देश में कुछ ऐसे भी पर्यटन स्थल हैं, जो ज्यादा प्रसिद्ध तो नहीं हैं, लेकिन वहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती बेमिसाल है। दोस्तों, चंडीगढ़ से लगभग 200-250 किलोमीटर के आसपास कुछ ऐसी गुमनाम जगहें हैं जहाँ के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इन गुमनाम जगहों पर लोग बहुत कम संख्या में घूमने के लिए पहुंचते हैं। जैसे- मोरनी हिल्स, नौकुचियाताल हिल स्टेशन, डीडीहाट हिल स्टेशन आदि कई ऐसे कई पर्यटन स्थल है, जहाँ के बारें में आप भी बहुत काम ही जानते होंगे। हालांकि, कई आर्टिकल में इन जगहों के बारे में आपको बता चूके हैं। लेकिन, आज मैं आपको इस आर्टिकल में एक ऐसी खूबसूरत जगह के बारे में बताने जा रही हूं जो चंडीगढ़ से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है। इस गुमनाम जगह का नाम है चैल, जिसे कई लोग चैल हिल स्टेशन के नाम से भी जानते हैं, चारों ओर खूबसूरत वादियों से घिरे चैल में आपको ऐसा सुकून मिलेगा, जिसे कभी भुला नहीं पाएंगे। तो आइए चैल में मौजूद कुछ बेहतरीन जगहों के बारे में जानते हैं।
इतिहास पर नजर
वर्ष 1876 से 1900 तक पटियाला के राजा रहे राजिंदर सिंह काफी शौकीन मिजाज थे। उनकी 365 पत्नियां थीं। वे क्रिकेट, हॉकी, पोलो खेलने के शौकीन थे। कार खरीदने वाले चंद पहले भारतीयों में से एक महाराजा राजिंदर सिंह के बारे में कहा जाता है कि अंग्रेजों ने उनके शिमला में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी थी। तब उन्होंने चैल में उस जमीन पर यह महल बनवाया, जो अंग्रेजों ने ही उनके पूर्वजों को नेपाल से हुई लड़ाई में मदद करने पर दी थी। दिलचस्प बात यह है कि चैल से शिमला दिखता है लेकिन शिमला से चैल नजर नहीं आता।
क्यों है खास
सच तो यह है कि चैल में देखने लायक कोई प्रसिद्ध स्थल या स्मारक नहीं है। हाँ, कुदरत की पनाह में महसूस करने लायक बहुत कुछ है। यही वजह है कि यहाँ ज्यादातर वही लोग आते हैं, जिन्हें भाग-दौड़ भरी जिंदगी से अलग कुछ पल के सुकून की तलाश होती है। एकांत पसंद लोगों को यह जगह खूब पसंद आएगी, साथ ही परिवार के साथ वक्त बिताना भी सुखद अहसास होगा।
चैल में मौजूद बेहतरीन जगह
चैल हिल स्टेशन में घूमने के लिए कुछ बेहतरीन जगहें मौजूद है जो काफी फैमस भी हैं।
चैल वन्यजीव अभयारण्य
अगर आप प्राकृतिक जगहों पर घूमने के साथ-साथ वन्यजीव अभयारण्य भी घूमने का शौक रखते हैं, तो आपके लिए चैल वन्यजीव अभयारण्य से बेहतरीन कोई जगह नहीं हो सकती हैं। क्योंकि, यह अभयारण्य कई दुर्लभ जानवर और पक्षियों का घर है। घने जंगल और देवदार के पेड़ इस जगह में चार चांद लगाने का काम करते हैं। आपको बता दूं कि चैल के मुख्य पर्यटन गंतव्य में इसे गिना जाता है। यहाँ हिमालयन भालू, रेड डियर आदि कई दुर्लभ जानवर देख सकते हैं। यह पक्षी विहार के लिए भी एक शानदार जगह है।
चैल का क्रिकेट ग्राउंड
शायद आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि चैल क्रिकेट ग्राउंड को भारत का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड माना जाता है। कैंट एरिया में होने के कारण अब इसकी देखभाल आर्मी के जिम्मे है। यहाँ एक अश्विनी झरना है, जिस पर साधु पुल बना है। यहाँ पानी में रखे गए टेबल-कुर्सी पर बैठ कर खाना खाने का लुत्फ लिया जा सकता है। समुद्र तल से लगभग 2350 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद इस मैदान में क्रिकेट के साथ-साथ पोलो भी खेला जाता है। अगर इतिहास के पन्नों पर नज़र डालें तो इस ग्राउंड को महाराजा भूपेंद्र सिंह ने लगभग 1893 के आसपास निर्माण करवाया था।
चैल पैलेस
चैल में घूमने के लिए सबसे बेहतरीन और ऐतिहासिक जगहों में से एक है चैल पैलेस। यह एक खूबसूरत महल है जिसकी वास्तुकला देखते ही बनती है। महल के आसपास मौजूद हरियाली भी सैलानियों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। इस महल के बगल में मौजूद ऊंचे-ऊंचे पहाड़ यक़ीनन आपकी यात्रा में चार चांद लगाने का काम करेंगे। इसके अलावा चैल में मौजूद ऐसे कई खूबसूरत पार्क हैं जहाँ आप घूमने के लिए जा सकते हैं। आपको बता दूं कि यह महल वर्तमान में यह एक होटल है। यहाँ आने वाले ज्यादातर पर्यटक तो इस पैलेस होटल में ठहरने के लिए ही चैल आते हैं। इस पैलेस की साज-सज्जा बेहद आकर्षक है। इस पैलेस के विशाल गार्डन में चहलकदमी करने पर काफी सुकून मिलता है।
काली माता मंदिर
यात्रा में अगर आप किसी धार्मिक जगह घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो फिर आपको काली माता मंदिर ज़रूर पहुंचना चाहिए। चैल हिल स्टेशन में मौजूद यह मंदिर बेहद ही प्राचीन मंदिर है। स्थानीय लोगों के लिए भी यह मंदिर बेहद पवित्र है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यह स्थान ऊंचाई पर मौजूद है ऐसे में आप ट्रेकिंग जैसी रोमांचक गतिविधि का भी लुत्फ़ उठा कसते हैं।
कब जाएं
वैसे तो चैल जाने के लिए हर मौसम उपयुक्त है। पर्यटक गर्मियों में यहाँ की हल्की ठंड का मजा उठा सकते हैं। शहर की गहमागहमी से अलग यह जगह गर्मियों में काफी सुकून देती है। लेकिन इन दिनों यहाँ काफी सैलानी आते हैं सो होटल आदि की बुकिंग पहले से करवा लेना सही रहता है। सर्दियों में यहाँ से बर्फीली चोटियों के अद्भुत नजारे दिखाई देते हैं। लेकिन शाम के बाद हर तरफ सन्नाटा छा जाता है। बारिश में तो चैल जैसे खिल उठता है। सच तो यह है कि चारों तरफ चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा यह छोटा-सा कस्बा, हर मौसम में सैलानियों का स्वागत करता दिखाई देता है। मार्च-अप्रैल और अक्टूबर-नवंबर के महीने में यहाँ की सैर करना ज्यादा आनंददायक होता है।
कहाँ ठहरें
आप चैल पैलेस में ही ठहर सकते हैं। इसमें करीब ढाई हजार से लेकर बीस हजार रुपए किराए तक के कमरे, सुइट और हट्स मिल जाते हैं। इसके अलावा यहाँ कई सारे होटल भी उपलब्ध हैं, जिनमें उचित किराए पर कमरे मिल जाते हैं। आस-पास बहुत सारे टूरिस्ट कॉटेज भी हैं।
कैसे पहुंचें
चंडीगढ़ का हवाई अड्डा यहाँ से तकरीबन 115 किलोमीटर और शिमला का 45 किलोमीटर दूर है। सोलन से भी यह इतना ही दूर है। इन दोनों ही जगहों से बस या टैक्सी द्वारा चैल पहुंचा जा सकता है। कालका से इसकी दूरी करीब 85 किलोमीटर है। कालका तक ट्रेन से जाकर आगे बस या टैक्सी से चैल जाया जा सकता है। कालका से कंडाघाट तक टॉय ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है। यहाँ से चैल की दूरी 25 किलोमीटर रह जाती है। कई पर्यटक शिमला से आकर और दिन भर सैर करके शाम को लौट भी जाते हैं।
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