अगर आप को उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में किसी मंदिर में गुजरात के धर्मयात्री बहुतायत मिल जाएं तो मेरी तरह चौंकिएगा नहीं, क्योंकि यहां के छपिया इलाके में बने एक मंदिर की प्रसिद्धि और वास्तुकला गुजरातवासियों को अपनी तरफ बरबस खींच लेती है.
इस मंदिर का नाम स्वामीनारायण मंदिर है, पर यह देशभर में बने दूसरे स्वामीनारायण मंदिरों से बहुत ज्यादा अलग और खास इस लिहाज से है, क्योंकि यह स्वामीनारायण की जन्मस्थली माना जाता है. 'पद्मपुराण', 'स्कंदपुराण' और 'भागवत पुराण' में स्वामीनारायण के अवतार के बारे में संकेतात्मक जानकारी मिलती है.
ऐसा माना जाता है कि भगवान स्वामीनारायण का मनुष्य रूप में सन 1781 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के छपिया इलाके में जन्म हुआ था. उन का नाम घनश्याम पांडे (नीलकंठवर्णी) था और उन्होंने बहुत कम उम्र में ही शास्त्रों की शिक्षा ले ली थी. इस के बाद 11 साल की उम्र में उन्होंने भारत में अपनी 7 साल की तीर्थ यात्रा शुरू की थी.
एक कथा के मुताबिक, तीर्थस्थलों की यात्रा के दौरान नीलकंठवर्णी मंगरोल के पास लोज गांव पहुंचे थे और वहीं उन की मुलाकात स्वामी रामानंद महराज से हुई थी. उन्होंने ही नीलकंठवर्णी यानी स्वामीनारायण से आश्रम में ही रहने को कहा था.
आगे जिक्र आता है कि स्वामी रामानंद ने नीलकंठवर्णी को पीपलाणा गांव में दीक्षा दे कर उन का नाम ‘सहजानंद’ रख दिया था और उन्हीं स्वामी सहजानंद ने गांवगांव घूम कर सब को स्वामीनारायण मंत्र जपने को कहा था.
स्वामी सहजानंद समाज में पांच व्रतों का पालन करने को कहते थे. इन पांच व्रतों में मांस, मदिरा, चोरी, व्यभिचार का त्याग कर स्वधर्म के पालन की बात शामिल थी.
भगवान स्वामीनारायण का मंदिर स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है. इस मंदिर के सामने एक सरोवर बना हुआ है जो मंदिर की छटा में चार चांद लगाता है. यह मंदिर काफी बड़े इलाके में फैला हुआ है और जो खूबी इसे दूसरे स्वामीनारायण मंदिरों से अलग करती है, वह है नीलकंठवर्णी के परिवार और जन्म से जुड़े वे कमरे जहां अभी भी बहुत सी पुरानी चीजें बड़े ध्यान से सहेज कर रखी गई हैं.
अगर आप भी भगवान स्वामीनारायण के इस भव्य मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो आप सड़क, वायु और ट्रेन किसी भी साधन से यहां पहुंच सकते हैं.
वायुमार्ग से यहां जाने के लिए आप को लखनऊ एयरपोर्ट से छपिया जाना पड़ेगा. लखनऊ से छपिया की दुरी लगभग 150 किलोमीटर है.
अगर आप रेलमार्ग से यहां जाना चाहते हैं, तो आप को मनकापुर रेलवे स्टेशन उतरना पड़ेगा. वहां से मंदिर की दुरी मात्र 15 किलोमीटर है.
अगर आप बस द्वारा यहां जाना चाहते हैं तो अयोध्या से छपिया (वाया कटरा, परशुरामपुर) की दूरी 35 किलोमीटर है. वैसे, अयोध्या में अब एयरपोर्ट भी बन रहा है.
यह मंदिर दोपहर के 12 बजे से दोपहर के साढ़े 3 बजे तक बंद रहता है.