भारत संस्कृति, सभ्यता व वीरताओं की धरती है। वहीं देश को आजाद करवाने से लिए कई योद्धाओं ने अपना खून बहाया है। वहीं भारत के इतिहास पर गौर किया जाए तो आपको इसकी संस्कृति, सभ्यता और साम्राज्य का पता चलेगा। जैसा कि आपको पता है कि हमारा देश अपनी आजादी का 75वां सालगिरह मना रहा है। इस मौके पर देशभर में उत्साह और उमंग का माहौल है। यह दिन हर भारतीय के लिए बेहद अहम है। इस दिन ही साल 1947 में भारत आजाद हुआ था। इससे पहले भारत ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। इस आजादी के लिए वीर सपूतों ने अपने खून बहाया है। इसके लिए यह दिवस जश्न और उत्सव मनाने के साथ वीर सपूतों के बलिदान को याद करने के लिए है। माननीय प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहराने के बाद देशवासियों को संबोधित करते हैं। इस मौके पर देशभर में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं। लोग एक दूसरे को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हैं। इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। अतः लोग घूमने भी जाते हैं। देशभर में आज भी कई ऐसी जगहें है जो अपनी विरासत से विश्व में बेहद मशहूर है। अगर आप भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर घूमने जाना चाहते हैं, तो अपने बच्चों के साथ इन जगहों पर जरूर जाएं। इन जगहों की सैर कर आप और आपका परिवार भारतीय इतिहास से रूबरू हो सकते हैं। जिससे आपको भी देश पर गर्व महसूस होगा। तो चलिए आज हम आपको भारतीय इतिहास से रूबरू करवाने वाली तीन जगहों के बारे में बताते हैं।
प्लासी
प्लासी की लड़ाई के बारे में आपने स्कूल की किताबों में जरूर पढ़ा होगा। साल 1757 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ब्रिटिश सम्राज्य के बीच यह युद्ध हुई थी। इस युद्ध में बंगाल के नवाब की हार हुई थी। इस युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों की पकड़ मजबूत हुई। प्लासी पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कालीगंज ब्लॉक में स्थित एक गांव है। यह गांव भागीरथी नदी के किनारे बसा है। आप पश्चिम बंगाल के अन्य स्मारकों स्थलों के साथ प्लासी की सैर कर सकते हैं। साथ ही आप इसके इतिहास के बारे में पूरी तरह जानने के लिए पश्चिम बंगाल के प्लासी घूमने जा सकते हैं।
पानीपत
पानीपत की लड़ाई के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। बता दें, पानीपत की कुल तीन लड़ाइयां हुई थी। इसका पहला लड़ाई (21 अप्रैल 1526) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था जिसमें बाबर ने जीत हासिल की थी। दूसरी लड़ाई ( 5 नवम्बर 1556) सम्राट अकबर और विक्रमादित्य हेम चंद्र के बीच हुई और इसमें अकबर ने जीत हासिल की थी। पानीपत की तीसरी और आखिरी लड़ाई (14 जनवरी 1761) अफगान और मराठा सम्राज्य के बीच हुई थी और इसमें अफगानों ने जीत का झंडा फहराया था। आज के समय में पानीपत में काबुली शाह मकबरा और म्यूजियम है। ऐसे में जो लोग इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं उन्हें एक बार जरूर पानीपत शहर (हरियाणा) घूमने का प्लान बनाना चाहिए।
कलिंग, धौली
धौली, ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि सम्राट अशोक ने अपने जीवनकाल में कलिंग का युद्ध अंतिम किया और जीत हासिल भी की थी। इतिहासकारों की मानें तो इसके बार सम्राट अशोक ने शस्त्र न उठाने की कसम खा ली थी। यह युद्ध 261 ईसा पूर्व में हुई था। साथ ही उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। वहीं हर साल धौली शांति स्तूप में कलिंग महोत्सव का आयोजन होता है जिसका उद्देश्य देश में शांति स्थापित करना माना जाता है। ऐसे में जो लोग इतिहास से रूबरू होना चाहते हैं उन्हें एक बार जरूर धौली घूमने का प्लान बनाना चाहिए।
हम्पी
ऐतिहासिक हम्पी शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। यहां पर आप और आपके बच्चे कला, संस्कृति और विरासत के बारे में करीब से जान सकते हैं। यहां की अधकितर इमारते नष्ट हो चुकी हैं लेकिन यहां पर अधिक समय बिताने के बाद आपको इस शहर के महत्व के बारे में पता चल सकता है। एक समय था जब दुनियाभर में हम्पी सबसे बड़ा और अमीर शहर हुआ करता था। आज भी ये शहर अपनी कला और विरासत के कारण प्रसिद्ध है।
औरंगाबाद
महाराष्ट्र का औरंगाबाद शहर में कई शानदार इमारतें देखने को मिलेंगीं जो आपके साथ-साथ आपके बच्चे को भी पसंद आएंगी। इस शहर के मुख्य आकर्षण में से एक है लोकप्रिय अजंता और एलोरा की गुफाएं जिन्हें दूसरी शताब्दी में बनाया गया था। आपके बच्चों ने अपनी किताबों में भी इन गुफाओं के बारे में पढ़ा होगा। गुफाओं के अलावा यहां पर आप एक अन्य इमारत बीबी का मकबरा भी देख सकते हैं। ये इमारत आगरा के ताजमहल से मिलती जुलती है।
कच्छ के रण
कच्छ के रण 7505 स्क्वायर किमी में फैला सफेद रेगिस्तान है। यहां के अनोखे नज़ारे को आप कभी भी नहीं भूल पाएंगें। भारत की विविधता के बारे में बच्चों को बताने के लिए ये स्थान सबसे बेहतर है। यहां पर आप बच्चों को पांरपरिक कला और शिल्पकला के बारे में बता सकते हैं। होदका और ढोर्दो गांव में ये सब बहुत होता है। पूर्णिमा की रात्रि पर इस शहर की खूबसूरती वाकई अविस्मरणीय होती है।
जलियावाला बाग
इतिहासकारों की मानें तो बैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 को ब्रिटिश हुकूमत के सैनिकों ने जलियावाला बाग में अकारण सभा कर रहे निर्दोष लोगों को गोलियों से भून दिया था। इस भीषण हत्याकांड में 1 हजार लोगों की मौत हो गई थी। इनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थे। आज भी जलियावाला बाग उस मंजर का गवाह है। जलियावाला बाग पंजाब में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित है। वर्तमान समय में जलियावाला बाग स्मारक स्थल है। काफी संख्या में लोग रोजाना जलियावाला बाग आते हैं और शहीद लोगों को श्रद्धा-सुमन अर्पित कर उन्हें नमन करते हैं।
तो अगर आप भी स्वतंत्रता दिवस पर कही घूमने जाना चाहते हैं तो इतिहास से रूबरू कराने वाली इन जगहों पर ज़रूर घूम आएं।
मिलिए भारत की शानदार जगहों से, जिनसे फैल रही पूरी दुनिया में भारत की पहचान। आज़ादी के इस महीने में उत्सव मनाइए #MeraShandarBharat के साथ!
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