डन बना हुआ हैं, घास, फूल बूटियों से इसको बहुत खूबसूरत बनाया गया हैं। इस खूबसूरत मंदिर में पतथर पर की हुई कलाकृतियों ने मन मोह लिया। मंदिर के सामने कुंड हैं, सीढियों को चढ़ कर तोरन बना हुआ हैं जिसे हम गेट भी बोल सकते हैं, तोरन के आगे सभा मंडप हैं जिसे हम असैंमबली हाल भी कह सकते हैं, इसमें धार्मिक फंक्शन हुआ करते होगें। नृत्य मंडप में डांस परफॉर्मेंस होती होगी। गरभ गृह में मेन मंदिर हैं, जहां सबसे पहले सुबह की सूर्य की किरन पड़ती हैं। मंदिर की दीवारों पर , पत्थर पर की हुई कलाकारी मंत्रमुग्ध करने वाली हैं। मैंने इस मंदिर में शाम के 4 बजे से 6 बजे तक दो घंटे गुजारे, फिर मैं 6 बजे बस लेकर मेहसाणा पहुंच गया, वहां से रात को 9 बजे की बस से राजकोट की ओर चला गया।
कैसे पहुंचे- मंदिर मेहसाणा से 26 किमी और अहमदाबाद से 100 किमी दूर है, रहने के लिए मेहसाणा शहर बढिय़ा हैं, साथ ही आप रानी की वाव भी देख सकते हो।