![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627556463_lk_18_02_21_3.png)
बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर तीर्थस्थल को घूम आना आज हर एक घुम्मकड़ की चाह हैं क्योंकि यह एक अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बन चूका हैं। पांच पहाड़ियों घिरी एवं हरियाली से आच्छादित इस जगह पर एवं इसके आस पास कई प्रसिद्द जगहे हैं जैसे सप्तपर्णि गुफा, विश्व शांति स्तूप, सोन भंडार गुफा, मणियार मठ, जरासंध का अखाड़ा, बिम्बिसार की जेल, नौलखा मंदिर, जापानी मंदिर,ग्लास ब्रिज आदि।इन हर जगहों की अलग अलग पौराणिक किवदंतिया भी बहुत प्रसिद्द हैं जैसे सोन भंडार गुफा के लिए कहा जाता हैं कि यहाँ बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया है। लेकिन अगर आपको एक ही जगह पर एडवेंचर ,आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्यता का आनंद यहाँ लेना हो तो गृद्धकूट पहाड़ी ट्रेक आपके लिए ही हैं।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 1/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627555444_dscf1895.jpg)
यहाँ मौजूद हैं एक विशाल गिद्ध की चोंच :
करीब 400 मीटर की ऊंचाई वाली इस पहाड़ी की ट्रेक के दौरान एक स्थान ऐसा आता हैं जहाँ से एक निश्चित जगह की ऊंचाई पर देखने से वहा की चट्टानें एक गिद्ध की चोंच जैसी प्रतीत होती हैं जिससे ऐसा लगता हैं कि एक विशाल गिद्ध इस पहाड़ी के अंतर्भाग से बाहर उड़ के आना चाहता हैं इसीलिए इस पहाड़ की चोटी को vulture's peak भी बोला जाता हैं।यहाँ आने वाले यात्री कुछ मिनट रुक कर इस जगह पर फोटो लेना नहीं भूलते हैं।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 2/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627555458_dscf1883.jpg)
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए हैं सबसे पवित्र पहाड़ियों में से एक :
इस पहाड़ी का महत्व बौद्ध धर्म में सबसे ज्यादा हैं। माना जाता हैं कि बौद्धगया में ज्ञान की प्राप्ति के बाद भगवान बौद्ध ने इस पहाड़ी को उपदेश देने के लिए चुना। चारो तरफ हरे भरे जंगल एवं पहाड़ियों से गिरी यह शांत जगह आज भी से सम्बन्धित कई घटनाओं के अवशेष लिए हुए हैं। एक बार भगवान बुद्ध के चचेरे भाई और विरोधी राजकुमार देवदत्त ने द्वेष वश गृद्धकूट पर्वत के ऊपर से बुद्ध भगवान के ऊपर एक शिला फेंकी जो दो पत्थरों से टकरा कर टूट गई किन्तु एक शिलाखंड भगवान के पैर पर लगा जिससे उन्हें कुछ चोट लगी और रक्त बहा।बौद्ध धर्म से सम्बन्धित होने के कारण इस जगह कई बौद्ध भिक्षु आपको ऊपर ट्रेक करते ,ध्यान करते ,पूजा करते दिखाई देते हैं।अनेकों विदेशी यात्री यहाँ हर साल घूमने आते हैं ,मुख्य रूप से उन देशों के लोग जहाँ बौद्ध प्रचलन अधिक हैं जैसे श्रीलंका ,वियतनाम, थाईलैंड आदि।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 3/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627555476_dscf1902.jpg)
यह हैं इस पहाड़ी को घूमने का सबसे अच्छा तरीका :
इस पहाड़ी के पास ही दूसरी और एक विशाल बौद्ध स्तूप का निर्माण भी किया हुआ हैं ,जिसके चारो तरफ बौद्ध की मूर्तियां लगी हुई हैं। जब कोई पर्यटक गृद्धकूट पर्वत के ट्रेक के लिए जाता हैं तो उसी ट्रेक का एक रास्ता इस स्तूप तक भी ले जाता हैं। हालाँकि इस स्तूप पर जाने के लिए यहाँ रोपवे भी लगा हुआ हैं जो कि ऊंचाई से यहाँ की खूबसूरती का दर्शन करवाता हैं इसीलिए पर्यटकों के लिए स्तूप एवं गृद्धकूट पर्वत दोनों जगह घूमने का सबसे अच्छा तरीका यह हैं कि वो रोपवे से शांति स्तूप तक पहुंचे ,यहाँ घूम कर यहाँ से निचे की ओर और थोड़ा आगे से ऊपर की ओर मतलब कि गृद्धकूट पर्वत की ओर ट्रेक चालू करे।इस से आप ट्रेक का भी आनंद ले पाएंगे और रोपवे से इस जंगल की खूबसूरती का भी एवं थकान भी आपको ज्यादा नहीं होगी।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 4/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627556232_125543521rajgir_vishwa_shanti_stupa_main.jpg)
जब आप गृद्धकूट पर्वत का ट्रेक करते हैं तो रास्ते में कुछ गुफाए आती हैं जिनमे कुछ बौद्ध भिक्षु बैठे हुए दिखयी देते हैं। इन गुफाओं में से एक में खुद भगवान बौद्ध रहे और अन्य में उनसे जुड़े अनुयायी। Boddha cave एवं Sariputta cave इनमे मुख्य हैं। हालाँकि अगर आप धार्मिक दृष्टि से यहाँ नहीं गए हो तो इन गुफाओं मे आपके लिए कुछ नहीं हैं।
ट्रेक को आसान बनाने के लिए यहाँ हैं कई सुविधाएं:
अगर आप शारीरिक रूप से फिट हैं तो आप यह ट्रेक को 40 मिनट में ही पूरा कर लेंगे। हालाँकि यह ट्रेक ज्यादा कठिन नहीं हैं परन्तु फिटनेस में कई लोग यहाँ अनेक समस्याओं का सामना करते हैं। इसीलिए अगर आप खुद से यह चढ़ाई नहीं कर सकते तो यहाँ कम दर में पालकी से जाने की व्यवस्था हैं जिसमे आपको 4 लोग अपने कंधे पर पालकी में आपको बिठा कर यह यात्रा करवाते हैं। एडवेंचर पसंद करने वालों के लिए यह जगह एक स्वर्ग हैं। चढ़ाई के शुरुवात से ही आपको कई रंग बिरंगे बौद्ध प्रार्थना ध्वज जगह जगह कई ऊंचाइयों पर लटके दिखाई देते हैं।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 5/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627555572_dscf8125.jpg)
कई जगह बड़ी बड़ी चट्टानें दिखाई देती हैं जिनके साथ से गुफाओं का रास्ता भी बना होता हैं।अगर ट्रेक के दौरान तक गए हो तो आप विश्राम स्थल में बैठ सकते हैं जहाँ से निचे की घाटी का शानदार दृश्य दिखायी देता हैं।कई जगह नटखट लंगूर भी यहाँ यात्रियों के आसपास विचरण करते मिलेंगे जिनसे ध्यान रखे कि कही वो आपके हाथ से आपका पर्स या कोई बैग छीन ना ले जाए।ऊपर पहुंचने पर एक खुला प्रार्थना कक्ष आपको मिलेगा ,जहाँ की तेज हवाएं एवं वादियाँ आपको बिहार में ही उत्तराखंड का अनुभव करवा देगी।
![Photo of गृद्धकूट पहाड़ी : प्राकृतिक सौंदर्यता से परिपूर्ण एक ऐतिहासिक एवं रोमांचक जगह 6/6 by Rishabh Bharawa](https://static2.tripoto.com/media/filter/nl/img/130031/TripDocument/1627555547_1280px_mulagandhakuti_in_vulture_peak.jpg)
कुल मिलाकर बिहार की यात्रा के दौरान अगर आप राजगीर भृमण एवं इस ट्रेक को ना करे तो बिहार यात्रा को अधूरी ही मानियेगा।
कैसे पहुंचे : यहाँ पर पहुंचने के लिए पटना से कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। नजदीकी हवाई अड्डा भी पटना एयरपोर्ट ही हैं। पटना की दुरी यहाँ से करीब 110 किमी हैं।
उचित समय : यहाँ गर्मी के मौसम में नहीं आना चाहिए। अक्टूबर से मार्च के दौरान यहाँ मौसम घूमने लायक रहता हैं।
अन्य नजदीकी पर्यटन स्थल :नालंदा ,बोद्धगया ,बिहार शरीफ ,पावापुरी, ग्लास ब्रिज।
धन्यवाद्