जब भी हम राजस्थान के बारे में सोचते हे वहां का रेत, गरमी ओर पानी की कमी मन में आती है। राजस्थान में इतना होने के बावजूद भी वहां पर उदयपुर नाम के शहर में कई झीले है। जो पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसे वेडिंग डेस्टिनेशन सिटी कहा जाए तो गलत नहीं है। मेवाड़ की राजधानी उदयपुर की स्थापना 1559 में महाराणा उदयसिंह ने की। किन्तु तिथि को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलम मत हैं। कुछ इतिहासकार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार उदयपुर की स्थापना आखातीज के दिन मानते हैं तो कुछ का कहना है कि उदयपुर की स्थापना 15 अप्रैल 1553 में की गई थी। जिसके प्रमाण उदयपुर(राजस्थान) के मोतीमहल में मिलते हैं। जिसे उदयपुर का पहला महल माना जाता है जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है,जिसकी सुरक्षा मोतीमगरी ट्रस्ट कर रहा है। महाराणा उदय सिंह द्वितीय, जो महाराणा प्रताप के पिता थे, चित्तौडग़ढ़ दुर्ग से मेवाड़ का संचालन करते थे। उस समय चित्तौडग़ढ़ निरन्तर मुगलों के आक्रमण से घिरा हुआ था। इसी दौरान महाराणा उदयसिंह अपने पौत्र अमरसिंह के जन्म के उपलक्ष्य में मेवाड़ के शासक भगवान एकलिंगजी के दर्शन करने कैलाशपुरी आए थे। उन्होंने यहां आयड़ नदी के किनारे शिकार के लिए डेरे डलवाए थे। तब उनके दिमाग में चित्तौडग़ढ़ पर मुगल आतताइयों के आक्रमण को लेकर सुरक्षित जगह राजधानी बनाए जाने का मंथन चल रहा था।इसी दौरान उन्होंने एक शाम अपने सामंतों के समक्ष उदयपुर नगर बसाने का विचार रखा। जिसका सभी सामंत तथा मंत्रियों ने समर्थन किया। उदयपुर की स्थापना के लिए वह जगह तलाशने पहुंचे तब उन्होंने यहां पहला महल बनवाया, जिसका नाम मोती महल दिया, जो वर्तमान मोती मगरी पर खंडहर के रूप में मौजूद है। जिसको लेकर कई इतिहासकारों का मानना है कि मोतीमहल उदयपुर का पहला महल है और एक तरह से इस के निर्माण के साथ ही उदयपुर नगर की स्थापना शुरू हुई। स्थापना का दिन 15 अप्रेल 1553 था और उस दिन आखातीज थी।बाकी इतिहासकार भी यह मानते हैं।इतिहासकारों की मानें तो एक बार महाराणा उदयसिंह मोतीमहल में निवास कर रहे थे, तभी वह शिकार की भावना से खरगोश का पीछा करते हुए उस जगह पहुंचे जहां राजमहल मौजूद हैं। तब उदयुपर में फतहसागर नहीं था और वह एक सहायक नदी के रूप में था। वहां एक योगी साधु धूणी रमाए बैठे थे। साधु जगतगिरी से उनकी मुलाकात हुई और महाराणा के दिल का हाल जानकार साधु ने धूणी की जगह पर राज्य बसाने का सुझाव दिया, जिसे महाराणा ने मान लिया।यह बात सन 1559 की थी। जिस पहाड़ी की चोटी पर महल का निर्माण कराया गया, वह समूचे शहर से दिखाई देता है। जहां अलग-अलग काल में महाराणाओं ने राजमहल का निर्माण कराया। बाद में सरदार, राव, उमराव और ठिकानों के लोग भी राजमहल के पास बसाए गए। जिनकी हवेलियां भी राजमहल के इर्द-गिर्द मौजूद हैं। इतिहासकार जोगेंद्र राजपुरोहित बताते हैं कि पंद्रह अप्रेल को इस तरह उदयपुर शहर की स्थापना हुई।
वो झीले जो उदयपुर को चार चाँद लगाने का काम करती है।
1-पिछोला झील - ऐतिहासिक दृष्टि से इस झील के बारे में कहा जाता है कि महाराणा लाखा के काल में इस झील का निर्माण एक बंजारे द्वारा करवाया गया इस झील के बीचों बीच एक नटनी का चबूतरा बना हुआ है।पिछोला झील का निर्माण 1362 ई में महाराणा लाखा के शासन काल के दौरान पिचू बंजारा ने करवाया था, जिसकी लंबाई 3 मील, चौड़ाई 2 मील और गहराई 30 फीट है। बाद में इस झील के आकर्षण से मंत्रमुग्ध होकर महाराणा उदय सिंह ने इस झील को बड़ा किया और इसके तट पर बाँध का निर्माण भी करवाया।
2- फतेह सागर झील - इसका निर्माण झील का निर्माण महाराणा जय सिंह ने वर्ष 1687 में किया था। हालांकि, लगभग 200 साल बाद 1888 में बाढ़ में नष्ट हो जाने के बाद महाराणा फतेह सिंह ने 1889 में कनॉट बांध बनाया, जिसने वर्तमान झील को आकार दिया और उन्हें सम्मानित करने के लिए इसका नाम बदलकर फतेह सागर झील रखा गया। फतेह सागर झील तीन अलग- अलग द्वीपों में विभाजित है। जिसमें से सबसे बड़ा द्वीप नेहरु पार्क कहलाता है। इस जगह पर नाव के आकार का एक रेस्टोरेंट और बच्चों के लिए एक छोटा चिड़ियाघर भी स्थित है जो एक पिकनिक स्पॉट के रूप में काफी लोकप्रिय है। इस झील के दूसरे द्वीप में एक सार्वजनिक पार्क है जिसमें वाटर-जेट फव्वारे लगे हुए हैं। तीसरे द्वीप में उदयपुर सौर वेधशाला स्थित है।फतेह सागर झील दूसरी बनावटी झील है। यह झील 2.4 किमी, 1.6 किमी की लंबाई तक फैली हुई है। चौड़ाई में और 11.5 मीटर की गहराई तक। मानसून के दौरान, झील लगभग 1 वर्ग किमी के कुल क्षेत्र को कवर करती है।
3- रंग सागर झील- इस झील का निर्माण महाराजा अमर सिंह बड़वा ने करवाया था। यह उदयपुर की छोटी झील है। जो स्वरूप सागर झील और पिछोला झील से जुड़ी हुई है। ताजे पानी की झील है।उदयपुर शहर के लोगों के लिए एक वरदान का काम करती है क्योंकि इसी झील से उदयपुर के लोगों की प्यास बुझाने का काम करती है। उदयपुर की शान बढ़ाती है।
4- सवरूप सागर झील- एक छोटी सी झील है जो राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है यह झील पिछोला झील ओर रंग सागर झील से जुड़ी हुई है।
गोवर्धन सागर झील ,कुमारी तलाब ओर दूध थाली।
ये सभी झीलें आपस मे मिली हुई है।