लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त

Tripoto
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra

1 अद्भुत और रहस्‍यमयी है यह कुंड

आपने यह तो सुना होगा क‍ि क‍िसी कुंड के पानी में स्‍नान करने से सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं तो क‍िसी में स्‍नान करने से शरीर की तमाम व्‍याधियां खत्‍म हो जाती हैं। लेक‍िन हम ज‍िस कुंड की बात कर रहे हैं उसमें तो लोहे तक गल जाते हैं। यही वजह है क‍ि इस कुंड को लोहार्गल कहते हैं। जी हां इस कुंड को लेकर यह भी मान्‍यता है क‍ि अगर यहां मृतक व्‍यक्ति की अस्थियां व‍िसर्जित कर दी जाएं तो आत्‍मा को तुरंत ही मुक्ति म‍िल जाती है।

2 जान‍िए लोहार्गल का क्‍या है रहस्‍य

लोहार्गल भारत के राजस्थान राज्य में शेखावाटी इलाके के झुन्झुनू जिले से 70 क‍िलोमीटर दूर आड़ावल पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस क‍िलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लोहार्गल यानी क‍ि वह स्‍थान जहां जहां लोहा गल जाए। पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है। नवलगढ़ तहसील में स्थित इस तीर्थ ‘लोहार्गलजी’ को स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी कहा जाता है।

3 कन्‍हैया और पांडवों से जुड़ा है लोहार्गल

महाभारत युद्ध समाप्ति के बात पांडव जब आपने भाई-बंधुओं और अन्य स्वजनों की हत्या करने के पाप से अत्यंत दुःखी थे, तब भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर वे पाप मुक्ति के लिए विभिन्न तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए गए। श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया था कि जिस तीर्थ में तुम्हारे हथियार पानी में गल जाए वहीं तुम्हारा पाप मुक्ति का मनोरथ पूर्ण होगा। घूमते-घूमते पांडव लोहार्गल पहुंच गए और जैसे ही उन्होंने वहां स्‍थापित सूर्यकुंड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गये। उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थराज की उपाधि से विभूषित किया।

4 लोहार्गल से जुड़ा है भगवान परशुराम का भी नाम

लोहार्गल से भगवान परशुराम का भी नाम जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस जगह पर परशुराम जी ने भी पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी। विष्णु के छठवें अंशवतार ने भगवान परशुराम ने क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था, लेकिन शांत होने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। यहां एक विशाल बावड़ी भी है यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है। पास ही पहाड़ी पर एक प्राचीन सूर्य मंद‍िर बना हुआ है। इसके साथ ही वनखंडी जी का मंद‍िर है। कुंड के पास ही प्राचीन शिव मंद‍िर, हनुमान मंद‍िर तथा पांडव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढ़ियां चढ़ने पर मालकेतुजी के दर्शन किए जा सकते हैं।

5 सूर्य कुंड और सूर्य मंदिर से जुड़ी है यह कथा

प्राचीनकाल में निर्मित सूर्य मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इसके पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। राजा ने भूत-भविष्य के ज्ञाताओं को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह लड़की मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है। हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई। लेक‍िन उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहां उत्पन्न हुई है।

6 तब राजा ने करवाया सूर्य मंदिर का न‍िर्माण

विद्वानों ने राजा से कहा, आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया। जिससे उनकी पुत्री का हाथ ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया।

7 कई अवसरों पर यहां लगता है मेला

एक यह भी मान्यता है, भगवान विष्णु के चमत्कार से प्राचीन काल में पहाड़ों से एक जल धारा निकली थी जिसका पानी अनवरत बहकर सूर्यकुंड में जाता रहता है। इस प्राचीन, धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल के प्रति लोगों में अटूट आस्था है। बता दें क‍ि यहां समय-समय पर विभिन्न धार्मिक अवसरों जैसे ग्रहण, सोमवती अमावस्या और भाद्रपद अमावस्‍या के मौके पर मेला लगता है। इसके अलावा माघ मास की सप्तमी पर भी सूर्यसप्तमी महोत्सव मनाया जाता है। इसमें सूर्य नारायण की शोभायात्रा के अलावा सत्संग प्रवचन के साथ विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।

Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra
Photo of लोहार्गल – यहां पानी में गल गए थे पांडवों के अस्त्र-शस्त्र, मिली थी परिजनों की हत्या के पाप से मुक्त by nomadic_mahendra

Further Reads