उत्तर प्रदेश में वैसे तो कई धार्मिक स्थान देखने योग्य लेकिन इस मंदिर की एक अपनी अलग ही आस्था है। जो कि उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के अरदौना मैं स्थित है। यह फरेंदा शहर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।मान्यता है कि अरदौना देवी के मंदिर की स्थापना महाभारत काल में पांडवों के अज्ञातवास काल में स्वयं अर्जुन ने की थी।पवह नदी के तट पर मां वनदेवी दुर्गा का मंदिर है।पहले इस मंदिर को अरदौना मंदिर के नाम से जाना जाता था। परंतु अभी इस मंदिर का नाम लेहड़ा देवी मंदिर है।अज्ञातवास काल के दौरान अर्जुन ने इस जगह पर वनदेवी की पूजा की थी। अर्जुन की पूजा से प्रसन्न होकर वनदेवी मां भगवती दुर्गा ने उसे अमोध शक्तियां प्रदान की थीं।पांडवों के अज्ञातवास के दौरान मां भगवती के आदेशानुसार अर्जुन ने इस जगह पर शक्ति पीठ की स्थापना की थी। बाद में यह मंदिर अदरौना देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस मंदिर के बारे में सभी के अपने अलग-अलग विचार है। जो इस प्रकार है मान्यता है कि एक बार कोई युवती नाव से पवह नदी पार कर रही थी। तब उस युवती को देखकर नाविक की नियत खराब हो गई। उस समय वनदेवी मां ने स्वयं प्रकट होकर उस युवती की रक्षा की थी। नाविकों को नाव के साथ ही उसी समय जल समाधि दे दी थी।मान्यता के अनुसार धर्मराज युधिष्ठिर ने इसी स्थान पर यक्ष के प्रश्नों का सही उत्तर देकर अपने चारों भाइयों को पुनर्जीवित किया था।महाभारत काल में पांडवों का अज्ञातवास हिमालय की इसी तराई में चल रहा था। यहां धर्मराज युधिष्ठिर और धनुषधारी अर्जुन ने इन्हीं देवी का पूजन-अर्चन कर उन्हें प्रसन्न किया था।माता ने सभी पांडवों युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव को अपार शक्तियां देने के साथ उन्हें कौरव-पांडव युद्ध में विजयी होने का वरदान दिया था।कहा तो ये भी जाता है कि युद्धिष्ठिर की पूजा से माता प्रसन्न हुई थीं और उनके चार भाइयों को भी अद्भुत शक्तियां दी थीं।यहांं माता पिंडी के रूप में विद्यमान हैं।गुप्त काल में भारत भ्रमण पर आए चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा में इस अदरौना वन देवी मंदिर का उल्लेख किया है।
कैसे जाएं- अगर आप हवाई यात्रा से जा रहे हैं तो आपको हवाई अड्डा गोरखपुर, उत्तर प्रदेश है, जो लेहडा मंदिर से लगभग 80 किलोमीटर दूर है। गोरखपुर से आपको बस या टैक्सी मिल जाएगी। जिससे मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन मार्ग -निकटतम रेलवे स्टेशन आनंदनगर है, जो लेहडा मंदिर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है।
सडक मार्ग - इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बसों, ऑटोरिक्शा और ट्रेन गोरखपुर से आनंदनगर तक उपलब्ध हैं। तो यहां पर आसानी से पहुंचा जा सकता है।