आराम छोड़िए, थोड़ा परेशान हो लीजिए।

Tripoto
6th Sep 2021
Photo of आराम छोड़िए, थोड़ा परेशान हो लीजिए। by Avinash Kumar Vicky
Day 1

चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी मात्र 1500-2000 में।।

अक्सर हमलोग पैसा ज्यादा खर्च हो जाएंगे। इस चक्कर में घूमना फिरना छोड़ देते है। इसी पैसा बचाने के चक्कर में मैंने सोचा ऐसा कही जगह जाने का। जो अलग हो, कम खर्च वाला हो और रमनिय जगह भी हो।।

मैं बिहार से हूं। तो अक्सर बिहार के अलावा सिक्किम, बंगाल और यूपी के अलग अलग जगह का प्लान बनाता हूं। क्योंकि एक तो नौकरी में छुट्टी की कमी और दूसरी कम समय में घूमने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने को मन नहीं करता। इसलिए ये नजदीक के राज्यो के अलग अलग जगह पर जाता रहता हूं।

तो हुआ यूं कि दो दिन की छुट्टी थी। कोई प्लान नहीं था।कोई साथ भी नहीं तैयार था एकाएक चलने को। एक मित्र तैयार हुए बोले कम से कम खर्च में घुमा दीजिए।एकदम 2-3 हजार में।तो मैंने चंद्रप्रभा जो यूपी के चंदौली में है वहां का प्लान सोचा।पर मै सोचा कहा संभव है, 2-3 हजार तो गाड़ी रिजर्व करने में ही चला जाएगा। फिर सोचा गाड़ी रिजर्व क्यों शेयरिंग क्यों नहीं। स्टूडेंट लाइफ में तो जनरल डब्बे में ठुसा ठुसा कर,बस पर लटक लटक कर यात्रा करते थे,अभी तो स्लीपर ट्रेन कहीं बेहतर है उससे। फिर सोचा कहा संभव है,दो दिन के होटल के खर्च में ही इतना खर्च हो जाएगा। फिर सोचा होटल क्यों लेना ट्रेन को ही होटल बना देना है ।

इसलिए रात वाली ट्रेन ही दोनों साइड से ली।  ताकि रात ट्रेन में ही बीत जाए। तो सबसे पहले रात में 11.55 में एक ट्रेन थी पटना से, कीमत थी स्लीपर की 300 रुपए। ट्रेन 4.30 बजे सुबह में दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर पहुंची। फिर यहां उतार कर चकिया के लिए शेयर जीप ली जिसने दो घंटे की दूरी तय कर 7 बजे सुबह चकिया पहुंचाया मात्र 50 रुपए में। वहा 30 रुपए की कचौरी,गरम जलेबी खाई। अब यहां एक समस्या अाई कि यहां चकिया से चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी जाने के लिए जो शेयर जीप थी,वो हमें जहां ड्रॉप करती वहां से तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता। अब हमारा पैसा बचाने का संकल्प टूटने को था। वहा मुगलसराय में 2000 रुपए बोला था रिजर्व कैब का,नहीं बुक किया हमलोग ने।अब क्या करे यहां। छोटा सा कस्बा था  कोई कैब दिख नहीं रही थी। फिर क्या था ऑटो रिजर्व किया वो भी पहाड़ी रास्तों से होते हुए जंगल के लिए 450 में ,बाद में खुशी से 500 रुपए दे दिए।।
उस ऑटो वाले भैया ने
इतने कम पैसों में चकिया से चंद्रप्रभा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी ड्रॉप किया। राजदारी फॉल्स, देवदारी फाल्स,चंद्रप्रभा डैम और एक दो छोटी जगहों को घुमाते हुए वापस चकिया 1 बजे छोड़ दिया।
फिर हम चकिया से 50 रुपए देकर मुगलसराय आ गए।
अभी तक ट्रेन में 300,जीप में 100, एंट्री फि 50 रुपए ,अन्य 250 यानी कुल 700 मात्र खर्च हुए थे। अब सोचे बनारस भी बगल में घूम ही लिया जाए। फिर क्या था 60 रुपए में शेयर ऑटो से पहुंच गए बनारस।। वक़्त था दोपहर के साढ़े तीन बजे,दोपहर के खाने का वक़्त ,खाना रेस्टुरेंट में खाते तो महंगा पड़ता। रोड का खाते अनहेल्दी होता। उपाय निकाला दो तीन जगह जहा की नाश्ता और अन्य खाने पीने की चीजें मशहूर थी वहां जाकर भूख मिटाई। जैसे काशी चाट भंडार की चाट,पहलवान जी की लस्सी,मक्खन वाला ब्रेड खाकर पेट भर लिया । सब 140 रुपए में। फिर मंदिर दर्शन किया। 50 रुपए में नाव से यात्रा की। और शाम में भव्य आरती देखी ।।
और फिर 60 रुपए में वापस दिन दयाल उपाध्याय जंक्शन आ गए। फिर वहां से रात में 12.40 में ट्रेन पकड़ कर सुबह पटना आ गए। ट्रेन की कीमत थी स्लीपर की 200 रुपए की। तो इधर बनारस में मात्र 500 और उधर 700 लगभग 1200-1500 में हमने अपना ट्रिप पूरा किया।
थोड़ी थकावट हुई। पर आराम तो करना ही है घर पहुंचने के बाद भी और दुनियां से जाने के बाद भी।।
इसलिए जब तक जिंदगी है थोड़ा परेशान होकर घूम ही लिया जाए।

अविनाश कुमार "बिक्की"

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