अगर आप लोग भी अगस्त में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो ऐसी जगहों पर जाइए जहाँ जाकर आजादी का असली अहसास क्या होता हैं इस बात पर आप गर्व महूसस कर सकें। देश को आजाद कराने के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति हंसते-हंसते दी, जिनके स्मारकों पर जाकर नतमस्तक होना उनके लिए सबसे अनुपम श्रद्धांजली इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकती, क्योंकि उनके बलिदान के कारण हम आज स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक हैं। इसलिए आज मैं आप सभी को इस आर्टिकल के जरिए देश की ऐसी जगहों के बारे में बताऊंगी जहाँ जाकर आपको देश के शौर्य पर गर्व महसूस होगा। तो आइए जानते हैं वो जगहें कौन-कौन सी हैं।
जलियांवाला बाग, अमृतसर, पंजाब
100 साल पहले अमृतसर में जलियाँवाला बग्घ में एक भयानक नरसंहार हुआ था। इस गोर हत्याकांड के एक शताब्दी के बाद, इस असहाय घटना के लिए माफी मांगी गई थी। 1919 में बैसाखी के दिन, दो नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए लोग इस जगह पर इकट्ठा हुए थे। यह एक हिंसक विरोध नहीं था लेकिन जनरल डायर ने फायरिंग का आदेश दिया जिससे इस स्थान पर 1000 से अधिक लोग मारे गए और कई घायल हो गए। अहिंसक तरीके से विरोध करने के लिए निर्दोष लोग मारे गए। साल 1919 में जलियांवाला बाग निहत्थे हिंदुस्तानियों पर अंग्रेजों के जुल्म का गवाह बना। यहाँ वो कुएं दिख जाएंगे, जिनमें कई महिलाएं जान बचाने के लिए कूदी थीं और गोलियों से छलनी दीवारें जो आज भी अंग्रेजों के अत्याचार की गवाह हैं।
कारगिल युद्ध स्मारक, लद्दाख
कारगिल युद्ध स्मारक एक ऐसी जगह है जिसे आपको स्वतंत्रता दिवस पर जाना चाहिए क्योंकि यह पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध लड़ने वाले बहादुर सैनिकों के स्मारकों को देखते हुए तीव्र देशभक्ति का प्रतीक है। कारगिल युद्ध में लड़ने वाले सभी सैनिकों का नाम स्मारक के अंदर एक बलुआ पत्थर पर लिखे गए है।
गांधी स्मृति, नई दिल्ली
मोहनदास करमचंद्र गांधी से महात्मा तक सफर करने वाले गांधीजी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए यूं तो बहुत कुछ है लेकिन गांधी स्मृति अहम है, क्योंकि यहाँ उन्होंने अपने जीवन के अंतिम 144 दिन गुजारे और प्राण भी त्याग दिेए थे। यह वही जगह है जहाँ शाम की प्रार्थना के वक्त नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या की थी। यह स्थान आपके लिए गांधीजी के सामान के साथ-साथ उनकी यादगार चीजों को देखने के लिए खुला है। यह स्थान महात्मा गांधी के जीवन के बारे में एक मल्टीमीडिया शो भी प्रदर्शित करता है यहाँ जब भी जाते हैं तो गांधीजी की मौजूदगी का अहसास आपको जरूर महसूस होगा।
जैसलमेर की सीमा, राजस्थान
यह राजस्थान के रेगिस्तान में भारत-पाक सीमा है। भारत और पाकिस्तान को अलग करने के लिए एक लंबी बाड़ लगी है। आप देशभक्ति की भावना महसूस करने के लिए इस सीमा पर जा सकते हैं। यहाँ जाए तो तनोट माता के मंदिर की यात्रा ज़रूर करें, जो भारतीय सैनिकों की रक्षा करती हैं। 1971 में लोंगेवाला युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों को हराया। ऐसा कहा जाता है कि इस देवी ने भारतीय सैनिकों की रक्षा की और युद्ध के दौरान यहाँ कोई विस्फोट नहीं होने दिया।
शहीद स्मारक, चौरी चौरा, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
5 फरवरी, 1922 जब असहयोग आंदोलन में हिस्सा ले रहे प्रदर्शनकारियों का एक समूह हिंसक हो उठा और पुलिस ने गोलीबारी कर दी। इससे नाराज लोगों ने थाने में आग लगा दी, जिसमें भीतर मौजूद सभी लोग मारे गए। इसमें तीन नागरिकों और 23 पुलिसकर्मियों की मौत हुई। कांग्रेस को इस घटना की वजह से देश भर से असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा था।
शौर्य स्मारक, भोपाल
यह एक युद्ध स्मारक है जिसमें सभी भारतीय सैनिकों के नाम के शिलालेख हैं जो युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए हैं। इस स्थान पर जाने से आपके साहस और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा मिल सकता है। यह युद्ध के दौरान हमारे सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रतीक है।
अगस्त क्रांति मैदान, मुंबई
यह भारतीय स्वतंत्रता में सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है क्योंकि यह वह स्थान है जहाँ महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने का आदेश दिया था। महात्मा गांधी ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। आज इस मैदान को गोवली मैदान कहा जाता है और यह एक खेल का मैदान है, और तब भी यह अपना महत्व रखता है और जब आप इसे देखने जाते हैं, तो देशभक्ति का एक गहरा सार देता है।
शहीद स्मारक, हुसैनीवाला बॉर्डर, फिरोजपुर
शहीद स्मारक सरहद के नजदीक है, जहाँ एक तरफ पंजाब का फिरोजपुर और दूसरी तरफ पाकिस्तान का कसूर। सतलुज आज भी शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की कहानी कहती है। यह वही जगह है, जहाँ अंग्रेजों ने इन क्रांतिकारियों को सुबह के बजाय शाम को फांसी देकर उनके शव को गुप्त रूप से छिपाने की शर्मनाक कोशिश की थी। लेकिन गांव वालों को जब यह खबर पता लग गई और वह वक्त पर पहुंच गए। इसके बाद इन शहीदों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। यहीं पर भगत की मां की समाधि भी है, जिन्हें पंजाब माता के नाम से जाना जाता है।
फिरोजशाह कोटला किला, दिल्ली
फिरोजशाह कोटला इन दिनों क्रिकेट मैदान के लिए जाना जाता है, लेकिन खंडहरों में तब्दील हो चुके इस किले में छिपकर भगत सिंह और उनके साथी कभी अंग्रेजों से मुकाबला करने की योजना बनाया करते थे। उस समय यहाँ हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन की कई बैठक हुआ करती थीं।
अल्फ्रेड पार्क, इलाहाबाद
गुलाम हिंदुस्तान में एक ऐसे व्यक्ति थे। जो हमेशा आजाद ही रहे। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने इसी पार्क में अंतिम सांस ली थी। इसी पेड़ के पीछे काकोरी कांड में पुलिस को उनकी तलाश थी और किसी गद्दार ने उनके छिपे होने की खबर अंग्रेजों को दे दी। पुलिस से घिरने के बावजद अंतिम वक्त तक मुकाबला किया और जब सिर्फ एक गोली बची थी, तो मां भारती की जयकार लगाकर अपने प्राणों की आहुति दी।
काकोरी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 15 किलोमीटर फासले पर बसा छोटा सा कस्बा काकोरी हिंदुस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में काफी अहमियत रखता है। 9 अगस्त,1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ जा रही एक रेलगाड़ी को क्रांतिकारियों ने इसी जगह निशाना बनाया था। अंग्रेज सरकार को दहलाने के लिए यह योजना अंजाम दी गई और 8 हजार रुपए लूट गए। इस मामले में शामिल कई क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई, जबकि दूसरों को काला पानी भेज दिया गया।
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