भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। क्योंकि यहाँ हर गांव-ढाणी और शहरों में आपको प्रसिद्ध मंदिर देखने को मिल जाएंगे। लेकिन कुछ रहस्यमयी मंदिर भी है, जिसको देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह जाते है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे ही रहस्यमयी मंदिर के बारे में जो भारत ही नहीं अपितु पूरी दुनिया के लोगों को अपने चमत्कार से हैरान कर देता हैं। जी हाँ, राजस्थान के सरहदी जिले जैसलमेर में स्थित तनोट राय माता का मंदिर। इस मंदिर में विराजमान देवी को युद्ध वाली देवी के नाम से पहचान मिली हुई है। तनोट राय माता के चमत्कार के आगे पाकिस्तानी सेना भी झुक गई थी। नवरात्रि के दौरान यहाँ लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। ये मंदिर ऐसी कई चमत्कारी चीजों से घिरा हुआ है कि हर कोई सुनने वाला हैरान रह जाता है। तो चलिए आपको बताते इस मंदिर से जुड़ी वो तमाम रोचक बातें जिन्हे जानकर आप भी माता के चमत्कार को नमस्कार जरूर करेंगे।
तनोट मंदिर का इतिहास
तनोट राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत-पाक सीमा के पास एक गाँव है। सबसे पुराने चरण साहित्य के अनुसार तनोट माता दिव्य देवी हिंगलाज माता का अवतार हैं, जिसके बाद उनका करणी माता का रूप देखा जाता है। मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी।
पाकिस्तानी सेना ने मंदिर क्षेत्र में गिराए थे हजारों बम
दोस्तों, आपको बता दें कि साल 1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध के दौरान इस मंदिर में ऐसा चमत्कार देखने मिला, जिसे जानकर लोगों की रूह कांप जाती है। भारत और पाकिस्तान का युद्ध के समय पाकिस्तानी सेना माता मंदिर के क्षेत्र में जमकर बमबारी की थी। लेकिन इस क्षेत्र में गिरने वाले बम बेअसर होते रहे। इसे देख पाकिस्तानी सैनिक हैरान रह गए। उन्होंने फिर नापाक हरकत करते हुए मंदिर की इमारत पर भी बमबारी की। लेकिन एक बम नहीं फटा। इस माता के इस चमत्कार से पाकिस्तानी सैनिक वहाँ से भाग उठे। ऐसा कहा जाता है कि 19 नवंबर तक पाकिस्तानी सेना ने 3000 से भी अधिक बम गिराए, लेकिन तनोट माता मंदिर को एक भी खरोंच नहीं आई थी। कहानी ये भी कहती है कि माता जवानों के सपने में आई थीं और उन्हें मंदिर के आसपास रहकर उनकी सुरक्षा करने का वादा किया था।
युद्ध के बाद बीएसएफ ने संभाली मंदिर की जिम्मेदारी
1965 में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराने के बाद, बीएसएफ ने मंदिर परिसर के अंदर एक चौकी की स्थापना की और उसके बाद से देवी तनोट माता की पूजा की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। मंदिर आज तक बीएसएफ द्वारा संभाला जाता है।
यहाँ कैसे पहुंचें
मंदिर जैसलमेर से 153 किलोमीटर दूर है। मंदिर तक भक्तों और पर्यटकों को ले जाने के लिए हर घंटे टैक्सियाँ चलती हैं, जो शहर से दो घंटे ड्राइव दूर है। तो आपको यहाँ आने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
मंदिर में दर्शन करने के बाद कहाँ जाएं
मंदिर में देवी के दर्शन करने के बाद, आप पास के म्यूजियम में भी जा सकते हैं। यहाँ आपको 1965 और 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियारों और गोला-बारूद की प्रदर्शनी देखने को मिलेगी। घूमने के बाद आप थार रेगिस्तान में ऊंट सफारी का भी मजा ले सकते हैं या जैसलमेर के राजसी किलों में जाने की प्लानिंग भी कर सकते हैं।
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