भारत इस 15 अगस्त को 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। पूरा देश इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पर्व के जश्न की तैयारी में डूबा हुआ है। एक लंबा सप्ताहांत होने के कारण, बहुत से लोग अपने आप को दैनिक जीवन की एकरसता से विराम देने के लिए आस-पास छोटी यात्राएं करने की योजना बना रहे हैं। क्या आप भी ऐसी जगह पर जाने के बारे में सोच रहे हैं जो आपको इस बार देशभक्ति का एहसास दिलाए? देश में ऐसे कई स्थान हैं जो भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गाथा प्रस्तुत करते हैं। हजारों लोगों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए ताकि हमारा देश इस दिन सांस ले सके। आइए उनके संघर्ष को न भूलें और इन स्थानों में से किसी एक पर चलें और महसूस करें कि स्वतंत्र भारत में नागरिक होना कैसा होता है।
1. मुम्बई (महाराष्ट्र) -
कांग्रेस (अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) की स्थापना बॉम्बे में एलन ऑक्टेवियन ह्यूम ने की थी। इस शहर ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुंबई में ग्रांट रोड स्थित तेजपाल हॉल में 28 दिसंबर 1885 को कांग्रेस की स्थापना हुई थी। देश को ब्रिटिश हुकूमत से आजाद कराने में इस पार्टी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के समय और उसके बाद तक लोग अपने आपको कांग्रेस से जुड़ा बताने पर गर्व महसूस करते थे। जवाहरलाल नेहरु, महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल या फिर सुभाष चन्द्र बोस और भी कई बड़े नामों ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत इसी कांग्रेस से की।
2. कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) -
इंडियन नेशनल एसोसिएशन पहला राष्ट्रवादी संगठन था जिसकी स्थापना कलकत्ता शहर में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने की थी। इस सभा का लक्ष्य सभी वैध तरीकों के उपयोग से भारत के लोगों की राजनैतिक, बौद्धिक, एवं भौतिक विकास करना था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय राष्ट्रवाद का केंद्र बना रहा और इसने हमें सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नेता भी दिए। इस संस्था ने भारत के सभी भागों के शिक्षित एवं समाज में काम करने वाले लोगों को आकर्षित किया और भारतीय स्वतंत्रता की आकांक्षा रखने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया। बाद में यह सभा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलीन हो गयी।
3. बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) -
1857 का प्रसिद्ध विद्रोह इसी शहर से शुरू हुआ था, जब सिपाही मंगल पांडे ने घोषणा की कि वह अपने कमांडरों के खिलाफ विद्रोह करेंगे । मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है। मंगल पांडे द्वारा गाय की चर्बी मिले कारतूस को मुँह से काटने से मना कर दिया था,फलस्वरूप उन्हे गिरफ्तार कर 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई|
4. झाँसी (उत्तर प्रदेश) -
झाँसी का किला 17 वीं शताब्दी में बना एक किला है जिसे झाँसी का किला भी कहा जाता है, इसे राजा बीर सिंह देव ने बनवाया था। कुछ साल बाद, राजा गंगाधर राव ने इस स्थान पर शासन किया और विकास को स्थानीयता में लाया। उनकी मृत्यु के बाद, उनकी पत्नी मणिकर्णिका तांबे, अब झांसी की रानी के रूप में जानी जाती हैं, 1958 में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ वीरता से लड़ीं। अपने बेटे को उनकी पीठ से बांधकर, रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और बाद में उन पर कब्जा कर लिया गया।
5. चम्पारण (बिहार) -
चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के इंग्लैंड से लौटने के बाद उनकी पहली सफल उपलब्धि थी। चंपारण का किसान आंदोलन अप्रैल 1917 में हुआ था। चंपारण आंदोलन मूल तौर पर नील की खेती करने वाले किसानों के शोषण के खिलाफ था। गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह और अहिंसा के अपने आजमाए हुए अस्र का भारत में पहला प्रयोग चंपारण की धरती पर ही किया। यहीं उन्होंने यह भी तय किया कि वे आगे से केवल एक कपड़े पर ही गुजर-बसर करेंगे। यहीं से महात्मा गांधी ने अहिंसा की राजनीति की शुरुआत की थी।
6. चौरी चौरा (उतर प्रदेश) -
वर्ष 1922 में, भारतीय भीड़ ने ब्रिटिश सरकार की एक पुलिस चौकी के अन्दर 23 पुलिसकर्मियों को जला दिया था। इस घटना के कारण महात्मा गांधी के हस्तक्षेप करना पड़ा, और उन्होंने असहयोग आंदोलन को बंद कर दिया, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और 6 साल की सजा सुनाई गई।
7. जलियांवाला बाग (पंजाब) -
सन 1919 में जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन स्वतंत्रता सेनानियों ने रॉलेट ऐक्ट में विरोध में एक बैठक की योजना बनाई। इसके बाद जब लोग यहां आए तो बिना किसी चेतावनी के जनरल डायर ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। जालियांवाला बाग हत्याकांड में कई सौ लोग शहीद हुए थे। इन शहीद की याद में जलियांवाला बाग में मेमोरियल बनाया गया है। यहां पर दीवारों में बुलेट का निशान देखे जा सकते हैं। इन निशानों को देखकर आप अत्याचार का अंदाजा लगा सकते हैं।
8. दांडी (गुजरात) -
सूरत के पास स्थित दांडी भारत में नमक का उत्पादन केंद्र है। यहीं पर महात्मा गांधी द्वारा वर्ष 1930 में प्रसिद्ध दांडी मढ़ का शुभारंभ किया गया था। स्वतंत्रता के लिए इस अहिंसक संघर्ष में हजारों लोगों ने गांधी का अनुसरण किया था। यह स्थान महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है और स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। दांडी मार्च ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति अंग्रेजों और बाकी दुनिया के रवैये को बदलने पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
9. काकोरी (उत्तर प्रदेश) -
यह स्थान 9 अगस्त 1925 को हुए काकोरी षडयंत्र के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय क्रांतिकारियों ने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ब्रिटिश सरकार के खजाने से पैसे की थैलियां लेकर ट्रेन लूट ली। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार को झकझोर कर रख दिया क्योंकि यह इतिहास का पहला मामला था जब ब्रिटिश संपत्ति को लूटा गया था।
10. लाहौर (पंजाब) -
लाहौर शहर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध शहीदों में से एक सरदार भगत सिंह को लाहौर में फांसी दी गई थी। 1929 का कांग्रेस अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया था और यह भी पहली बार था कि भारत की स्वतंत्रता की घोषणा 31 दिसंबर को पारित हुई थी। लाहौर अधिवेशन में, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) को भी राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था और 26 जनवरी को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में चुना गया था।
11. अगस्त क्रांति मैदान (मुंबई) -
यह भारतीय स्वतंत्रता में सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है क्योंकि यह वह स्थान है जहां महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का आदेश दिया था। महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। आज इस मैदान को गोवली मैदान कहा जाता है और यह एक खेल का मैदान है, और तब भी यह अपना महत्व रखता है और जब आप इसे देखने जाते हैं, तो देशभक्ति का एक गहरा सार देता है।
12. चंद्रशेखर आजाद पार्क, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) -
सन 1931 में चंद्रशेखर आजाद प्रयागराज के इस पार्क में ब्रिटिश सैनिकों के साथ लड़े थे। इस पार्क में उन्होंने मात्र 25 साल की उम्र में अपने प्राणों को न्यौछावर किया था। बता दें कि जब चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस ने घेर लिया। तब उन्होंने सोचा कि ब्रिटिश सैनिकों की गोली से नहीं मरेंगे और उन्होंने खुद को इस जगह पर गोली मार ली। इस जगह को अब चंद्रशेखर आजाद पार्क के नाम से जाना जाता है। पार्क में चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगी हुई है।
13. साबरमती आश्रम, अहमदाबाद (गुजरात) -
साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह और दांडी मार्च की शुरुआत की थी। साबरती से लेकर दांडी तक के जिस रास्ते से यह जुलूस निकला था वो अब ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हो गया है। महात्मा गांधी ने वर्ष 1930 में दांडी मार्च शुरू की तो वे इस आश्रम रुके थे। इस स्वतंत्रता दिवस पर आप यहां जा सकते हैं।
14. सेलुलर जेल (अंडमान निकोबार द्वीप) -
सेलुलर जेल पोर्ट ब्लेयर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित काला पानी के रूप में भी जाना जाता है, जो अब एक संग्रहालय और केवल एक स्मारक है। यह यातना की याद दिलाता है और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया हमें आजादी देने के लिए जो हम आज गैर-अनुभव का अनुभव करते हैं। उनके संघर्ष, दर्द, और पीड़ा के माध्यम से जो वे एक नए और स्वतंत्र भारत के लिए एक अवसर पैदा करने के लिए गए थे, उसे भुलाया नहीं जाना है।
15. लाल किला (दिल्ली) -
वर्ष 1947 में, जिस दिन भारत को आजादी मिली, उस दिन पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले में अपना भाषण दिया था। लाल किला भारत की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि यह एक ऐसी जगह थी जहाँ कई स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान एक मुख्य केंद्र के रूप में चुना था। आज भी यह किला अंग्रेजों से भारत की आजादी का प्रतीक है और भारत के एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में देखा जाता है।