वैसे तो भारत में 12 ज्योतिर्लिंग 51 शक्ति पीठ और चार धाम है। परंतु इस मंदिर की आस्था भी इन मंदिरों जैसी है।हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के इंदौरा गांव में काठगढ़ महादेव विश्व का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है। जो दो भागों में आधा-आधा बंटा हुआ है। यह शिवलिंग आधार शिव ओ राधा पार्वती के रूप में बटा शिव रूप में पूजे जाने वाले शिवलिंग की ऊचांई 7-8 फीट और पार्वती के रूप में अराध्य का हिस्सा 5-6 फुट ऊंचा है।गर्मियों के मौसम में शिवलिंग अलग होकर दो भागों में बट जाता है। जबकि महाशिवरात्रि के दिन दोनों भागों का अद्भुत मिलन हो जाता और शिवलिंग विचित्र रूप से एक रूप धारण कर लेता है। महाशिवरात्रि के बाद दोनों भागों में दूरी बढ़नी शुरू हो जाती है। इस शिवलिंग में भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप के साक्षात दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि ग्रह नक्षत्रों के परिवर्तन होने के साथ ही दोनों भागो के बीच का अंतर घटता बढ़ता है। यह क्रम सदियों से चला आ रहा है। यह पवित्र शिवलिंग अष्टकोण है। ये शिवलिंग काले भूरे रंग के बलुआ पत्थर का है।
कथा- काठगढ़ महादेव के प्रकट होने की कथा है कि एक बार ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता का विवाद हुआ दोनों युद्ध के लिए तैयार हो गए यह देखकर शिव वहां ज्योतिर्मय रूप में प्रकट हुए। जिसे दोनों के अस्त्र शांत हो गए। मान्यता यह भी है कि स्थान पर भरत वी पूजा किया करते थे। शिवरात्रि पर्व पर यहां 3 दिन का मेला लगता है। मान्यता यह है कि इस विचित्र शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों के मानसिक दुखों का अंत होता है।