#ईतिहासक_गांव_संघोल
#संघोल_मयूजियम
#जिला_फतेहगढ़_साहिब_पंजाब
नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
इस पोस्ट में हम बात करेंगे पंजाब के ईतिहासिक और पुरातत्व सभयता के केंद्र रहे गांव संघोल की, संघोल पंजाब के जिला फतेहगढ़ साहिब जिले में लुधियाना-चंडीगढ़ हाईवे पर चंडीगढ़ से 42 किमी दूर और लुधियाना से 60 किमी दूर पर बसा हुआ हैं। संघोल को ऊंचा पिंड ( ऊंचा गांव) भी कहा जाता हैं कयोंकि इस गांव की गलियों, धरती की ऊंचाई आसपास के ईलाके से बहुत ऊंचा हैं। वैसे धरातल में भी ऊंचाई के साथ साथ ईतिहास, पुरातत्व सभयता में भी इस गांव का नाम बहुत ऊंचा हैं। संघोल हडप्पा काल से भी संबंधित रहा, कुशान वंश के साथ भी, एक चीज जो संघोल को दूसरी पुरातत्व जगहों से अलग करती हैं, वह यह हैं संघोल में अलग अलग सभयता से संबंधित वस्तुओं की प्राप्ति हुई है खुदाई के बाद लेकिन बाकी जगह पर सिर्फ एक या दो सभयता के बारे में पता लगता हैं। कहा जाता हैं संघोल किसी समय सतलुज नदी के किनारे पर बसा
हुआ एक बहुत बड़ा महानगर था, जो तकरीबन 200 किमी के क्षेत्र में फैला हुआ था। आज भी अगर आसपास के ईलाके में खुदाई की जाए तो बहुत दुरलभ वस्तुओं प्राप्त हो सकती है।
#संघोल_मयूजियम
संघोल में लुधियाना चंडीगढ़ हाईवे पर एक खूबसूरत मयूजियम बना हुआ है, जिसकी टिकट मात्र 10 रुपये हैं, यह मयूजियम सोमवार को बंद रहता है। इस मयूजियम में संघोल गांव में की गई खुदाई से प्राप्त वस्तुओं जैसे सिक्के, मिट्टी के गहने और मूर्तियों को संभाल कर रखा हुआ हैं, मयूजियम के अंदर फोटोग्राफी मना है, इसलिए उनकी कोई तसवीर नहीं लगा रहा। संघोल का यह शानदार मयूजियम देखनेलायक हैं, अब इस मयूजियम की नई ईमारत तैयार हो रही हैं।
#बौद्ध_सतूप_संघोल
संघोल गांव के बीचोंबीच खुदाई के बाद बौद्ध धर्म से संबंधित एक सतूप की प्राप्ति हुई हैं, जिसका आकार अशोक चक्र से मिलता जुलता हैं। बदकिस्मती से इस सतूप का ऊपरी भाग क्षतिग्रस्त हो चुका है, लेकिन ईटों की बनी हुई नीवों को देख सकते हैं, जो बहुत शानदार हैं और नालंदा यूनिवर्सिटी से मिलती हैं। यहां देखने से लगता हैं, यह बौद्ध धर्म का एक बहुत बड़ा केंद्र था, जहां भिक्षु रहते हैं, छोटे छोटे से कमरे बने हुए थे, जिनमें वह रहते थे और तपस्या करते थे। ऐसा भी कहा जाता हैं संघोल में इस तरह के 11 बौद्ध सतूप बने हुए थे, लेकिन आज संघोल में दो बौद्ध सतूप हम देख सकते है। संघोल गांव पिछले 5500 साल से आज तक बहुत बार उजड़ा और फिर दुबारा बसा, लेकिन इतने बार उजडऩे और बसने के बाद आज भी बस रहा हैं, इस गांव की आबादी अब 10000 तक पहुंच गई हैं। दोस्तों कभी पंजाब आए तो आप संघोल भी आईए, अतीत और ईतिहास को जानने के लिए, संघोल आपको निराश नहीं करेगा।
धन्यवाद।