महादेव संपूर्ण सृष्टि के स्वामी हैं और कालों के काल हैं। शास्त्रों के अनुसार भोलेनाथ ही जगतगुरु हैं। जो संसार के हर प्राणी को कुछ ना कुछ सीख देते हैं। भोलेनाथ परम कल्याणकारी है, जो अपने भक्तों की थोड़ी सी पूजा-अर्चना से ही खुश होकर उन्हें मनवांछित वरदान देते हैं। भोलेनाथ की आदि है और वही अपने अंत हैं। जिनकी महिमा अपरंपार है, जिसे आज तक कोई भी नहीं समझ पाया है।
इसी तरह भारत में भोलेनाथ के कई ऐसे चमत्कारी शिवलिंग है। जहां पर उपस्थित चमत्कारी शिवलिंग अपना रंग बदलते रहते हैं। इन शिवलिंगों के ऐसे रंग बदलने के पीछे की वजह का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है। ऐसे रंग बदलते शिवलिंगों को देखने के लिए हर साल लाखों सैलानी देश-विदेश से भारत आते हैं। आज हम आपको महादेव के ऐसे ही चमत्कारी मंदिरों के बारे में बताएंगे जिनके शिवलिंग हर पल अपना रंग बदलते रहते हैं।
1. लिलौटी नाथ शिव मंदिर -
यूपी के पीलीभीत में स्थित है, लिलौटी नाथ शिव मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना महाभारत के दौरान की गई थी। इसकी स्थापना द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। इतना पुराने होने के बावजूद भी इस मंदिर की भव्यता और सुंदरता देखते ही बनती है। कहते हैं कि इस शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग एक दिन में तीन बार रंग बदलता है। इस रंग बदलते शिवलिंग के रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है। इस मंदिर में पूजा करने वाले पुजारियों का कहना है, कि आज भी अश्वत्थामा और आल्हा उदल इस मंदिर में आधी रात के समय पूजा करने आते हैं।
उनका ये भी कहना है कि जिस समय वह इस मंदिर में आते हैं, तो यहां बेमौसम बारिश होने लगती है। आसमान में तेज बिजलियां कड़कने लगती हैं। जिससे पता चल जाता है कि अश्वत्थामा मंदिर में पूजा करने आए हैं। लेकिन आज तक उनको कोई नहीं देख पाया है । कहते हैं जो भी अश्वत्थामा को यहां पूजा करते हुए देख लेता है। वह अपनी सुध-बुध खो देता है। उसे कुछ याद नहीं रहता, इसीलिए रात को 9:00 बजे के बाद कोई भी इस मंदिर के आसपास के इलाके में जाने से डरता है। सच्चाई जो भी हो लेकिन आज ही इस मंदिर के रंग बदलते शिवलिंग को देखने लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं।
2. अचलेश्वर महादेव मंदिर
अचलेश्वर महादेव मंदिर भी अपने रंग बदलते शिवलिंग के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजस्थान के धौलपुर में स्थित है । इस मंदिर में एक शिवलिंग है लोगों का मानना है कि यह दिन में तीन बार रंग बदलता है । कहते हैं सुबह के समय शिवलिंग का रंग लाल तो दोपहर में केसरिया और फिर शाम को श्यामा रंग का हो जाता है। इसके अलावा इस मंदिर की एक और खासियत है।
मान्यता है कि इस मंदिर में आकर शिवलिंग के दर्शन करने वाले वाले कुंवारे युवक और युवतियों का विवाह जल्दी हो जाता है। इस मंदिर में पैरों के अंगूठे के निशान भी देखने को मिलते हैं ।जिनके बारे में लोगों की आस्था है कि यह पैर के अंगूठे के निशान उनके पूज्य महादेव के हैं। वैसे तो हर साल इस मंदिर में श्रद्धालु आते रहते हैं, लेकिन सावन के महीने में मंदिर के रंग बदलते शिवलिंग को देखने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है।
3. नर्मदेश्वर महादेव मंदिर -
यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में नर्मदेश्वर महादेव मंदिर है। जो अपने रंग बदलते शिवलिंग के लिए तो प्रसिद्ध है ही, वहीं यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां मेंढक की पूजा की जाती है। कहते हैं कि यह मंदिर मंडूक तंत्र पर बनाया गया था, जहां भगवान महादेव मेंढक की पीठ पर विराजमान हैं। इस मंदिर का निर्माण 200 साल पहले किया गया था, इसीलिए आज यह मंदिर धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगा है। यहां रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि टूटने से पहले इस मंदिर की छत्र भी सूरज की किरणों के साथ साथ घूमती दिखाई देती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।
मेंढक मंदिर की एक खास बात इसका कुआं भी है। जमीन तल से ऊपर बने इस कुएं में जो पानी रहता है वो जमीन तल पर ही मिलता है। इसके अलावा खड़ी नंदी की मूर्ति मंदिर की विशेषता है। मंदिर का शिवलिंग भी बेहद खूबसूरत है और संगमरमर के कसीदेकारी से बनी ऊंची शिला पर विराजमान है। नर्मदा नदी से लाया गया शिवलिंग भी भगवान नर्मदेश्वर के नाम से विख्यात हैं।
4. कालेश्वर महादेव मंदिर -
यह मंदिर भी यूपी के सीमौर गांव में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि सूर्य की रोशनी में शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। इसे देखने के लिए श्रद्धालु देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आते हैं। शिवलिंग के अलग-अलग रंग बदलने का अपना ही एक महत्व है, जो महादेव की महिमा को दर्शाते हैं। कहते हैं कि इस मंदिर के शिवलिंग के सिर्फ दर्शन कर लेने भर से ही, किसी भी व्यक्ति के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
विशेषकर अविवाहित लोग जब अपने मनोनुकूल जीवनसाथी की कामना लिए हुए कालेश्वर महादेव के दर्शन करते हैं तो उनकी आकांक्षा बहुत जल्दी पूरी हो जाती है। कानपुर के नजदीक घाटमपुर-गजनेर मार्ग पर सिमौर गांव स्थित है यहां पहुंचने के लिए कस्बा गजनेर (कानपुर देहात) से करीब पांच किलोमीटर पूर्व की ओर चलना पड़ता है। वहीं, घाटमपुर की ओर से जाने के लिए पंद्रह किलोमीटर चलना पड़ता है। मंदिर रोड से चंद कदम की दूरी पर स्थित है।
5. दुल्हन शिवालय -
दुल्हन शिवालय के एक ही परिसर में 2 मंदिर हैं। कहते हैं इन मंदिरों का निर्माण सास- बहू ने करवाया था जिस कारण इस मंदिर का नाम दुल्हन पड़ गया। यह मंदिर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है । इस मंदिर की खासियत भी इसका रंग बदलता शिवलिंग है । जो सूर्य की रोशनी के अनुसार अपना रंग बदलता रहता है, यानी कि जब सूर्य की रोशनी तेज होती है तो शिवलिंग का रंग हल्का हो जाता है। जब सूर्य की रोशनी हल्की होने लगती है, तो शिवलिंग का रंग गहरा होने लगता है।
इस मंदिर की एक और मान्यता यह है कि यहां पर एक नाग इस शिवलिंग की रक्षा करत है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर के गर्भ गृह में यह नाग निवास करता है। इतना ही नहीं कई लोगों ने इस नाग को देखने का दावा भी किया है। यहां पूजा करने वाले पुजारी का कहना है कि ये नाग कोई साधारण नाग नहीं, बल्कि एक नाग देवता है । जो हमेशा इस मंदिर के शिवलिंग की रक्षा करता है।
6. बनखंडी महादेव शिवलिंग -
चकरपुर के जंगलों में बनखंडी महादेव मंदिर स्थित है। बनखंडी महादेव मंदिर अभी तक के बताए हुए इन पांचों मंदिरों में से सबसे चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग सात रंग बदलता है । कहते हैं कि जब रोहिणी नक्षत्र में शिवरात्रि होती है, तो यह शिवलिंग सात रंग बदलता है। जिसे देखने के लिए शिवभक्त सुबह से ही मंदिर के द्वार पर लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं। इस मंदिर का निर्माण 1830 में थारू जनजाति के द्वारा किया गया था। जिसके पीछे एक कहानी भी प्रचलित है।
कहा जाता है कि एक किसान की गाय रोज जंगल में चरने जाती थी और एक ही स्थान पर खड़ी होकर खुद दूध देने लगती थी। जब किसान ने यह देखा तो वह आश्चर्यचकित हो गया उसने इसके बारे में गांव वालों को बताया। जब गांव वालों ने दूध देने वाली जगह से झाड़ियों और पेड़ों को हटाया, तो वहां पर यह शिवलिंग दिखाई दिया। लोगों ने इसे महादेव की महिमा बताया और इस शिवलिंग की पूजा करने लगे। धीरे-धीरे सभी लोग ने इस चमत्कारी शिवलिंग की पूजा करनी शुरू कर दी । फिर यहां पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया। आज भी दुनिया भर से शिवभक्त शिवरात्रि के दिन इस मंदिर के दर्शन के करने के लिए आते हैं।