भुज शहर को नाम देने वाले भुजंग नाथ मंदिर की खूबसूरत पहाड़ी भुजिया डूंगर का सफर

Tripoto
9th Aug 2021
Day 1

#मेरी_कच्छ_भुज_यात्रा
#भुजिया_डूंगर_भुज
भुज शहर को  घूमते हुए पराग महल को देखते हुए शाम के पांच बज रहे थे।आरटीओ सर्कल भुज से  मेरी राजकोट के लिए 8.30 बजे बस थी।  अब मैं भुज में अपने आखिरी  स्थान की यात्रा करने जा रहा था, जिसे भुजिया डूंगर कहा जाता है जो भुज शहर के पूर्वी भाग में एक बहुत ऊँची पहाड़ी है जो 160 मीटर ऊँची और लगभग 500 फीट ऊँची है।  इस पर्वत तक एक दो  घंटा ट्रेकिंग करके पहुंचा जा सकता है।  भुजिया डूंगर पहाड़ी की चोटी पर भुजंग नाथ का एक प्राचीन मंदिर है, जिसके नाम पर भुज शहर का नाम पड़ा है।  पराग  महल से लौटते समय मैंने कच्छ संग्रहालय के पास एक आटो  से भुजिया डूंगर जाने के बारे में पूछा  मैं पचास रुपये कह  रहा था लेकिन वह 60 रुपये के लिए राजी हो गया।  भुजिया डूंगर चार-पांच किलोमीटर दूर था।  ऑटो चालक ने मुझे भुजिया डूंगर के पास उतार दिया, जहां से चढ़ाई शुरू होती है।  अब मेरे सामने भुजिया डूंगर पहाड़ी दिखाई दे रही थी, जिस पर मुझे भुजंग नाथ का नारंगी रंग का मंदिर भी दिखाई दे रहा था, वैसे आप पूरे भुज शहर से इस पहाड़ी को देख सकते हैं।  पूरी पहाड़ी घनी झाड़ियों से भरी पड़ी है।  मैं एक छोटे से रास्ते पर चल रहा था।   मैं भी धीरे-धीरे पहाड़ी पर चढ़ रहा था।  अब मैं भुजिया डूंगर के चारों ओर बने किले की मजबूत दीवार के पास पहुँच चुका था।  किले की मजबूत दीवार पर बैठकर मैंने एक तस्वीर ली।  ठंडी हवा और दूर से भुज शहर का खूबसूरत नजारा माहौल को बेहद खुशनुमा बना रहा था।  मैं यहाँ बहुत देर तक बैठा रहा, अपने बैग की पिछली जेब से पानी की एक बोतल निकाली, पानी पिया और  बिस्कुट का एक पैकेट खाया।  आगे एक सीधी चढ़ाई थी जिसके कारण किले की टूटी सीढ़ियाँ  थी  जो भुजंग नाथ के मंदिर तक जाती थीं।  मैं भी ध्यान से मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ गया।  भुजंग नाथ के मंदिर को नारंगी रंग से रंगा गया है।  मैं मंदिर के अंदर गया, पुजारी ने मुझे प्रसाद दिया।  काफी देर तक मैं मंदिर के पास बैठकर प्रकृति की सुंदरता का आनंद लेता रहा।  भुजंग नाथ नागों के राजा थे, वे इसी पहाड़ी पर रहते थे।  कच्छ के लोग इसकी पूजा करते हैं।  भुज शहर का नाम भुजंग नाथ के नाम पर रखा गया है।  कच्छ के राजा ने भुज की रक्षा के लिए इस पहाड़ी पर एक किला बनवाया ।
फिर मैं भुज के किले  की मजबूत दीवार पर बने व्यू पॉइंट को देखने के लिए गया ,   वहां से भुज शहर का नजारा बहुत खूबसूरत लगता हैं। अंत में भुजिया डूंगर  देखकर कुछ देर  में भुज्या डूंगर से उतर कर हाईवे पर आ गया।  दो किलोमीटर हाईवे पर चलने के बाद मैं भुज के आरटीओ सर्किल में पहुंचा, जहां से रात को साढ़े आठ बजे मैंने राजकोट के लिए बस लेनी  थी।  एक ढाबे से रात का खाना खाने के बाद मैंने अपनी राजकोट वाली बस ली और भुज शहर को अलविदा कहा और अपनी कच्छ भुज यात्रा समाप्त की।  
धन्यवाद ।

भुजिया डूंगर से दिखाई देता भुज शहर का खूबसूरत नजारा

Photo of Bhujio Dungar by Dr. Yadwinder Singh

भुजिया डूंगर की ओर चढ़ती हुई ऊंची सीढियां

Photo of Bhujio Dungar by Dr. Yadwinder Singh

भुजिया डूंगर भुज

Photo of Bhujio Dungar by Dr. Yadwinder Singh

भुजंग नाथ जी मंदिर

Photo of Bhujio Dungar by Dr. Yadwinder Singh

मैं भुजंग नाथ जी के मंदिर में

Photo of Bhujio Dungar by Dr. Yadwinder Singh

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